गर्भवती महिला को डॉक्टर से कब मिलना चाहिए, प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर से कब मिलना चाहिए, गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर से कब मिलें, प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर की राय कब लेनी चाहिए
गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के दौरान हर कदम पर डॉक्टर की राय की जरुरत पड़ती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की वो रोजाना डॉक्टर से चेकअप करवाएं। प्रेगनेंसी के दौरान कम से कम बारह से अठारह बार तक डॉक्टर से चेकअप करवाना पड़ता है। लेकिन किसी भी गर्भवती महिला की स्थिति को देखकर पूरा अंदाजा नहीं लगा सकते हैं की इतनी बार डॉक्टर से मिलना पड़ेगा। क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान कुछ महिलाओं को बहुत सी समस्याएं हो जाती है तो कुछ स्वस्थ रहती है। ऐसे में डॉक्टर ही आपको गर्भवती महिला की स्थिति देखकर बता सकता है की कब आपको उनसे मिलना चाहिए। इसके अलावा किन स्थिति में आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए आइये जानते हैं।
प्रेगनेंसी कन्फर्म होने के बाद
यदि पीरियड्स मिस होने के बाद आपने घर पर ही प्रेगनेंसी टेस्ट किया है और वो पॉजिटिव भी आया है, तो ऐसे में आपको बिना देरी किये तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। और डॉक्टर द्वारा बताये गए सभी टेस्ट करवाने चाहिए और दवाइयां लेनी चाहिए ताकि शुरुआत से ही आपको प्रेगनेंसी में किसी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े।
अल्ट्रासॉउन्ड के लिए
गर्भवती महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान तीन से चार बार अल्ट्रासॉउन्ड करवाने की सलाह दी जाती है। और डॉक्टर को आपसे अल्ट्रासॉउन्ड कब करवाना चाहिए इस बारे में जानने के लिए, कितनी बार करवाना चाहिए और उसकी रिपोर्ट दिखाने के लिए मिलना चाहिए। अल्ट्रासॉउन्ड की रिपोर्ट देखकर आप अपने शिशु के सही विकास के बारे में जान सकते हैं।
रूटीन चेकअप के लिए
पंद्रह से बीस दिन के अंतराल पर गर्भवती महिलाओं को रूटीन चेकअप करवाने के लिए डॉक्टर कहते है। ऐसे में आपको बिना लापरवाही किये डॉक्टर द्वारा दिए गए समय पर जांच करवानी चाहिए। ताकि आपको किसी भी तरह की परेशानी से प्रेगनेंसी के दौरान बचने में मदद मिल सके।
किसी शारीरिक परेशानी के अधिक होने पर
बॉडी में हार्मोनल बदलाव होने के कारण गर्भवती महिला को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में कोई परेशानी अधिक हो जैसे की उल्टी अधिक आने लग जाए, थकान और कमजोरी का अनुभव हो, तनाव होने लगे, रक्तस्त्राव हो या आपको किसी भी कारण असहज महसूस हो। तो ऐसे में आपको घर पर इसका उपचार नहीं करना चाहिए, और न ही इसे इग्नोर करना चाहिए, बल्कि जितना जल्दी हो सके डॉक्टर से राय लेनी चाहिए।
शिशु की मूवमेंट कम होने पर
पांचवे महीने में गर्भवती महिला गर्भ में शिशु की हलचल को अच्छे से समझने लग जाती है, और जैसे जैसे शिशु का विकास बढ़ता है, वैसे वैसे शिशु ज्यादा हलचल करने लगता है। ऐसे में शिशु की हलचल कम होने लगे या आपको शिशु की हलचल महसूस न हो तो इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
दर्द की समस्या होने पर
यदि आपको पेट या पीठ में, सिर में, या शरीर के किसी अन्य भाग में अधिक दर्द महसूस हो, और असहनीय हो तो भी आपको एक बार डॉक्टर से जरूर राय लेना चाहिए। क्योंकि शुरूआती दिनों में जहां पेट व् पीठ का दर्द गर्भपात का लक्षण होता है, वहीँ प्रेगनेंसी के बीच में इसका होना समयपूर्व प्रसव का लक्षण होता है, और आखिरी दिनों में यह लेबर पेन की तरफ इशारा कर सकता है।
डिलीवरी का समय पास आने पर
प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में आपको डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए, क्योंकि लेबर पेन कब हो जाये इसका आपको पता नहीं होता है। ऐसे में आपको डॉक्टर से राय लेते रहना चाहिए ताकि डिलीवरी के समय आने वाली परेशानियों से बचने में आपको मदद मिल सके।
प्रेगनेंसी में यदि कोई दिक्कत हो
यदि आपको प्रेगनेंसी में किसी तरह की परेशानी हो, या आपको पहले से ही डॉक्टर ने सिजेरियन डिलीवरी करवाने के लिए कहा हो तो ऐसे में आपको जिस समय डॉक्टर ने मिलने के लिए कहा हो तभी आपको मिलना चाहिए।
तो यह है कुछ बातें जो यदि आपको महसूस हो तो आपको इस समय डॉक्टर से मिलना चाहिए और उनकी राय लेना चाहिए, साथ ही डॉक्टर से मिलने में कभी भी किसी भी तरीके की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। इन टिप्स का इस्तेमाल करने से प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली किसी भी परेशानी से बचने में मदद मिलती है।