महिला की जिंदगी में माँ बनने का अनुभव उसके सबसे यादगार व् खास पलों में से एक होता है। प्रेगनेंसी के नौ महीने में जहां महिला को नए नए अनुभव महसूस होते हैं तो वहीँ महिला के लिए बहुत जरुरी होता है की महिला बहुत सी सावधानियों का भी ध्यान रखें। क्योंकि जितना महिला अपना ध्यान रखती है अपनी केयर करती है उतना ही महिला को स्वस्थ रहने और शिशु के बेहतर विकास में मदद मिलती है।

प्रेगनेंसी का पांचवां महीना महिला के लिए बहुत खास होता है क्योंकि इस दौरान महिला गर्भ में पल रहे अपने शिशु को महसूस करती है। इस दौरान शिशु गर्भ में हलचल करना शुरू कर देता है तो वहीँ महिला का पेट भी अब बाहर की तरफ दिखना भी शुरू हो जाता है। तो आइये आगे इस आर्टिकल में इन सभी चीजों के बारे में विस्तार से जानते हैं। यदि आप भी प्रेग्नेंट हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए भी मददगार हो सकता है।

गर्भावस्था के पांचवें महीने के लक्षण

प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में गर्भ में शिशु का विकास और तेजी से होने लगता हैं। ऐसे में हो सकता है महिला की परेशानियां थोड़ी बढ़ जाएँ। लेकिन महिला के लिए इस बात का ध्यान रखना जरुरी होता है कि किसी भी परेशानी के अधिक होने पर महिला उसे नज़रअंदाज़ न करते हुए तुरंत डॉक्टर से मिलें। तो आइये अब जानते हैं कि प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में महिला को शरीर में कौन- कौन से लक्षण महसूस हो सकते हैं।

कमजोरी महसूस होना

गर्भावस्था के पांचने महीने कमजोरी, थकावट, घबराहट जैसी समस्या होना सामान्य बात होती है। क्योंकि इस दौरान गर्भ में शिशु का तेजी से होता है, शिशु का वजन बढ़ जाता है, गर्भाशय का आकार बढ़ता है ऐसे में महिला को यह समस्या होना आम बात होती है।

पीठ में दर्द

गर्भ में शिशु का वजन बढ़ने के कारण महिला को पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द रहने के साथ पीठ में दर्द जैसी समस्या हो सकती है। खासकर जब महिला गकत तरीके से उठती बैठती है तो महिला कि परेशानी और भी बढ़ सकती है।

सांस लेने के दिक्कत

कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में सांस फूलने जैसी समस्या भी अधिक हो सकती है। और इसका कारण शरीर का वजन बढ़ना, शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन का उत्पादन बढ़ना आदि हो सकता है। और जिन महिलाओं का वजन पहले से ही अधिक होता है उन्हें यह दिक्कत ज्यादा हो सकती है।

सफ़ेद पानी की समस्या

प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में महिला के शरीर में हार्मोनल बदलाव तेहि से हो रहे होते हैं। जिसकी वजह से महिला को प्राइवेट पार्ट से सफ़ेद पानी निकलता हुआ महसूस होता है। ध्यान रखें यदि सफ़ेद पानी अधिक मात्रा में निकलें तो एक बार डॉक्टर से जरूर मिलें।

पाचन क्रिया से जुडी समस्या

गर्भ में शिशु का वजन बढ़ने के कारण पेट के निचले हिस्से में दबाव पड़ जाता है। जिसकी वजह से पाचन क्रिया पर असर पड़ता है। और महिला को कब्ज़, एसिडिटी, जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

मसूड़े से खून आना

कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में मसूड़ों के संवेदनशील होने कि समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है। जिसकी वजह से मसूड़ों से खून आने जैसी समस्या भी महिला को हो सकती है।

प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में शिशु का विकास

गर्भावस्था का समय जैसे जैसे आगे बढ़ता है वैसे वैसे गर्भ में शिशु का विकास भी और तेजी से होने लगता है। जैसे कि शिशु वजन इस दौरान 500 ग्राम के आस पास हो जाता है। साथ ही शिशु की लम्बाई भी छह से दस इंच तक हो जाती है। इसके अलावा शिशु का विकास पूरी तरह से गर्भवती महिला की जीवनशैली पर निर्भर करता है। क्योंकि जितनी अच्छी महिला की जीवनशैली होगा उतना ही शिशु का विकास बेहतर होता है।

  • इस दौरान शिशु के मसूड़ों के अंदर दांत बनने शुरू हो जाते है।
  • शिशु के चेहरा पूरी तरह से दिखाई देने लग जाता है।
  • प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में शिशु अंगड़ाई और जम्हाई लेना शुरू कर देता है।
  • शिशु की भोएं, पलकें, आँखे, कान और नाखून बन जाते हैं।
  • शिशु का दिमागी विकास होना शुरू हो जाता है।
  • गर्भ में शिशु अपनी आंखें थोड़ी सी खोल सकता है।
  • शिशु की हड्डियों और मांसपेशियों का विकास बढ़ना शुरू हो जाता है।
  • गर्भ में शिशु की स्किन पर ब्लड वेसल्स दिखाई देने शुरू हो जाते हैं।
  • प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में गर्भ में शिशु हलचल करने यानी की हाथ पैर घूमाने शुरू कर देता है।

क्या गर्भ में शिशु की हलचल महिला को महसूस होती है?

प्रेगनेंसी के पांचवें महीने के आखिर तक गर्भ में शिशु की मूवमेंट शुरू हो जाती है। जबकि गर्भ में शिशु घूमने तो पहले से लग जाता है लेकिन शिशु का आकार छोटा होने की वजह से महिला को यह महसूस नहीं होती है। और जिन महिलाओं की पहली प्रेगनेंसी होती है उन्हें शिशु की मूवमेंट समझने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है।

जबकि दूसरी प्रेगनेंसी वाली महिलाएं शिशु की हलचल को आसानी से समझ लेती है। इसके अलावा पहली बार गर्भवती होने वाली महिलाएं भी धीरे धीरे शिशु की हलचल को समझ लेती है। और जैसे जैसे शिशु का विकास बढ़ जाता है वैसे वैसे शिशु की हलचल भी अधिक होने लगती है। और धीरे धीरे महिला को दिन भर में ज्यादा बार शिशु की हलचल महसूस होने लगती है।

क्या प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में महिला सम्बन्ध बना सकती है?

गर्भावस्था कोई बीमारी नहीं होती है की उस समय महिला कोई काम नहीं कर सकती है या फिर सम्बन्ध नहीं बना सकती है। बल्कि यह पूरी तरह से महिला के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। यदि गर्भवती महिला पूरी तरह स्वस्थ है हष्ट पुष्ट है, महिला को शारीरिक या मानसिक रूप से कोई दिक्कत नहीं है तो स्वस्थ प्रेगनेंसी के दौरान महिला का सम्बन्ध बनाना बिल्कुल सेफ होता है।

इसके अलावा सम्बन्ध बनाते समय दोनों पार्टनर्स को इस बात का ध्यान रखना चाहिए की महिला को किसी भी तरह की दिक्कत न हो, पेट पर दबाव नहीं पड़े, ज्यादा तेजी न करें, कुछ अलग या नया ट्राई न करें, आदि। क्योंकि यदि आप किसी तरह की लापरवाही करते हैं तो माँ या बच्चे को दिक्कत हो सकती है। ऐसे में सम्बन्ध बनाते समय पूरी सावधानी का ध्यान रखें।

क्या प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में शरीर में कोई बदलाव आता है?

जी हाँ, प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में महिला के शरीर में बहुत से बदलाव आते हैं जो बाहरी रूप से भी महिला में दिखाई देते हैं। जैसे की:

  • महिला के यूटेरस का आकार बढ़ जाता है जिसकी वजह से महिला का पेट बाहर की और निकलने लगता है। साथ ही समय के साथ यह और ज्यादा बाहर निकलने लगता है।
  • गर्भवती महिला का वजन प्रेगनेंसी का समय आगे बढ़ने के साथ और भी बढ़ने लगता है।
  • पेट का आकार बढ़ने के कारण पेट पर खिंचाव के निशान या स्ट्रेचमार्क आपको दिखाई दे सकते हैं जरुरी नहीं है की ऐसा हर महिला के साथ हो कुछ महिलाएं जो प्रेगनेंसी के दौरान अपने पेट की केयर का ध्यान रखती है उन्हें यह समस्या नहीं होती है।
  • महिला की स्किन व् बालों में भी बदलाव देखने को मिल सकता है।
  • प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में अधिकतर गर्भवती महिलाओं को भूख भी ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि गर्भ में शिशु किम जरूरतें भी बढ़ जाती है।

प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में क्या खाएं?

गर्भावस्था में खान पान का बहुत अधिक महत्व होता है क्योंकि जितना बेहतर महिला की डाइट होती है उतना ही महिला के शरीर को पोषण मिलता है। जिससे महिला के शरीर को प्रेगनेंसी के दौरान फिट रहने में मदद मिलती है। इसके साथ ही जितना गर्भवती महिला स्वस्थ रहती है उतना ही गर्भ में पल रहे शिशु के बेहतर विकास में मदद मिलती है।

इसके अलावा महिला को डिलीवरी के समय आने वाली दिक्कतों से भी बचे रहने में मदद मिलती है। ऐसे में महिला को अपनी डाइट का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए और किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। तो आइये अब जानते हैं महिला को अपनी डाइट में किन- किन चीजों को शामिल करना चाहिए।

  • महिला को शरीर में पानी की कमी नहीं होने देनी चाहिए इसके लिए महिला को दिन भर में आठ से दस गिलास पानी जरूर पीना चाहिए।
  • गर्भवती महिला को दूध दही का भरपूर सेवन करना चाहिए।
  • मौसमी फल सब्जियों का सेवन भरपूर करना चाहिए।
  • दालों को अपनी डाइट का अहम हिस्सा बनाना चाहिए।
  • अंडे व् नॉन वेज यदि गर्भवती महिला खा लेती है तो महिला को उनका सेवन भी भरपूर करना चाहिए।
  • साबुत अनाज आदि का भरपूर सेवन करना चाहिए।
  • खान पान का ध्यान रखने के साथ महिला को खाने के तरीके का भी ध्यान रखना चाहिए जैसे की महिला को एक ही बार में खाना खाने की बजाय थोड़ा थोड़ा करके खाना चाहिए। महिला को अच्छे से चबाकर खाना खाना चाहिए।

प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में किन चीजों से परहेज करें?

गर्भावस्था के पांचवें महीने में महिला को कुछ चीजों से परहेज भी करना चाहिए ताकि माँ या शिशु दोनों की सेहत को किसी भी तरह का नुकसान नहीं हो। जैसे की:

  • महिला को कैफीन का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए।
  • शराब, सिगरेट व् अन्य नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • कच्चे अंडे व् नॉन वेज का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • डिब्बाबंद आहार नहीं खाना चाहिए।
  • बासी व् फ्रिज में रखे ठन्डे खाने से परहेज करना चाहिए।
  • बिना ढके पड़े खाने को नहीं खाना चाहिए।
  • बिना धुले फल व् सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अनानास, कच्चा पपीता आदि के सेवन से बचें।

गर्भावस्था के पांचवें महीने में क्या-क्या सावधानियां बरतें?

प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में महिला को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि गर्भवती महिला या शिशु को किसी भी तरह का नुकसान नहीं हो। जैसे की:

  • महिला को पेट के बल नहीं सोना चाहिए।
  • लम्बे समय तक एक ही जगह खड़े रहने या बैठने से बचना चाहिए।
  • ज्यादा भागादौड़ी नहीं नहीं करनी चाहिए।
  • तनाव नहीं लेना चाहिए।
  • वजन बढ़ रहा है तो वजन को कण्ट्रोल करने के लिए डाइट नहीं करनी चाहिए।
  • जरुरत से ज्यादा योगा या व्यायाम नहीं करना चाहिए।
  • जिस काम को करने से महिला के पेट पर जोर पड़ता है तो महिला को उन कामों को नहीं करना चाहिए।
  • महिला को कुछ भी नेगेटिव नहीं सोचना चाहिए।
  • डॉक्टर से सही समय पर जांच करवानी चाहिए साथ ही कोई भी दिक्कत होने पर बिना देरी किये डॉक्टर से मिलना चाहिए।

तो यह है प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में महिला को क्या करना चाहिए को क्या नहीं करना चाहिए उससे जुड़े टिप्स, इसके अलावा महिला की डाइट के बारे में भी कुछ जानकारी दी गई है। यदि आप भी प्रेग्नेंट हैं तो आपको भी इन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आपकी प्रेगनेंसी को आसान बनाने में मदद मिल सकें।

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