गर्भ में शिशु की हलचल कम होने के कारण, पेट में शिशु की कम हलचल के कारण, गर्भ में शिशु की मूवमेंट से जुडी बातें, माँ के पेट में शिशु की हलचल कम होने के कारण
किसी भी महिला के लिए वो पल बहुत ही खास और यादगार होता है जब उसे पता चलता है की वो माँ बनने वाली है, लेकिन उससे भी खास पल वो होता है जब वो गर्भ में पहली बार शिशु की हलचल को महसूस करती है। गर्भ में शिशु की हलचल गर्भवती महिला को शिशु के सबसे करीब होने का अहसास करवाती है, और उसकी मातृत्व की भावना को बढ़ाती है। गर्भ में शिशु पांचवें महीने से हलचल शुरू कर देते हैं। शुरुआत में यह कम ही महसूस होती है लेकिन जैसे जैसे गर्भ में शिशु का विकास होता है उसकी हलचल को आप ज्यादा देर के लिए महसूस कर सकते हैं।
प्रेगनेंसी के पांचवे महीने में दिन में एक या दो बार आपको शिशु की हलचल महसूस होती है, लेकिन सातवें आठवे महीने में यह थोड़े ज्यादा समय के लिए होती है। ज्यादा रौशनी में जाने पर या ज्यादा शोर वाली जगह पर जाने से शिशु असहज महसूस करता है तो यदि आप ऐसी जगह पर जाती है तो आप शिशु की हलचल को काफी ज्यादा तेजी से अनुभव करती हैं। लेकिन कई बार शिशु प्रेगनेंसी के सातवें आठवें महीने में भी उतनी हलचल नहीं करते हैं, जितनी की उन्हें करनी चाहिए। लेकिन ऐसा क्यों होता है? इसके कई कारण हो सकते हैं, तो आइये आज हम आपको बताते हैं शिशु की कम हलचल के कारण कौन कौन से हो सकते हैं।
भ्रूण की हलचल की शुरुआत करने पर
यदि आपका गर्भ अभी पांच महीने का है तो शिशु अभी ज्यादा बड़ा नहीं होता है, ऐसे में शिशु गर्भ में हलचल तो करता है, लेकिन आप उसे ज्यादा समय के लिए महसूस नहीं करते हैं। दिन में ज्यादा से ज्यादा दो बार आप उसे महसूस कर सकते हैं। लेकिन जैसे जैसे शिशु का विकास बढ़ता है वैसे ही आप गर्भ में शिशु की हलचल को ज्यादा महसूस करने लग जाते हैं।
शिशु के कमजोर होने पर
यदि गर्भ में शिशु का वजन अच्छे से नहीं नहीं बढ़ता है, उसे अच्छे से पोषण नहीं मिलता है, तो शिशु कमजोर हो जाता है। जिसके कारण भी शिशु की गर्भ में हलचल में कमी आ सकती है।
शिशु से जुडी कोई समस्या होने पर
यदि शिशु का मानसिक या शारीरिक विकास अच्छे से नहीं हो पाता है यानी विकलांगता होने पर भी आपको हो सकता है गर्भ में शिशु की हलचल कम महसूस हो, इस बारे में एक बार आपको अपने डॉक्टर से जरूर बात करनी चाहिए।
तो यह हैं कुछ कारण जिनकी वजह से गर्भ में शिशु कम हलचल करता है लेकिन यदि आठवे नौवें महीने में दो घंटे से ज्यादा हो जाये और शिशु कोई हलचल न करें तो इसे अनदेखा न करते हुए तुरंत डॉक्टर से मिलें। साथ ही पांचवें महीने के बाद भी यदि आपको शिशु की हलचल महसूस न हो तो इसे भी इग्नोर न करें।