गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जब हर महिला के मन में बहुत से सवाल होते है बहुत सा मानसिक और शारीरिक तनाव होता है। वैसे यह समय बहुत ख़ुशी के साथ व्यतीत करना चाहिए पर अक्सर ऐसा हो नहीं पाता है। क्योंकि हर महिला की हर गर्भावस्था अलग होती है। किस गर्भवती महिला को किस चीज से परेशानी हो सकती है इस बारे में उनके डॉक्टर से बेहतर कोई नहीं बता सकता है।

प्रेगनेंसी को पुरे नो महीनों में हमे हमारे डॉक्टर से मिलते रहना चाहिए क्योंकि एक वहीं होते है जो हमारी और हमारे होने वाले शिशु की सेहत के बारे में सही सही बता सकते है। प्रेगनेंसी कन्सीव करते ही सबसे पहले अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। उन्हें अपने पूरी मेडिकल कंडीशन के बारे में बताना चाहिए हमे जो भी परेशानी हो या कोई भी मेडिकल हिस्ट्री वह सब पहली विजिट में ही अपने डॉक्टर को बता देना चाहिए।

पर ऐसा कभी नहीं होना चाहिए के कन्सीव करते ही अपने डॉक्टर से आप मिले और उसके बाद कभी डॉक्टर के पास विजिट भी नहीं किया ऐसा करना आपके और आपके शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। प्रेगनेंसी के पुरे नो महीने यानी हर एक महीने में आपको अपने डॉक्टर मिलना जरुरी है अब आप जानना चाहेंगे की ऐसा क्यों तो निचे दिए गए कारणों को पढ़िए।

  •  गर्भावस्था के दौरान बहुत से परेशानियों से गुजरना पड़ता है और एक डॉक्टर ही होता जो आपकी लगभग हर परेशानी का हल निकाल सकते है।
  • पहली विजिट में ही डॉक्टर आपको बहुत से टेस्ट लिखकर देते है जिन्हे करवाने के बाद वह जान पाते है के आपका गर्भ में पल रहे शिशु की कितनी ग्रोथ हो रही है और क्या परेशानी है।
  • यदि आपको पेट में दर्द हो या फिर कोई अन्य परेशानी तो उसके लिए भी आपको अपने डॉक्टर से मिलना जरुरी हो जाता है।
  • हर महीने अपने डॉक्टर से मिलने पर शिशु की सही ग्रोथ और सही सेहत के बारे में जानकारी मिलती रहती है।
  • क्या आप जानते है के गर्भावस्था के पुरे नो महीनो में आपके शिशु का धीरे धीरे विकास होता है जैसे पहले माह में बेबी की हार्ट बीट आती, दूसरे माह में शिशु के शरीर का निर्माण होने लगता है और तीसरे में शिशु की उंगलियों, पैर का पूरी तरीके से विकास हो जाता है। पर इन सभी चीजों के बारे के सही जानकारी हमे डॉक्टर ही दे सकते है।
  • इसीलिए हर महीने डॉक्टर से मिलना जरुरी हो जाता है के शिशु का जिस विकास दर से विकास होना चाहिए था वह उस महीने में हुआ भी है या नहीं।
  • हर महीने के होने वाले टेस्ट भी अलग अलग होते है, उनके बारे में भी डॉक्टर ही बताते है के कब कौनसा टेस्ट करवाना है और किस टेस्ट से हमे क्या पता चलेगा इसकी भी सही जानकारी डॉक्टर ही दे पाएंगे।
  • आजकल के समय में विज्ञानं इतना आगे बढ़ चूका है के डॉक्टर इसका इस्तेमाल कर सिर्फ हमे शिशु के शारीरिक विकास की ही जानकारी नहीं देंगे बल्कि शिशु के मानसिक विकास के बारे में भी बताएंगे।
  • इसके अतिरिक्त प्रेगनेंसी में हमे सभी सलाह देते रहते है के क्या खाना है और क्या नहीं खाना है। पर पोषक तत्वों के आधार पर डॉक्टर से सलाह लेकर ही हमे किसी चीज का सेवन करना चाहिए।
  • प्रेगनेंसी के दौरान बहुत सी महिलाओं को तनाव भी हो जाता है और मन में बहुत से सवाल और परेशानिया भी होने लगती है ऐसे में डॉक्टर की ही सही सलाह से तनाव दूर कर सभी प्रश्नो का उत्तर पाया जा सकता है।
  • गर्भावस्था में कई महिलाओं को नींद नहीं आती, जिसका सीधा प्रभाव शिशु को माँ दोनों की सेहत पर पड़ता है ऐसी स्थिति में भी डॉक्टर से बहुत मदद मिलती है।
  • प्रेगनेंसी होते ही घर के सभी हमे ढेर सारा खाना खाने की सलाह देने लगते है और हमारी डाइट बढ़ाने में भी लग जाते है। पर क्या आप जानते के प्रेगनेंसी में सही वेट का बढ़ना ही जरुरी है जरुरत से ज्यादा वेट नुकसानदेह हो सकता है। किस गर्भवती महिला का कितना वेट बढ़ना चाहिए यह उसकी हाइट पर ही निर्भर करता है इसके लिए भी सही अनुमान आपके डॉक्टर ही आपको दे सकते है।

पूरी प्रेगनेंसी के हर कदम पर हमे डॉक्टर की जरुरत पड़ती रहती है अगर आपको शारीरिक रूप से कोई परेशानी ना भी हो तब भी हर महीने अपने और अपने शिशु के सेहत के सही जानकारी के लिए डॉक्टर से जरूर मिले।

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