फ्रेंड्स, वैसे तो सोशल मिडिया हमारे काफी काम आता है और हम अपने ख़ुशी के पलो को फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सअप, इस्टाग्राम और दूसरे सोशल मिडिया प्लेटफोर्म पर व्यक्त करते है। पर इसके फायदे के साथ साथ नुक्सान भी है जो अब सभी को मालूम होने लगे है। आइये पढ़ते है इस लेख में-

लड़की ने कुआं में कूदकर दे दी जान
ये घटना अभी कुछ दिन पहले की है। फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश) की रहने वाली एक ग्रामीण इलाके की लड़की ने कुआँ में कूदकर जान दे दी। उसके ही पडोस के एक मनचले लड़के ने उसकी फोटो खींचकर उसे एडिट करके न्यूड पिक बना दी थी और फिर फेसबुक पर पोस्ट कर दी थी। कुछ दिनों बाद इसकी जानकारी उसके घरवालो को हुई। फोटो में चेहरा उसी लड़की का था इसलिए पूरे इलाके में लोग तरफ तरफ की बाते करने लगे और उस लड़की के चरित्र पर तरह तरह से सवाल उठाने लगे। जब लड़की ने वो एडिट की हुई पिक देखी तो लोक लाज, बदनामी और शर्म से बचने के लिए उसने कुआ में कूदकर जान दे दी। इस तरह से उस मासूम लड़की की जिन्दगी बर्बाद हो गयी।

आलसी बनाता है सोशल मिडिया
इसका सबसे बुरा असर है ये। इसकी बुरी लत लग जाती है और व्यक्ति आलसी बन जाता है। लोग अपनी जगह से हिलना भी पसंद नही करते है। वो एक ही जगह पर घंटो घंटो बैठे रहते है और व्हाट्सअप, फेसबुक, ट्विटर आदि में लगे रहते है। सोशल मिडिया पर वक़्त बिताने के बजाय अगर अन्य एक्टिव कामो में खुद को लगाये तो बेहतर होगा। जैसा बागवानी करना, टहलना, जॉगिंग करना, योगा, व्यायाम, बच्चो को पढ़ाना, घर की सफाई करना, कार साफ करना आदि। इस तरह के कामो से आपका शरीर जादा एक्टिव और चुस्त दुरुस्त रहेगा।

अनिद्रा और चिडचिडापन की समस्या
आमतौर पर आज की युवा पीढ़ी कई कई घंटे सोशल मीडिया पर चिपकी रहती है। शाम और रात को सबसे जादा। इससे होता है की जरूरी काम छोड़कर लोग इस पर बिसी रहते है। सही समय पर खाना नही खाते और सोते भी नही है। नींद के घंटो में कमी हो जाती है और आपकी नींद पूरी नही हो पाती है जो अगले दिन आपके कामकाज और स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। विभिन्न सर्वे में पाया गया है लोगो को इसकी लत लग जाती है और जब वो सोशल मिडिया से दूर होते है तो उनके व्यवहार में चिडचिडापन आ जाता है। इसलिए इसका इस्तेमाल एक निश्चित समय के लिए ही करना चाहिए। लोग Nomophobia नोमोफोबिया (फोन से दूर रहने का डर) नामक मानसिक विकार से ग्रसित हो जाते है।

ले जाता है रियल्टी /वास्तविकता से दूर
अक्सर सोशल मिडिया पर परिवार के सभी सदस्य जररूत से जादा समय बिताने लग जाते है। ऐसा होने पर घर के सभी लोग एक दूसरे से अलग थलग पड़ जाते है और एक दूसरे से वास्तविक सम्बन्धो पर बुरा असर पड़ता है। लोग सोशल मिडिया को ही जिन्दगी की हकीकत समझ लेते है और आस पड़ोस में घटने वाली घटनाओं से बेखबर हो जाते है। इसका एक दूसरा बुरा असर है की लोग दूसरे के नजर से जिन्दगी जीने लग जाते है। लोगो को लाइक्स की आदत हो जाती है और जब उनको मनपसंद संख्या में लाइक नही मिलती है तो वो उदास होने लग जाते है भले ही वो पोस्ट कितनी ही अच्छी क्यों न हो। सोशल मिडिया आपको एक रोबोट की तरह प्रतिक्रिया करने को बाध्य कर देता है। आवश्यकता से अधिक इस्तेमाल आपका चेन, सुकून छीन सकता है।

अब तो डॉक्टर भी बताते है की सोशल मीडिया से जरा सी दुरी होने पर लोगो में कई तरह के मानसिक विकार पैदा हो जाते है। अनमनापन, घोर बेचैनी, OCD (ओब्सेसिव कम्पल्सिव डिसआर्डर), कम्पल्सिव इम्पल्सिव स्पेक्ट्रम डिसआर्डर, आत्मविश्वास की कमी, गुस्सैल/ आवेशित व्यवहार, डीप्रेसन, अवसाद, उन्माद की भावना, कामुक व्यवहार की तरफ बढ़ना, एकाग्रता में कमी आदि अनेक समस्याये है जिससे आज की युवा पीढ़ी ग्रसित हो रही है।

पड़ता है बच्चो की परवरिश पर बुरा असर
अब तो ऐसा रोज ही देखा जाने लगा है की माँ-बाप सोशल मिडिया जैसे – फेसबुक, ट्विटर आदि पर अपना जादा से जादा समय देते है और बच्चो का उतना ही नुकसान होता है। माँ बाप बच्चो की पढ़ाई और देख रेख में कम समय देने लगे है जिसका बुरा असर बच्चो पर पढ़ रहा है। बच्चो को सही समय पर खाना मिला है की नही, वो अपना होमवर्क सही तरह से कर रहे है की नही, उसके शारीरिक, शैक्षिक, मानसिक विकास को देखने का समय अब अभिभावक के पास नही रहता है।

सोशल मीडिया करवा देता है डीवोर्स
जून 2016 में लखनऊ की रहने वाली एक लड़की को उसके पति ने सिर्फ इसलिए डिवोर्स दे दिया क्यूंकि वो बार बार मना करने पर भी फेसबुक करती थी। उसके पति ने उसकी प्रोफाइल को देखा तो वो और लड़को की पोस्ट को लाइक करती थी और बात भी करती थी। ये देखकर पति को शक हुआ की उसकी बीबी का अफेयर किसी दूसरे मर्द से चल रहा है और उसने उसे डिवोर्स दे दिया। इस तरह से सोशल मीडिया का परिणाम भयानक हो सकता है। अमेरिका, 2011 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अब डीवोर्स/ तलाक के पीछे फेसबुक को तीसरा सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है। अध्ययन में पाया गया है की पति- पत्नी, या लाइफ पार्टनर अपने साथी की प्रोफाइल को बार बार चेक करते रहते है और ये जानने की कोशिश करते है की उनका साथी किसे लाइक कर रहा है, किसे कमेन्ट कर रहा है। ऐसा करने से ईर्ष्या और साथी के प्रति विश्वास कम होता है और कई बार मामला तलाक तक पहुच जाता है। पति पत्नी, या लाइफ पार्टनर्स एक दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के बजाय सोशल मीडिया पर जादा समय देने लगे है जिससे उनके रिश्ते कमजोर हो रहे है।

स्टूडेंट्स की पढ़ाई का दुश्मन है सोशल मीडिया
जरूरत से जादा इस्तेमाल करने पर सोशल मीडिया का बुरा असर साफ़ देखा जा सकता है। इसके इस्तेमाल से इसकी लत लग जाती है और जब बच्चे पढने की कोशिश कर रहे होते है तो उनका ध्यान बार बार भटकता है। इसके अलावा हर सवाल का जवाब इंटरनेट पर मौजूद होने से बच्चे की याददास्त कमजोर होती है। उनको लगता है की उस सवाल को याद करने में दिमाग क्यों खपाया जाए जबकि उसका जवाब तो इंटरनेट पर मौजूद है।

इसके अलावा टेबलेट, मोबाइल, लैपटॉप, डेस्कटॉप कम्प्यूटर पर हमेशा काम करने से बच्चो की लिखावट बुरी तरफ प्रभावित होती है। वे लिखना भूलने जग जाते है राइटिंग काफी खराब हो जाती है। अब IIT के टॉपर्स भी सलाह देते है की किसी बड़ी प्रतियोगिता में बैठने से पहले 1 या 2 साल तक सोशल मिडिया से दूर रहे क्यूंकि इससे भटकाव बहुत होता है।

दुष्प्रचार करने का सबसे सरल तरीका
पिछले कुछ सालो में सोशल मिडिया का इस्तेमाल लोगो के खिलाफ दुष्प्रचार में तेजी से किया गया है। भड़काऊ सामग्री, आपतिजनक कंटेंट डालकर लोगो को परेशान किया जाता है। उनकी भावना से खेला जाता है, उनको भड़काने का प्रयास किया जाता है। कुछ आसामाजिक तत्व ऐसा करके दंगे भडकाने, किसी विशेष समुदाय के लोगो के खिलाफ नफरत पैदा करने में करते है। उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में साम्प्रदायिक तनाव भड़काने की घटनाये पायी गयी है। हाल के समय में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर दंगो में भी सोशल मिडिया का गलत इस्तेमाल करने की बाते सामने आई है। कहा जाता है की कुछ शरारती तत्वों से फेसबुक पर दो लड़को के मारने का फेक विडियो डाल दिया। उसके बाद एक नेता के भड़काऊ भासण के बाद पूरे मुजफ्फर नगर में हिसक दंगे भड़क गये और सैकड़ों लोगो की जान चली गयी।

बिना गलती के पुलिस कांस्टेबल हुआ सस्पेंड
अगस्त 2015 में दिल्ली में एक विडियो वायरल हुआ। 37 सेकंड का ये विडियो था। विडियो में दिल्ली पुलिस का एक कांस्टेबल मेट्रो ट्रेन में सफर कर रहा था और बोहोश होकर एक किनारे लुढ़का हुआ था। किसी यात्री ने उसका विडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया। कॉन्स्टेबल दिल्ली पुलिस का था इसलिए दिल्ली पुलिस को अपना राजनितिक विरोधी समझने वाली एक पार्टी ने उस विडीयो को वाइरल कर दिया। कांस्टेबल के खिलाफ प्रचार शुरू कर दिया गया की अगर दिल्ली पुलिस में इस तरह के शराबी लोगो को रखा जाएगा तो राजधानी की सुरक्षा कैसे होगी। सब तरफ से चलते दबाव के कारण दिल्ली पुलिस ने 6 दिन बाद नोटिस जारी किया और उस कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया।

बाद में जाँच में पता चला की कांस्टेबल का स्वास्थ्य ठीक नही था। उसे शराबी कहा गया था पर वो गम्भीर बीमारी से ग्रस्त था और उसे लकवा भी मार गया था। 2 महीने के बाद जाँच पूरी हुई और उस कांस्टेबल को 5 नवम्बर 2015 को फिर से बहाल कर दिया गया। पर जिसने भी वो विडियो अपलोड किया था उसने कोई सार्वजानिक माफ़ी नही मांगी। इस तरह एक गलत खबर ने दिल्ली पुलिस के इस कांस्टेबल की छवि पूरे देश और समाज के सामने खराब कर दी।

निष्कर्ष: फ्रेंड्स, हर सिक्के के कुछ दो पहलू होते है। अगर आप फेसबुक, ट्विटर, यू ट्यूब, व्हाट्सअप आदि जैसे सोशल मिडिया को जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करते है तो ये आपके लिए फायदेमंद होगा। पर अगर आप इसकी लत पाल लेते है तो विभिन्न प्रकार की समस्याये पैदा हो जाएंगी। निम्न बातो पर ध्यान दे- सोशल मिडिया को सीमित मात्रा में इस्तेमाल करे, अपने घर के मेम्बर्स के साथ जादा समय बिठाये, मनोरंजन के लिए दूसरी एक्टिविटीज जैसे बागवानी, सामुदायिक कार्य, मित्र के घर जाना, सिंगिंग, व्यायाम अदि को अपनाये, आभासी (वर्चुअल) दुनिया को ही असली दुनिया न समझे। अगर आप ऐसा करते है तो यकीनन सोशल मडिया आपके लिए लाभकारी साबित होगा।

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