प्रेगनेंसी में कमर और पेट में दर्द
गर्भवस्था के दौरान बॉडी में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण गर्भवती महिला को बहुत सी शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे की उल्टी आना, सिर में भारीपन, थकावट, कमजोरी, ब्रेस्ट में दर्द, पेट में दर्द, कमर में दर्द आदि का महसूस होना। कुछ महिलाओं को ज्यादा परेशानियों का अनुभव करना पड़ता है तो कुछ महिलाएं पहले तीन महीने के बाद बिल्कुल नोर्मल हो जाती है, या थोड़ी बहुत परेशानी का सामना महिला को करना पड़ सकता है। यह सब बातें गर्भवती महिला की फिटनेस के साथ बॉडी में होने वाले हार्मोनल बदलाव पर भी निर्भर करती है। थोड़ी बहुत परेशानी का अनुभव होना आम बात होती है, लेकिन परेशानी अधिक होने पर इसे इग्नोर नहीं करना चाहिए, और एक बार डॉक्टर से जरूर राय लेनी चाहिए।
गर्भावस्था में कमर और पेट में दर्द रहने के कारण
प्रेगनेंसी के दौरान कमर और पेट में दर्द का कोई एक कारण नहीं होता है बल्कि कई कारणों से महिला को इस परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
हार्मोनल बदलाव
गर्भावस्था की शुरुआत से ही गर्भवती महिला की बॉडी में हार्मोनल बदलाव होते रहते हैं। हार्मोनल बदलाव के कारण बॉडी में रिलैक्सिन नाम का हॉर्मोन बनता है। जो गर्भ में पल रहे शिशु के लिए गर्भाशय के आकार को बढ़ाने में मदद करता है, ऐसे में इस हॉर्मोन के कारण गर्भवती महिला को पेट या कमर में दर्द की समस्या का अनुभव हो सकता है।
मांसपेशियों के कारण
गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण मांसपेशियां अलग होने लगती है, और साथ ही इनमे खिंचाव भी बढ़ने लगता है। साथ ही गर्भाशय का आकार भी गर्भ में पल रहे शिशु के शारीरिक विकास के साथ बढ़ता रहता है, जिससे मांसपेशियों में खिंचाव बढ़ सकता है और इसी कारण गर्भवती महिला को पेट या कमर में दर्द की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
गर्भपात
पहली तिमाही में यदि गर्भवती महिला को पेट या कमर में बहुत अधिक दर्द हो, साथ में स्पॉटिंग की समस्या हो, और वैसा ही महसूस हो जैसा की पीरियड्स के दौरान होता है। तो यह गर्भपात का संकेत हो सकता है ऐसे में आपको जल्दी से जल्दी डॉक्टर की राय लेनी चाहिए।
तनाव
प्रेगनेंसी में पेट और कमर में दर्द का कारण तनाव भी हो सकता है। बहुत सी गर्भवती महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली परेशानियों के कारण तनाव में आ जाती है। लेकिन तनाव मुश्किलों को कम नहीं करता है बल्कि गर्भवती महिला की मुश्किलों को बढ़ा सकता है। इसीलिए प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को तनाव लेने से बचना चाहिए।
उठने बैठने का तरीका
गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के दौरान छोटी छोटी बातों का बेहतर तरीके से ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। जैसे की उठते बैठते समय ध्यान रखना, सीढ़ियां चढ़ते समय ध्यान रखना, आदि। क्योंकि सही पोजीशन न बैठने के कारण, उठते समय ध्यान न रखने का असर भी प्रेगनेंसी में पेट या कमर की दर्द की समस्या खड़ी कर सकता है।
वजन
दूसरी तिमाही के बाद गर्भवती महिला का वजन बढ़ने लग जाता है, ऐसे में वजन बढ़ने के कारण पीठ पर जोर पड़ता है, और पेट का भार नीचे की तरफ होने लगता है। ऐसे में गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी में हल्के पेट या कमर में दर्द का अनुभव होना आम बात होती है।
डिलीवरी का संकेत
प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में पेट या कमर में हल्के दर्द का रहना, और दर्द का समय -समय पर बढ़ जाना, इस बात का संकेत हो सकता है की अब डिलीवरी होने वाली है। ऐसे में इस दर्द को अनदेखा न करते हुए जितना जल्दी हो सके डॉक्टर से राय लेनी चाहिए। साथ ही शिशु का झुकाव नीचे की तरफ बढ़ने के कारण दर्द का अनुभव भी बढ़ सकता है।
तो यह हैं कुछ कारण जिनकी वजह से गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के दौरान पेट या कमर में होने वाले दर्द की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में हल्का फुल्का दर्द होने पर घबराने की कोई बात नहीं होती है लेकिन दर्द का अधिक अनुभव होने पर इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।