जब महिला को पता चलता है की वो माँ बनने वाली है तो वो पल महिला के लिए बहुत ही उत्साहित कर देने वाला होता है। साथ ही महिला उसी पल से अपने गर्भ में पल रहे शिशु से भावनात्मक रूप से जुड़ जाती है। महिला व् परिवार का हर सदस्य उस पल का बेसब्री से इंतज़ार करता है की कब नन्हा मेहमान उनकी जिंदगी में आएगा। लेकिन सच तो यह हैं की जैसे ही बच्चा गर्भ में आता है वैसे ही वो भी अपनी माँ से जुड़ जाता है और उसी पल से उसका विकास होना शुरू हो जाता है। साथ ही गर्भ में भी बच्चा ऐसी ऐसी हरकतें करता है जिसे आप देख नहीं सकते हैं।
जैसे की गर्भ में शिशु में शिशु का हंसना, रोना, अंगूठा चूसना, आदि। अब आप सोच रहे होंगे की क्या बच्चा सच में ऐसा करता है? तो इसका जवाब है जी हाँ, बच्चा गर्भ में ऐसी बहुत सी हरकतें करता है। बस फ़र्क़ इतना होता है की बच्चे के जन्म के बाद आप उन्हें महसूस कर सकते हैं देख सकते है जबकि गर्भ में उनका पता नहीं चलता है। साथ ही गर्भ में बच्चा गर्भ में बाहर होने वाली चीजों से भी खुश या नाराज़ हो सकता है। तो आज इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं की गर्भ में शिशु खुश कब होता है।
जब माँ खुश होती है
गर्भावस्था के दौरान जब माँ खुश रहती है तो इसका असर गर्भ में शिशु पर भी पड़ता है। जिससे माँ के पेट शिशु भी खुश रहता है इसीलिए प्रेगनेंसी के दौरान महिला को खुश रहने की सलाह दी जाती है।
महिला के शिशु से बातें करने पर
माँ के पेट में बच्चा बाहर की आवाज़ों को सुन सकता है ऐसे में जब माँ अपने बच्चे से बातें करती है, कहानियां सुनाती है तो इसे सुनकर गर्भ में बच्चा बहुत खुश होता है। और जितना अधिक माँ अपने बच्चे से बातें करती है उतना ही ज्यादा माँ और बच्चे का भावनात्मक लगाव बढ़ता जाता है।
बच्चा जब मधुर संगीत सुनता है
धीमी धीमी आवाज़ में मधुर संगीत जब गर्भ में पल रहे शिशु को सुनाई देता है। तो संगीत सुनने से भी गर्भ में शिशु खुश होता है। लेकिन ध्यान रखें की ज्यादा तेज आवाज़ में गाने नहीं सुनें। क्योंकि इसके कारण शिशु के सुनने की क्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है।
प्रेगनेंसी में कोई भी लापरवाही न करने पर
जब प्रेगनेंसी के दौरान महिला कोई भी लापरवाही नहीं करती है जैसे की ट्रैवेलिंग नहीं करती है, पेट के बल नहीं सोती है, उन चीजों का सेवन नहीं करती है जो बच्चे को नुकसान पहुंचाती है, झुककर काम नहीं करती है, पेट के बल कोई काम नहीं करती है, आदि। तो ऐसा करने से गर्भ में शिशु दिक्कत महसूस नहीं करता है। और जब शिशु को गर्भ में कोई दिक्कत नहीं होती है तो गर्भ में शिशु खुश रहता है।
जब महिला बच्चे का मनपसंद आहार खाती है
गर्भ में शिशु को खाने के स्वाद का भी पता चलने लगता है जब महिला कुछ ऐसा खाती है जिसका स्वाद बच्चे को पसंद आता है। तो उस स्वाद का लुत्फ़ उठाकर गर्भ में बच्चे ख़ुशी महसूस करता है।
भरपूर आराम करने पर
प्रेगनेंसी के दौरान यदि महिला सारा दिन काम करती है आराम नहीं करती है। तो इसके कारण महिला को थकान, कमजोरी व् अन्य शारीरिक परेशानियां होने का खतरा रहता है। और जब महिला परेशान होती है तो गर्भ में बच्चा भी परेशान होता है। लेकिन यदि महिला प्रेगनेंसी के दौरान भरपूर आराम करती है तो ऐसा करने से महिला को आराम मिलता है और बच्चा भी गर्भ में खुश महसूस करता है।
बच्चे का अच्छे से विकास होने पर
प्रेग्नेंट महिला यदि पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करती है। तो इससे महिला को स्वस्थ रहने के साथ बच्चे का विकास भी अच्छे से होता है। और जब बच्चे का विकास अच्छे से होता है। तो गर्भ में बच्चा एक्टिव रहता है और खुश भी रहता है।
पेट पर हाथ फेरने से
माँ का अहसास किसी भी बच्चे के लिए बहुत ही प्यारा होता है ऐसे में जब गर्भवती महिला अपने पेट पर हाथ फेरती है तो इससे गर्भ में शिशु बहुत अच्छा महसूस करता है और खुश होता है।
भरपूर पानी पीने से
हाइड्रेटेड रहना गर्भवती महिला के लिए बहुत जरुरी होता है। क्योंकि जब महिला भरपूर पानी का सेवन करती है तो इससे महिला को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। साथ ही गर्भाशय में एमनियोटिक फ्लूड की मात्रा सही रहती है। जिससे गर्भ में शिशु का विकास अच्छे से होता है और जब शिशु का विकास अच्छे से होता है तो बच्चा माँ के पेट में खुश रहता है।
टेंशन नहीं लेने पर
गर्भवती महिला के तनाव लेने के कारण न केवल महिला की सेहत पर बुरा असर पड़ता है बल्कि बच्चे का विकास भी अच्छे से नहीं होता है। जिसके कारण बच्चा गर्भ में एक्टिव नहीं होता है। ऐसे में यदि आप चाहती है की गर्भ में आपका शिशु खुश रहे तो इसके लिए जरुरी है की महिला अपनी प्रेगनेंसी को अच्छे से एन्जॉय करे। और बिल्कुल भी टेंशन नहीं ले।
तो यह हैं गर्भ में शिशु कब खुश होता है इससे जुड़े कुछ खास टिप्स, यदि आप भी प्रेग्नेंट है तो आपको भी इन सभी बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए। ताकि गर्भ में शिशु को भी खुश होने में मदद मिल सके। और जब बच्चा गर्भ में खुश होगा तो उसका विकास भी बेहतर तरीके से होने में मदद मिलेगी।
When is the baby happiest in the mother’s womb
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