प्रेगनेंसी में रोज करने चाहिए यह 5 योगासन, प्रेगनेंसी में कौन से योगासन करने चाहिए, गर्भवती महिला को योगासन क्यों करना चाहिए, गर्भवस्था के दौरान यह 5 योगासन करने से मिलता है फायदा
योगासन करने से शरीर को कितने फायदे मिलते हैं यह तो आप सब जानते ही हैं। केवल स्वस्थ व्यक्ति को ही नहीं बल्कि प्रेगनेंसी के दौरान यदि महिलाएं योगासन करती है, तो इससे उन्हें भी प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली बहुत सी परेशानियों से निजात पाने में मदद मिलती है। गर्भवती महिला प्रेगनेंसी के दौरान बहुत से शारीरिक और मानसिक बदलाव से गुजरती है, जिसके कारण तनाव, थकान, कमजोरी, सूजन आदि की समस्या के कारण महिला को परेशान होना पड़ सकता है। और इस समय गर्भवती महिलाओं को व्यायाम से बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ज्यादा व्यायाम करना गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है।
लेकिन महिला दिन में यदि अपने लिए पंद्रह मिनट का समय निकालकर योगासन करती है, तो इससे गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली परेशानियों से बचाव करने में मदद मिलती है, साथ ही इसका फायदा गर्भ में पल रहे शिशु को भी होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता है की आप सारा दिन योगासन करें, सुबह उठने के बाद फ्रैश होकर यदि आप पंद्रह से बीस मिनट योगासन कर लेती है। तो यह आपको पूरे दिन एनर्जी से भरपूर रखने में मदद करता है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की गर्भवती महिला को कौन कौन सा योगासन करना चाहिए।
पर्वतासन करें
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले आप सुखासन यानि की आराम से चौकड़ी मारकर बैठ जाएँ। उसके बाद कमर को सीधी करके बैठें, और लम्बी सांस लेते हुए सर से ऊपर की और हाथो को नमस्ते की पोजीशन बनाते हुए जोड़ लें, और कोहनी को न मोड़ें। और सांस को अंदर की तरफ खींच कर रखें, और उसके बाद सांस को आराम से छोड़ दें। उसके बाद दो से तीन मिनट तक इसी पोजीशन में रहे, फिर दोबारा से सांस लें, और कमर को सीधा ही करके रखें। इस आसन को करने से गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के के दौरान वजन को कण्ट्रोल करने के साथ पीठ में होने वाले दर्द की समस्या से राहत पाने में मदद मिलती है, आप दो से तीन बार यह आसन करें ज्यादा न करें।
तितली आसन या भद्रासन
तितली आसन को प्रेगनेंसी के तीसरे महीने तक नहीं करना चाहिए लेकिन उसके बाद आप कर सकते हैं। इस आसन को करने के लिए आप दोनों पैरों को आमने सामने मोड़ लें, और पैरों के तलवे को मिलाते हुए नमस्ते की पोजीशन बनाएं। अब हाथों की उँगलियों को क्रॉस करते हुए नीचे की और हथेली और अपने अंगूठे को ऊपर की और से मिलाकर पकड़ें। इस आसन को करने से पेट के निचले हिस्से में दर्द की समस्या से बचाव के साथ डिलीवरी के दौरान आने वाली परेशानियों से बचाव करने में भी मदद मिलती है।
उत्कतासन
गर्भवती महिला यदि उत्कतासन करती है तो इससे गर्भवती महिला की रीढ़ की हड्डियों को मजबूत बनने के साथ बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर होने में मदद मिलती है। साथ ही प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली पीठ की समस्या से बचाव करने में भी मदद मिलती है। इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े हो जाएँ, और आराम से घुटनो को मोड़ते हुए ऐसी पोजीशन बनाएं जैसे की आप कुर्सी पर बैठे हुए हैं। साथ ही अपने हाथों को आगे करते हुए और बिना कोहनी को मोड़ते हुए नमस्ते की पोजीशन बनाएं। जितनी देर आप आराम से कर सकें उतनी बार ऐसा करें।
अनुलोम विलोम
अनुलोम विलोम करने के लिए सबसे पहले आप वज्रासन की पोजीशन में बैठ जाएँ। उसके बाद अपने हाथ की ऊँगली से दाहिनी तरफ से नाक के छिद्र को बंद करें और बाईं तरफ से सांस लें, उसके बाद आराम से बाईं और से नाक का छिद्र बंद करके दाहिनी तरफ से सांस छोड़ दें। ऐसा चार से पांच मिनट तक करें, और पीठ को सीधा रखें। इस योगासन को करने से नोर्मल डिलीवरी के दौरान आसानी होती है, साथ ही इससे सूजन की समस्या से बचाव करने और ब्लड प्रैशर को प्रेगनेंसी के दौरान कण्ट्रोल करने में मदद मिलती है।
शवासन
गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के दौरान तनाव का होना या किसी तरह की मानसिक परेशानी का होना, गर्भवती महिला के साथ गर्भ में पल रहे शिशु को भी नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे में शवासन करना गर्भवती महिला को तनाव से बचाने के साथ गर्भ में शिशु के बेहतर विकास में भी मदद करता है। इसे करने के लिए आप जमीं पर मैट यानि चटाई या दरी आदि बिछाकर हाथों, पैरों को खोलकर फ्री करके रिलैक्स होकर लेट जाएँ। उसके बाद आँखे बंद करके सांस लेते रहे और छोड़ते रहें, ऐसा पांच से दस मिनट तक करें, इससे आपको आराम महसूस होगा।
तो यह हैं कुछ योगासन जो प्रेगनेंसी के दौरान यदि गर्भवती महिला करती है तो इससे प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को स्वस्थ रहने के साथ शिशु के बेहतर विकास में भी मदद मिलती है। साथ ही प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली दर्द की समस्या, तनाव, आदि से भी आराम पाने में फायदा होता है।