प्रेगनेंसी में बेल का शरबत

बेल का शरबत पीने से बहुत फायदे मिलते हैं, जैसे की कब्ज़ से राहत, भूख बढ़ाने में मदद मिलती है, मुँह के छाले की समस्या से निजात, कफ से राहत, गर्मी में ठंडक का अहसास, लू से होने वाली परेशानी से बचाव आदि। लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान महिला को खान पान का ध्यान अच्छे से रखना चाहिए और और केवल उन चीजों का सेवन करना चाहिए जिससे गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु को फायदा मिल सके। ऐसे में गर्भवती महिला को बेल के शरबत का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान बेल का शरबत पीने से गर्भवती महिला बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, साथ ही इसके कारण गर्भ में पल रहे शिशु को भी परेशानी हो सकती है।

प्रेगनेंसी में बेल का शरबत पीने के नुकसान

गर्भवती महिला यदि प्रेगनेंसी के दौरान बेल के शरबत का सेवन करती है तो इसके कारण गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान पहुँच सकता है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की प्रेगनेंसी में बेल का शरबत पीने से कौन से नुकसान होते है।

गर्भपात

बेल के रस का सेवन करने से गर्भवती महिला के गर्भ ठहरने में परेशानी हो सकती है, जिसके कारण महिला के गर्भपात के चांस बढ़ जाते हैं। ऐसे में गर्भपात के खतरे से बचने के लिए गर्भवती महिला को बेल के रस के सेवन से बचना चाहिए।

पेट सम्बन्धी समस्या

बेल का शरबत बहुत भारी होता है, और गर्भवती महिला के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण पाचन क्रिया धीमी पड़ सकती है। और बेल के जूस को हज़म करने में समय लग सकता है, जिसके कारण गर्भवती महिला को पेट में दर्द, गैस, एसिडिटी आदि होने की समस्या से परेशान होना पड़ सकता है। ऐसे में पेट सम्बन्धी समस्या से बचने के लिए भी गर्भवती महिला को बेल के रस के सेवन को करने से बचना चाहिए।

डिलीवरी में दिक्कत

यदि आप दूसरी बार माँ बनने जा रही है और आपका पहले शिशु सिजेरियन डिलीवरी से हुआ है, तो भी बेल के रस का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि बेल का जूस पीने के कारण दूसरी बार डिलीवरी होने पर महिला को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

शिशु के विकास

बेल के रस का सेवन करने से शिशु के विकास में भी कमी आ सकती है जिसके कारण शिशु का स्वास्थ्य कमजोर हो सकता है। और शिशु के जन्म के बाद भी उसे स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या होने का खतरा रहता है।

स्किन सम्बन्धी समस्या

गर्भवती महिला यदि बेल का शरबत पीती है तो इसके कारण ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है, जिसके असर शिशु पर पड़ सकता है। और शिशु को स्किन सम्बन्धी समस्या होने का खतरा रहता है।

निमोनिया

तासीर में ठंडा होने के कारण बेल के शरबत का असर माँ के गर्भ में शिशु पर भी पड़ सकता है, जिसके कारण शिशु को जन्म के बाद निमोनिया जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में जितना हो सके गर्भवती महिला को शिशु को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या से सुरक्षित रखने के लिए बेल के शरबत का सेवन नहीं करना चाहिए।

शिशु का मानसिक विकास

यदि गर्भवती महिला बेल के शरबत पीती है तो इसके कारण गर्भ में पल रहे शिशु की मस्तिष्क की कोशिकाओं पर बुरा असर पड़ सकता है। जिसके कारण शिशु का दिमागी विकास ठीक से नहीं हो पाता है, ऐसे में शिशु के बेहतर मानसिक विकास के लिए गर्भवती महिला को बेल के शरबत का सेवन करने से बचना चाहिए।

शिशु के जन्म के बाद

स्तनपान करवाने वाली महिला को भी बेल का शरबत पीने से परहेज रखना चाहिए, क्योंकि इसके सेवन के कारण गर्भ में पल रहे शिशु के लिए बन रहे दूध के उत्पादन में कमी आ सकती है, जिससे शिशु भूखा रह सकता है।

तो यह हैं कुछ नुकसान जो गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी में बेल का शरबत पीने से हो सकते है, ऐसे में नियमित इसका सेवन नहीं करना चाहिए। लेकिन यदि आपका कभी मन करे तो महीने में एक या दो बार थोड़ा बहुत इसका सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा बेल का जूस आपको कितनी मात्रा पीना चाहिए या नहीं आप इसके लिए एक बार अपने डॉक्टर से भी राय ले सकती है।

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