स्वप्न एक परिचय:- मनुष्य एक जटिल यंत्र है।हमारे शरीर इतना जटिल है कि इस पर हज़ारों वर्षों के अध्ययन और शोध के बावजूद भी इसके जटिल प्रक्रिया को अभी तक समझा नही जा सका है। सपने को समझने के लिए हमारे महाऋषियों और मनोवैज्ञानिकों ने जो भी खोज की है वह सपने के रहस्यों पर से पर्दा उठाने में काफी हद तक सफल भी रहा है। आज हम कह सकते हैं कि स्वप्न एक मानसिक जटिल प्रक्रिया है। जो हमारे जीवन के अंतः पटल में बैठी हुई वास्तविक घटनाओं को क्षद्म (बदला हुआ) रूप में सुषुप्त अवस्थाओं में दिखती है।

मोटे तोर पर हम कह सकते हैं कि जब हम स्वप्न देखते हैं तो बहुत सारी ऐसी दृश्य एवं घटनाएं देखते हैं जिससे हमारा दुर-दूर एक कोई रिश्ता नहीं होता है। उदाहरणार्थ हम देखते हैं कि हम एक बहुत पुरानी नाव में बैठे  सुनसान भयावह नदी में , जो जंगल के बीच मे है ,से गुजर रहे हैं। मन काफी विचलित भी हो रहा है। एक अनजाना सा डर हमे घेरे हुए है।जोर से किसी की चीखने की आवाज आती है। और हम बिछावन पर अपने आप को पसीने से तर-बतर पाते हैं। दूसरी ओर इसके विपरीत कुछ लोग ये भी देखते हैं कि फ़िज़ा में अजीब सी शांति फैली है और वो कलकल बहती नदी की कंचन धारा में छोटी-छोटी खूबसूरत रंगीन मछलियों को खाना दे रहे हैं। हवाओं की ठंढक से रोम-रोम सिहर उठा है।इसी बीच पक्षियों के कलरव ने शांति भंग करते वृक्षों की डालियों पर अपना शयन अशरा ढूढने में मगन है। दोनों तरह के स्वप्न मनुष्य के जीवन मे हो रही घटनाओं की झलक दिखती है।

अब प्रश्न उठता है कि स्वप्न में इतनी भिन्नता क्यों है? एक इंसान भयानक स्वप्न देखता है दूसरी ओर प्रशन्नता से ओत-प्रोत सपने?
स्वप्न में हम अजीव-अजीव घटनाएं,व्यक्ति क्यूँ देखते हैं? और कभी-कभी जिंदगी की वास्तविक घटनाएं, व्यक्ति को प्रत्यक्ष दिखाई देती है? क्या हम बुरे सपने से बच सकते हैं?
यह आर्टिकल हमें इन सवालों के जवाब पाने में मदतगार साबित हो सकता है।
स्वप्न क्यों और कैसे आता है?

स्वप्न का रहष्य मन के विभिन्न परतों में छुपा होता है।
पहली परत(चेतन अवस्था):- स्वप्न हमारे अंतर्मन से जुड़ा होता है। हम जागकर सपने नहीं देख सकते। वो तो मात्र कल्पना होती है। स्वप्न हमारे आंतरिक दुनिया से संबंध रखते हुए भी हमारी बाहरी दुनिया को ही प्रतिबिंबित करती है। ये हमारी जिंदगी में हो रही घटनाओं से ही पैदा होती है। मन की अवस्थाओं को समझे बिना स्वप्न के रहष्य समझा नही जा सकता। चेतन मन हमारे मन की वो अवस्था है जब हम होशपूर्वक घटनाओं, वस्तुओं, व्यक्तियों को देख रहे होते हैं।यह मन की जागृत अवस्था है।शायद हमें इस बात की भान नहीं है कि हमारा चेतन मन भी वीडियो कैमरा की तरह आस-पास हो रही घटनाओं को रिकॉर्ड करता रहता है। और हमारे मन के तह में जमा करता रहता है। यही हमारा बाहरी मन होता है। जिसे हम लोग केवल मन के रूप में जानते हैं।

दूसरी परत(अवचेतन अवस्था) :-
जब हमारे चेतन मन की बातों, घटनाओं, चीजों के ऊपर एक परत चढ़ जाती है तो हम उसे भूल जाते हैं। वह अंदर दब जाती है।जिसे ध्यान से याद करने पर याद आ जाती है। कहीं पर वो पड़ी रहती है। कुछ घटनाएं जो हमारे मन पर गहरा प्रभाव डाला हो वो आसानी से स्वप्न देखते वक्त बाहर आ जाती है जैसे आप नदी में करीब-करीब डुब ही गये थे पर एक इंसान ने आपको बचा लिया। आपकी कंपनी दिवालिया हो गयी औऱ आप सड़क पे आ गए इत्यादि। वो सारी बातें जिससे आप बेचैन हो जाते हैं या फिर भागना चाहते है; आपके स्वप्न में क्षद्म रूप में यानी रूप बदलकर आती है। ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि एक विचार के साथ बहुत सी विचारधारा जुड़ी होती है। और कौन कहाँ से  आएगा; सोये हुए दिमाग को ये पता नही होता है। मन की अवचेतन अवस्था ही स्वप्न देखते वक्त जागृत हो उठती है।

तीसरी परत(अचेतन अवस्था) :-
मन जब किसी चीज को रिकॉर्ड करता है तो यह नही देखता कि यह जरूरी वह गैरजरूरी वह बस रिकार्ड करता है। पहले चेतन में फिर दबकर अवचेतन में और अंत में सबसे गहरी परत अचेतन में चली जाती है। जब अचेतन में जाती है तो वहाँ से निकल पाना बहुत ही मुश्किल होता है। बड़ी घटनाएं, बातें तो निकल भी सकती है पर आम बातें निकलना असंभव होता है। उदाहरण के रूप में जब तो बच्चे थे बगल वाली शर्मा आंटी ने आपको क्या कहा आप बिल्कुल नहीं बता सकते। पर दो साल के उम्र में आप सीढ़ियों से लुढ़क गए थे। शायद याद न होगा। यदि याद भी होगा तो बस धुंधला सा। और हाँ अचेतन मन की बातें भी आपके गहरे सपनों में आ सकती है।

स्वप्न की घटना कैसे घटित होती है?
न की तीनों परतों में ही स्वप्न की उत्पत्ति छुपी होती है। मनोविज्ञान के अनुसार सपने किसी भी पूर्व घटना को सूचित नहीं करता बल्कि जो घटनाएं घट चुकी है और घट रही है उसी से पैदा होती है। हाँ अगर आप कल्पना में खोए रहते है। ख्याली पुलाव पकाते रहते है तो आपको भविष्य की चीजें नज़र आएगी। परंतु उसका कोई मोल नहीं होता।

स्वप्न के समय हम होस में नहीं रहते हैं यानि हमारा चेतन मन सोया रहता है और अवचेतन मन काफी सक्रिय। आप काफी उथल-पुथल भरा जिंदगी जी रहे हैं तो आपका अचेतन मन भी स्वप्न का हिस्सेदार बन जायेगा। जब हम सोते हैं तो दबी हुई बातें घटनाएं जग जाती है जिसे हमारा बाहरी मन देखा होता है। और घटनाएं तेजी से हमारे दिमाग मे बिना श्रृंखला के आती जाती है। जैसे कोई बिना एडिटिंग के फ़िल्म देख रहे हों। सपनों में आने वाली वस्तु, घटना, या फिर बातें सांकेतिक होती है। कई सारी छोटी-छोटी घटनाएं मिलकर एक स्वप्न भी तैयार कर सकती है। इसलिए अक्सर स्वप्न समझ नहीं आता है। परंतु अगर आपके साथ कोई बड़ी बात हो गयी हो तो वह दिमाग मे गहरा स्थान बना लेती है और स्वप्न उसी रूप में देखने को मिलता है। आप चाहें तो अपने सपनों का विश्लेषण भी कर के देख सकते है। सुबह नींद खुलते ही स्वप्न को यादकर उसका वास्तविक जीवन की घटनाओं से मिलान करके देख सकते हैं। ऐसा मैने कई बार किया और हर बार सही पाया।

एक बार एक आदमी अपने सपने से काफी परेशान था वो हमेशा देखता था कि तीन काले-काले बक्से उसका पीछा करते है। और वह उससे जान बचा के भागते रहता था। जब वह काफी परेशान हो गया तो वह एक मनोचिकित्सक के पास गया और अपने भयावह सपने से छुटकारा पाने का उपाय पूछा। उस मनोचिकित्सक ने उसके जीवन मे हो रही घटनाओं का जानकारी इकट्ठा किया तो पाया कि उसके मरीज ने तीन शादी कर रखी थी। पहला शादी माता-पिता की मर्जी से एक कुरूप औरत से कर लिया था। और उस औरत से उसको नफरत हो गयी थी। फिर उस व्यक्ति ने अपनी मर्जी से एक सुंदर औरत से विवाह कर लिया पर वह औरत दिल से बहुत बुरी थी। इसका जिंदगी और भी बदत्तर हो गया। अब इसने एक और बड़ी गलती कर बैठा। उसने तीसरी शादी एक सुंदर और सुशील लड़की से कर लिया। पर तीनों औरतों का बोझ उससे सहा नहीं गया। अब वह तीनों को छोड़कर भागने को सोचने लगा। परन्तु भाग नहीं पाया।

स्वप्न में दिखने वाली तीन बक्से जिससे वह छुटकारा चाहता था दरअसल वो उसकी तीन पत्नियां थी। बक्से यहाँ पर क्षद्म रूप है उसके पत्नियों के ।स्वप्न में बक्से इसलिए आया क्योंकि उसे बक्से पसन्द नहीं थे। बक्से काले इसलिए थे क्योंकि काला रंग जिंदगी के दुख का परिचायक है।

बुरे सपनों से छुटकारा कैसे मिले?
उस मनोचिकित्सक ने उस व्यक्ति को बताया कि अगर तुम तीनों बक्से से छुटकारा चाहते हो तो दो रास्ते हैं।पहला अपनी तीनों पत्नियों को दिल से स्वीकार कर लो। दूसरा तलाक लेकर अलग हो जाओ। इस घटना से यह प्रमाणित होता है कि बुरे सपने से छुटकारा का सिर्फ एक मार्ग है कि अपने वर्तमान जीवन को सही दिशा दो।कहा जाता है कि आप वही बन जाते हैं जो आप सोचते है और जैसा सोचते हैं वैसा ही करते है और जैसा करते हैं वही आपके सपनों का आधार बनता है।

स्वप्न के सांकेतिक चिन्ह:-
सपनों में आनेवाली बेतुकी बातों का अर्थ होता है जैसे-

1.भागने की कोशिश परन्तु बार-बार गिर जाना मतलब सफलता की चाहत पर बार -बार असफल हो जाना दिखाता है।
2.हवा में उड़ना मतलब ख्याली पुलाव पकाना।
3.सीढ़ी पर चढ़ना मतलब सफल होना।
4.सांप देखना मतलब पुरूष के गुप्तांग।
5. नाव मतलब स्त्री के गुप्तांग।
6.घटनाएं हूबहू देखना मतलब आपके साथ बड़ी घटना हो चुका है। क्रमशः……….

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