शादी भले ही किसी भी महिला के अस्तित्व को पूरा करती है, लेकिन वो सम्पूर्ण तभी होती है जब वह अपनी संतान को इस दुनिया में लाती है, और प्रकृति ने भी यह नियम केवल महिलाओ को ही दिया है की वि नौ महीने तक शिशु को गर्भ में रखकर एक शिशु को जन्म देती है, माँ बनने का अहसास महिला को उस दिन से ही होने लग जाता है जब उसे पता चलता है की वो माँ बनने वाली है, और समय के साथ शिशु भी गर्भ में हरकतें करके अपने होने का अहसास अपनी माँ को दिलाता है, और यह अनुभव महिला के लिए दुनिया का सबसे ख़ास और अनोखा अनुभव होता है, विशेषज्ञों का भी कहना है की जब शिशु थोड़ा बड़ा हो जाता है तो उसमे सुनने की क्षमता विकसित हो जाती है, और वह बाहर से सुनाई देने वाली सभी आवाज़ को अपनी यादों से जोड़ लेता है।
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और जन्म के बाद भी उसे उन आवाज़ की पहचान होती है, यदि आप शिशु को गर्भ में कोई गाना सुनाती है, तो जन्म के बाद उसके रोने पर यदि आप वो उसे सुनाएँ तो वो चुप हो जाता है, इसके अलावा बच्चे को स्वाद का अनुभव भी होने लगता है, पांचवे महीना तक शिशु गर्भ में थोड़ा घूमने भी लग जाता है, हाथ पैर मारता है जिसका अनुभव माँ को होने लगता है, गर्भ के चौबीसवें हफ्ते में शिशु मुस्कुराना भी सीख जाता है, इसके अलावा और भी ऐसी बहुत सी हरकतें है जो शिशु गर्भ में करता है, तो आइये अजा हम आपको माँ द्वारा लिए जाने वाले इस खास अनुभव को आपसे शेयर करते हैं, और आपको बताते हैं की शिशु गर्भ में क्या क्या हरकतें करता है।
सात से पंद्रह सफ्ताह तक बच्चा करता है गर्भ में ये हरकतें:-
जैसे ही बच्चे के दिल की धड़कन आती है, उसके बाद बच्चा धीरे धीरे विकसित होने लगता है, और कुछ ऐसी हरकतें करने लगता है, जिनका आप अनुभव तो नहीं कर सकती हैं, परन्तु बच्चा गर्भ में ये सब करता है, जैसे की आठवें हफ्ते तक आपका बच्चा मुड़ना व् चौंकना शुरू कर देता है, नौवे हफ्ते में शिशु हिचकी लेना शुरू कर देता है, दसवें हफ्ते तक आते आते आपका बच्चा अपने जबड़े को खोल सकता है, अपना सिर घुमा सकता है, ग्यारह से चौदह हफ्ते के बीच वो अंगड़ाई लेना शुरू कर देता है, अपनी आँखों को भी घुमा सकता है, जब आप तीसरे महीने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए जाते है, तो कई बार आपका बच्चा हरकरते कर रहा होता है, और आप उसे स्कैनिंग के जरिये देख सकते है।
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चौथे या पांचवे महीने में बच्चा हिलना शुरू कर देता है:-
पांचवे महीने की शुरुआत में या चौथे महीने के आखिर में आप बच्चे के हिलने डुलने वाली हरकत का भी अनुभव कर सकते है, इस समय बच्चा हमेशा नहीं परन्तु शाम को या सुबह उसके हिलने का और घूमने का अनुभव कर सकती है, बच्चे को घूमने में आसानी इसीलिए होती है, क्योंकि एमनियोटिक थैली में इतना द्रव्य होता है की आपका बच्चा आसानी से घूम सकता है, साथ ही जब आप कहीं तेज आवाज़ में या अचानक से चौंक जाती हैं तो इसका आभास भी आपके बच्चे को होता है, और वो भी चौंक जाता है और हिलने लगता है, इसीलिए प्रेगनेंसी में जितना हो सकें आपको शोर वाले स्थान से दूर रहना चाहिए।
छठे और सातवें महीने में शिशु करता है यह हरकतें:-
इस समय पर बच्चा मुस्कुराना भी सीख जाता है, कई बच्चे तो माँ के गर्भ में अंगूठा भी चूसते है, साथ ही इस समस्य पर बच्चे की सुनने की क्षमता और भी तेजी से बढ़ती है, साथ ही आपके गर्भ में माध्यम से उन्हें तेज रौशनी का भी आभास होने लगता है, इस समय पर महिलाओ को जितना हो सकें अपने गर्भ में पल रहे शिशु से बातें करनी चाहिए, उन्हें पौराणिक कहानियां सुनानी चाहिए, बच्चे इन सब चीजों को जन्म के बाद तक याद रखते है, इसके अलावा इस समय तक बच्चे के अंगो का पूर्ण विकास भी हो चुका होता है, जिसके कारण वह और तेजी से और दिन भर में ज्यादा समय के लिए घूमना शुरू कर देते है।
आठवें और नौवें महीने में बच्चे की हरकतें:-
इस समय बच्चे का वजन तेजी से बढ़ रहा होता है, क्योंकि आपकी डिलीवरी का समय पास आने वाला होता है, और साइज बढ़ने के कारण बच्चे के पास घूमने के लिए कम जगह होती है, जिसके कारण वो बाहर आने के लिए और हरकतें करने लगता है, इसीलिए आठवें महीने में आपको अधिक सावधानी बरतनी चाहिए, नौवे महीने में बच्चा अपनी पोजीशन बदलने लगता है, उसका सिर नीचे की तरफ और टाँगे ऊपर की और होने लगती है, और नौवें महीने में बच्चे के हिलने डुलने का अनुभव आपको होता ही रहता है, और यह सुखद अहसास और बजी बढ़ जाता है, जब वो शिशु जन्म लेकर आपकी गोद में आता है, और आप असलियत में उसकी हरकतों का अनुभव लेते है।
गर्भवती महिला के लिए ध्यान देने योग्य बातें:-
महिला को जितना हो सकें नशीले पदार्थ, ज्यादा शोर, से दूर रहना चाहिए यह बच्चे के ऊपर बुरा प्रभाव डालते हैं, साथ ही आपको बीस से चौबीस हफ्ते के बीच में भी यदि बच्चे के हिलने डुलने का कोई आभास नहीं होता है तो इस बारे में आपको डॉक्टर से राय जरूर लेनी चाहिए, क्योंकि बच्चे की किसी तरह की मोमेंट का न होना गलत होता है, साथ ही आपको अपने आहार अपने स्वास्थ्य से सम्बंधित भी किसी तरह की लापवाही नहीं बरतनी चाहिए।
तो ये है वो हरकतें जो शिशु गर्भ में होने पर करता है, इसके अलावा महिला को तनाव नहीं लेना चाहिए क्योंकि शिशु अपनी माँ की परेशानी का अहसास कर सकता है,जिससे उसके विकास में समस्या आती है, बच्चों के गर्भ में होने पर आपको उन्हें अच्छी अच्छी कहानियां सुनानी चाहिए, उसे खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि आपका बच्चा स्वस्थ और हैल्थी हो।