प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को पानी का भरपूर सेवन करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि पानी का भरपूर सेवन करने से प्रेग्नेंट महिला को प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली परेशानियों से निजात मिलता है। साथ ही बच्चे के विकास के लिए गर्भवती महिला को भरपूर पानी पीना चाहिए। लेकिन यदि गर्भवती महिला के शरीर में पानी की कमी होती है तो इसके कारण महिला को सूजन, थकान, कमजोरी, बॉडी में दर्द, पेट से सम्बन्धी समस्या जैसे की कब्ज़ आदि होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही इसका असर महिला के पेट में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है। तो आइये आज इस आर्टिकल में हम इस बारे में ही बात करने जा रहे हैं की यदि प्रेग्नेंट महिला के शरीर में पानी की कमी होने पर शिशु को क्या क्या नुकसान होते हैं।
एमनियोटिक फ्लूड की कमी
गर्भाशय में बच्चा जिस द्रव में नौ महीने तक होता है उसे एमनियोटिक फ्लूड कहा जाता है। प्रेग्नेंट महिला यदि तरल पदार्थों का सेवन भरपूर मात्रा में करती है तो इससे एमनियोटिक फ्लूड की मात्रा को सही रखने में मदद मिलती है। लेकिन यदि महिला के शरीर में पानी की कमी होती है तो इससे एमनियोटिक फ्लूड की मात्रा में कमी आने की सम्भावना होती है जिसके कारण बच्चे के विकास से जुडी परेशानियां होती है।
गर्भपात का होता है खतरा
पानी का भरपूर सेवन करने से शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। लेकिन यदि प्रेग्नेंट महिला पानी का भरपूर सेवन नहीं करती है तो इस कारण बॉडी के तापमान के बढ़ने का खतरा रहता है, गर्भनाल अच्छे से काम नहीं कर पाती है जिससे गर्भ गिरने का खतरा बढ़ जाता है।
गर्भनाल सूखने लगती है
प्रेग्नेंट महिला के शरीर में पानी की कमी होने के कारण गर्भनाल सूखने लगती है और गर्भनाल के माध्यम से ही प्रेगनेंसी के दौरान शिशु के लिए जरुरी पोषक तत्व, रक्त, ऑक्सीजन आदि पहुंचाया जाता है। ऐसे में यदि गर्भनाल सूखने लगती है तो बच्चे के विकास लिए जरुरी चीजें बच्चे तक नहीं पहुँच पाती है जिसके कारण बच्चे के शारीरिक व् मानसिक विकास में कमी आ सकती है।
शिशु की मूवमेंट होती है कम
गर्भाशय में तरल पदार्थ की कमी के कारण बच्चे को गर्भ में घूमने में दिक्कत हो सकती है। जिसके कारण शिशु कम मूव कर पाता है। और गर्भ में शिशु असहज महसूस करता है।
शिशु का विकास नहीं हो पाता है
गर्भ में शिशु को पानी की कमी होने के कारण शिशु के फेफड़े, पाचन तंत्र व् उसके अन्य नाजुक अंगों का पूर्ण विकास नहीं होता है। जिसके कारण शिशु का शारीरिक व् मानसिक विकास अच्छे से नहीं हो पाता है।
संक्रमण का खतरा
पानी की कमी के कारण प्रेग्नेंट महिला की इम्युनिटी कमजोर होने के कारण महिला को संक्रमण होने का खतरा रहता है इसके अलावा यूरिन इन्फेक्शन, प्राइवेट पार्ट में इन्फेक्शन होने की समस्या का खतरा भी होता है। और यदि प्रेग्नेंट महिला को संक्रमण होता है तो इसका असर बच्चे पर भी पड़ सकता है जिसके कारण बच्चे को दिक्कत हो सकती है।
समय से पहले डिलीवरी
गर्भवती महिला के शरीर में पानी होने के कारण महिला की डिलीवरी समय से पहले होने का खतरा होता है। जिसकी वजह से जन्म के समय शिशु के वजन में कमी जैसी परेशानी होती है।
तो यह हैं कुछ नुकसान जो गर्भवती महिला के शरीर में पानी की कमी होने पर बच्चे को हो सकते हैं। ऐसे में प्रेग्नेंट महिला को पानी का भरपूर सेवन करना चाहिए ताकि माँ व् बच्चे दोनों को प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली परेशानियों से निजात मिल सके, और बच्चे का शारीरिक व् मानसिक विकास बेहतर हो सके।