करवाचौथ

भारत में त्यौहारों, व्रत आदि का अलग ही महत्व है और इनकी धूम भी अलग -अलग जगह पर अलग ही देखने को मिलती है, लेकिन इनका मतलब एक ही होता है बीएस सबके रीति रिवाज़ अलग अलग होते हैं। तो आज हम ऐसे ही एक व्रत के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसके लिए बहुत दिनों पहले से ही महिलाएं तैयारी करना शुरू कर देती है। और वो व्रत है करवा चौथ, यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है, यह त्यौहार सुहागन स्त्रियों के लिए बहुत महत्व रखता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए प्रार्थना करती है और निर्जला उपवास रखती है। साथ ही महिलाएं पूरे सोलह श्रृंगार करके दुल्हन की तरह तैयार होती है। इस दिन की शुरुआत सुबह से ही हो जाती है। सूरज के निकलने से पहले (लगभग सुबह के 4 बजे) व्रत रखने वाली महिला सरगी का सेवन करती है। सरगी में महिलाएं फल, जूस, सेवइयां, ड्राई फ्रूट आदि का सेवन करती है। और यह सरगी उनकी सास द्वारा उन्हें दी जाती हैं जिसमे खाने पीने के साथ महिला के श्रृंगार का सामान भी होता है।

उसके बाद महिलाएं नहा धोकर साफ़ कपडे पहनकर पूजा की तैयारी आरम्भ करती है। पूजा के दौरान महिला अपनी सास के लिए बायना निकालती है, जिसे करवाचौथ की पूजा करने के बाद सास ससुर को दिया जाता है। शाम के समय पूजा के लिए महिलाएं दुल्हन की तरह तैयार होकर करवा चौथ माता की कथा सुनती हैं। और हाथ जोड़ कर करवा माता से अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करने के साथ अपने शादीशुदा जीवन में खुशहाली बने रहने की प्रार्थना करती है। पूजा के बड़ा घर आकर अपने सास ससुर से आशीर्वाद लेकर उन्हें बायना देती है। उसके बाद जैसे जैसे दिन ढलता जाता है वैसे वैसे छतों पर रौनक बढ़ने लगती है, क्योंकि महिलाएं अपने व्रत को पूरा करने के लिए चाँद के आने का इंतज़ार करने लगती है, क्योंकि बिना चाँद को देखे यह व्रत सम्पूर्ण नहीं माना जाता है।

उसके बाद चाँद के आते ही महिलाएं चाँद को जल अर्पित करती है। फिर छलनी में से पहले चाँद को देखती हैं और फिर अपने पति को देखती है। फिर पूजा आरती खत्म होने के बाद महिला अपने जीवनसाथी के पैर छूती है। और पैर छूने के बाद अपने जीवनसाथी का साथ हमेशा बना रहे इसके लिए प्रार्थना करती है। उसके बाद पति अपनी पत्नी को पानी पिलाता है, और मिठाई खिलाता है। केवल महिला की नहीं बल्कि कुछ पति भी अपनी पत्नी का साथ देने के लिए इस दिन निर्जल उपवास भी रखते हैं, और ज्यादातर महिलाएं चाहती भी होंगी की उनके पति भी उनका साथ देने के लिए ऐसा करें। साथ ही अपनी पत्नी को करवा चौथ के दिन बेहतरीन उपहार भी देते हैं। और ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि इससे व्रत भी पूरा हो जाता है और पति पत्नी के बीच के प्यार को बढ़ाने में भी मदद मिलती है।

करवा चौथ 2019 कब है पूजा समय व् शुभ मुहूर्त

करवा चौथ 2019: 17 अक्टूबर दिन वीरवार

करवा चौथ पूजा मुहूर्त का शुभ मुहूर्त: शाम 17:46 से 19:02

चाँद निकलने का समय: 20:20 (17 अक्टूबर)

चतुर्थी तिथि आरंभ: 06:48 (17 अक्टूबर)

चतुर्थी तिथि समाप्त: 07:28 (18 अक्टूबर)

तो यह है 2019 करवाचौथ से जुडी जानकारी, तो यदि आप भी इस व्रत को करती है तो इस दिन की सम्पूर्ण जानकारी यहां से ले सकती है।

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