एबॉर्शन यानी की गर्भपात किसी भी महिला के लिए शारीरिक और मानसिक पीड़ा लाता है। गर्भपात एक विशेषज्ञ की देखरेख में ही किया जाना चाहिए। एबॉर्शन को दो तरीको से किया जाता एक सर्जिकल यानी की ऑपरेशन के द्वारा और दूसरा मेडिकल एबॉर्शन मतलब दवाइयों के द्वारा। दोनों तरह के गर्भपात डॉक्टर की सलाह से और उनकी देखरेख में ही किये जाने चाहिए ताकि अगर कोई समस्या आये तो डॉक्टर उसे देख सके। गर्भपात किसी भी तरीके से किया जाए पर महिला की मानसिक स्तिथि और शरीर पर असर तो पड़ता ही है।
गर्भपात की प्रक्रिया शुरू होते ही महिला को ब्लीडिंग भी होने लगती है इसके अतिरिक्त पेट में दर्द और कमजोरी भी होती है। पेट में दर्द, ब्लीडिंग या कमजोरी कितनी लम्बी होगी यह बात इस बात पर निर्भर करती है के कितने माह का गर्भ था। जितना ज्यादा समय का गर्भ होता है उतना ज्यादा समय ही उस गर्भपात से निकलने में लगता है और जितने कम समय का गर्भपात होता उतनी ही जल्दी महिला इस पीड़ा से उभर पाती है।
हर महिला का स्वास्थ्य अलग होता है उसी प्रकार हर महिला की गर्भपात की स्थिति भी अलग हो सकती है। सामन्यतः यह देखने में आया है के एबॉर्शन के बाद 10 से 15 दिन तक ब्लीडिंग होती है। दवाइयों से किये गए गर्भपात के 10 से 15 दिन तक ज्यादा ब्लीडिंग होती है और सर्जिकल गर्भपात में हल्की ब्लीडिंग 7 से 9 दिन तक ही होती है। पर फिर भी जैसा हमने बताया के हर महिला का स्वास्थय अलग होता इसीलिए कुछ महिलाओं को एबॉर्शन के बाद 1 महीने से लेकर 40 दिन तक भी ब्लीडिंग रहती है।
समान्यतः गर्भपात के शुरूआती दिनों में यानी के 3 से 4 दिनों तक बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है और उसके बाद हल्की पड़ती जाती है। पर अगर किसी महिला को एबॉर्शन के एक हफ्ते के बाद तक भी हैवी मतलब ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है तो अपने डॉक्टरों से जरूर सलाह लें। रक्तस्राव या ब्लीडिंग के कारण हल्का पेट दर्द और कमजोरी महसूस होती ही है। अगर किसी महिला को असहनीय पेट दर्द और कमजोरी बहुत ज्यादा जिसमे वह खुद चल भी ना पा रही हो तो डॉक्टर को जरूर बताना चाहिए क्योंकि ऐसे में खून की कमी भी हो सकती है।
गर्भपात और एबॉर्शन का समय हर महिला के लिए दुखदायी समय होता है। इस समय में महिला मानसिक और शारीरक रूप से कमजोर हो जाती है। इसीलिए महिला की सही देखभाल बहुत जरुरी है। इस समय में महिला को पूर्ण संतुलित आहार के साथ दूध और सूखे मेवों का प्रयोग करना चाहिए जिससे शरीर का कुछ दर्द और कमजोरी कम हो सके।