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सर्दियों का मौसम आते ही लोगों की कंपकपी छूटने लगती है। नहाने, हाथ धोने, फेस धोने जैसे सभी कामों में बहुत ही ठंड लगती है। जो की सही भी है क्योंकि इस समय वातावरण का तापमान बहुत कम होता है जिसके कारण हमें बहुत ठंड लगती है। परन्तु कुछ लोग होते है जिन्हे कुछ ज्यादा ही ठंड लगती है। इस तरह के लोगों को हर समय ठंड लगने का अनुभव होता रहता है।
जिसे लोग आम बात समझकर छोड़ देते है। लेकिन क्या आप जानते है की हर समय ठंड का एहसास होना आम बात नहीं है, यह कई बिमारियों का कारण भी हो सकता है। क्योंकि ऐसी बहुत सी बीमारियां है जिनमे व्यक्ति को हर समय ठंड का अनुभव होता रहता है।
सर्दियों में ठंड सभी को लगती है लेकिन अगर आपको हर समय ठंड लगती है तो यह खराब सेहत का संकेत हो सकता है। शरीर के इम्यून सिस्टम ठीक से काम नहीं करने की वजह से भी यह परेशानी हो सकती है। यहाँ हम आपको ज्यादा ठंड लगने के कुछ विशिष्ट कारणों के बारे में बताने जा रहे है।
ज्यादा सर्दी लगने के ये कारण हो सकते है :-
1. एनीमिया :
अगर आपको गुर्दे की बिमारी है, तो एनीमिया के कारण आपको गर्मियों में भी ठंड लग सकती है। दरअसल यह एक गुर्दे का संक्रमण होता है जिसके कारण आपको ज्यादा ठंड लगती है और बुखार आ जाता है।
2. हाइपोथाइराइड :
हाइपोथाइराइड के लक्षणों में अधिक ठंड लगना भी सम्मिलित है। इसके कारण थाइराइड ग्रंथि का थाइरॉक्सिन हॉर्मोन के निर्माण में कमी आ जाती है। यह रोग अक्सर थाइराइड ग्रंथि के स्थाई तौर पर नष्ट हो जाने की वजह से होता है। इसके अलावा यह ऑटोइम्यूनिटी की वजह से भी होता है।
3. डायबिटीज :
डायबिटीज के मरीजों को भी ज्यादा ठंड लगती है। इसका कारण यह बिमारी ही होती है। जब पैंक्रियाज नामक ग्लैंड शरीर में इन्सुलिन बनाना कम कर देता है या बंद कर देता है तो यह बीमारी हो जाती है।
4. एनोरेक्सिया :
शरीर से चर्बी खत्म हो जाने के कारण भी व्यक्ति को अधिक सर्दी लगने की शिकायत रहती है। कैलोरी से बचने के लिए शरीर का तापमान कम हो जाता है। यह एक गंभीर मानसिक रोग है जिसमे अस्वस्थता और मृत्युदरें अन्य किसी मानसिक रोग जितनी हो होती है। इस बीमारी में लोग खाना खाना भी छोड़ देते है।
5. आयरन की कमी :
ऊर्जा की कमी, वजन बढ़ने के साथ-साथ ठंड सहन न होना और त्वचा रूखी होने के कारण आयरन की कमी भी हो जाती है। यह शरीर में हीमोग्लोबिन का निर्माण होता है जो ऑक्सीजन को पुरे शरीर में विशेषकर फेफड़ों तक पहुंचाने में सहायता करता है।
6. नींद न पूरी होना :
बहुत कम नींद लेने का प्रभाव सेहत और एकाग्रता दोनों पर पड़ता है। सामान्य स्थितियों में एक व्यक्ति को 7 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। अस्त व्यस्त दिनचर्या के कारण लोग अक्सर अपने शरीर की सबसे मुख्य जरूरत को अनदेखा कर देते है जिसके कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ये आपके मेटाबोलिज्म को भी कम करती है।
7. डिहाइड्रेशन :
प्रत्येक व्यक्ति को भरपूर पानी का सेवन करना चाहिए, विशेषकर तब जब आप कहीं बाहर काम करते है या बहुत अधिक शारीरिक परिश्रम करते है। क्योंकि शरीर में पानी की कमी होने से इलेक्ट्रोल्य्सिस कम होने लगते है जिससे थकावट होती है। प्यास लगने से पहले ही पानी पीने की आदत डालें। क्योंकि जब आपको प्यास लगती है तो इसका अर्थ है की आपके शरीर में पानी की कमी हो चुकी है और अब उसे पानी की आवश्यकता है।