प्रेगनेंसी के दौरान गर्भ में शिशु

गर्भवस्था के दौरान गर्भ में शिशु क्या करता है, कैसे जिन्दा रहता है, शिशु का विकास कैसे बढ़ता है, शिशु तक खाना कैसे पहुंचाया जाता है, शिशु की मूवमेंट कब होती है, आदि। ऐसे ही कुछ प्रशनो के आस पास गर्भवती महिला का दिल और दिमाग घूमता रहता है, क्योंकि गर्भ में शिशु से माँ का भावनात्मक सम्बन्ध सबसे पहले जुड़ता है, और माँ बनने का अहसास महिला को इन सब चीजों के बारे में जानने की उत्सुकता को बढ़ाता है। गर्भ में शिशु तीन चीजों पर सबसे ज्यादा निर्भर करता है प्लेसेंटा, गर्भनाल और एमनियोटिक फ्लूड। प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से जुड़ा होता है, जो प्रेगनेंसी के दौरान बॉडी से हॉर्मोन को रिलीज़ करने के साथ शिशु तक ऑक्सीजन, खून, पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पहुंचाता है।

साथ ही यह शिशु के गर्भ में बेहतर विकास के लिए गर्भ से सभी वेस्ट प्रोडक्ट्स को बाहर निकालने में मदद करता है। इसके अलावा यदि प्लेसेंटा की पोजीशन सही नहीं होती तो इसके कारण कई बार शिशु के समय से पहले जन्म होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके बाद दूसरा मुख्य भाग गर्भनाल होता है जो एक सिरे से प्लेसेंटा से दूसरी तरफ से शिशु से जुड़ा होता है, जो शिशु को अच्छे से गर्भ में घूमने में मदद करता है, और शिशु तक सही तरह से पोषण मिले इस चीज का ध्यान रखता है। और एमनियोटिक फ्लूड में शिशु पुरे नौ महीने तक रहता है, और यह शिशु को बाहरी झटके, दबाव आदि से बचाने में मदद करने के साथ शिशु के विकास में भी मदद करता है, और प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में प्राइवेट पार्ट से एमनियोटिक फ्लूड का निकलना प्रसव का संकेत हो सकता है।

गर्भ में अंदर भी शिशु की तबियत खराब होती है

आपने यह तो सुना ही होगा की गर्भ में शिशु का विकास पूरी तरह से गर्भवती महिला पर निर्भर करता है महिला जो भी खाती है, जैसे रहती है, जैसा सोचती है इन सब चीजों का असर न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी शिशु को प्रभावित करता है। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान बहुत सी महिलाएं पूछती हैं की क्या गर्भ में भी शिशु की तबियत खराब होती है। तो इसका जवाब होता है देना थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन यह सच है की शिशु महिला द्वारा गतिविधियों से प्रभावित जरूर होता है। तो आइये जानते हैं गर्भ में शिशु की तबियत से जुडी कुछ बातें।

गर्भपात

प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने महिला के लिए बहुत ही अहम होते हैं ऐसे में महिला को अपना बेहतर तरीके से ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। लेकिन कई कई बार गलत खान पान, स्वास्थ्य का अच्छे से ध्यान न रखने या किसी लापरवाही के करने के कारण गर्भ में शिशु के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जिसके कारण महिला को गर्भपात जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

शिशु का वजन

गर्भ में पल रहे शिशु का विकास पूरी तरह से महिला पर ही निर्भर करता है ऐसे में महिला द्वारा लिए लिया जाने वाला आहार शिशु तक जब पहुँचता है, तो वह शिशु के विकास बढ़ाने में मदद करता है। और महिला यदि प्रेगनेंसी के दौरान अपने आहार का सही से सेवन नहीं करती है या ऐसी चीजों का सेवन करती है जिससे महिला का स्वास्थ्य गलत तरीके से प्रभावित होता है। तो यह शिशु के विकास को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे शिशु को वजन जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है जैसे की जन्म के समय शिशु के वजन में कमी की समस्या हो सकती है।

मौसम का बदलाव

मौसम का बदलाव होने के साथ महिला को अपनी केयर के तरीके में बदलाव करने की सलाह भी दी जाती है। क्योंकि इसका असर न केवल गर्भवती महिला पर पड़ता है बल्कि शिशु पर भी पड़ सकता है। जैसे की यदि महिला किसी तरह के संक्रमण या फ्लू आदि से प्रभावित होती है तो उसके वायरस के गर्भवती महिले के शरीर में प्रवेश करने पर वह शिशु को भी प्रभावित कर सकता है। जिसके कारण शिशु के विकास में कमी या जन्म के समय शिशु को किसी बिमारी के होने का खतरा भी बढ़ जाता है, या फिर गर्भ में शिशु का स्वास्थ्य शारीरिक या मानसिक रूप से भी प्रभावित हो सकता है।

प्रदूषण या भीड़भाड़ में जाने का असर

गर्भवती महिला यदि प्रदूषण के संपर्क में आती है या ऐसी जगह पर जाती है जहां भीड़भाड़ अधिक होती है, तो यह भी शिशु के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकती है। जैसे की इससे महिला के साथ शिशु भी संक्रमण से प्रभावित हो सकता है, और कई बार इससे शिशु के अंगो के विकास जैसे की शिशु की सुनने की क्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है।

समय पूर्व प्रसव

यदि प्रेगनेंसी के दौरान महिला को कई तरह की कॉम्प्लीकेशन्स का सामना करना पड़ता है, महिला कोई लापरवाही करती है, महिला किसी शारीरिक समस्या से ग्रसित होती है, तनाव से ग्रसित होती है, आदि। तो इसका असर केवल गर्भवती महिला पर ही नहीं बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ता है जिसके कारण महिला को समय पूर्व प्रसव जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

तो यह हैं कुछ कारण जिनसे गर्भ में पल रहा शिशु प्रभावित हो सकता है। ऐसे में गर्भवती महिला को अपनी सेहत का खास ध्यान रखना चाहिए। ताकि प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों को स्वस्थ रहने में मदद मिल सके।

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