गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में बहुत से परिवर्तन होते हैं और ऐसा नहीं है की यह सभी परिवर्तन एक ही बार में हो जाते हैं। बल्कि प्रेगनेंसी के हर हफ्ते हर महीने महिला अपने शरीर में होने वाले बहुत से बदलाव का अनुभव करती है। आज इस आर्टिकल में हम आपको प्रेगनेंसी के दौरान एक से नौ महीने तक कौन कौन से शारीरिक बदलाव का अनुभव करती है उसके बारे में बताने जा रहे हैं।
पीरियड्स
गर्भावस्था कन्फर्म होने के बाद से ही महिला को पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं। और पीरियड्स का मिस होना ही प्रेगनेंसी का पहला लक्षण होता है। लेकिन कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान स्पॉटिंग यानि की हलके खून के धब्बे लगने की समस्या हो सकती है। परन्तु यदि महिला को ब्लीडिंग ज्यादा हो तो यह खतरे का संकेत होता है।
ब्रेस्ट में बदलाव
गर्भावस्था के दौरान महिला को अपने ब्रेस्ट में भी बदलाव महसूस होता है। जिसकी वजह से ब्रेस्ट कड़े, टाइट, सूजे व् उभरे हुए महसूस होते हैं। साथ ही महिला को ब्रेस्ट में दर्द भी महसूस हो सकता है।
वजन
प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला का वजन पंद्रह से सोलह किलो बढ़ सकता है। और यदि गर्भ में शिशु एक से ज्यादा हो तो महिला का वजन और भी ज्यादा बढ़ सकता है।
पेट का आकार
गर्भावस्था के महीने जैसे जैसे आगे बढ़ते हैं वैसे वैसे गर्भ में शिशु का विकास बढ़ता है और गर्भ में शिशु का विकास बढ़ने के साथ गर्भाशय का आकार भी बढ़ता है। जिसकी वजह से महिला के पेट का आकार भी बढ़ता है।
खान पान से जुड़े बदलाव
गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं के खाने की इच्छा में बढ़ोतरी हो सकती है तो कुछ महिलाओं का खाने का मन नहीं करता है। लेकिन प्रेग्नेंट महिला को अपने खान पान का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए और महिला को न तो जरुरत से ज्यादा खाना चाहिए और न ही जरुरत से कम खाना चाहिए।
थकान व् कमजोरी
प्रेगनेंसी के समय महिला को थकान व् कमजोरी की समस्या का होना भी आम बात होती है। और इसका कारण आराम में कमी, शरीर में पोषक तत्वों की कमी, जरुरत से ज्यादा महिला का काम करना, वजन बढ़ने के कारण आदि हो सकते हैं। और इस समस्या से अधिकतर गर्भवती महिलाएं परेशान भी रहती है।
यूरिन ज्यादा आना
आम लोगो की अपेक्षा प्रेग्नेंट महिला को यूरिन ज्यादा पास करने की इच्छा होती है क्योंकि गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण पेट के निचले हिस्से पर दबाव बढ़ जाता है। जिस वजह से जल्दी जल्दी यूरिन पास करने की इच्छा होती है।
सांस लेने में दिक्कत
कुछ गर्भवती महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान सांस फूलने की समस्या या सांस लेने में कठिनाई का सामना भी करना पड़ सकता है। और इसका कारण महिला का वजन बढ़ना हो सकता है।
शारीरिक परेशानियां
गर्भावस्था के दौरान प्रेगनेंसी की शुरुआत से ही महिला को कुछ न कुछ शारीरिक परेशानी का होना भी लगा रहता है। जैसे की महिला को उल्टियां, जी मिचलाना, बॉडी पेन, कमजोरी, मूड स्विंग्स की समस्या लगी रहती है।
सूजन
गर्भवती महिलाओं को हाथों, पैरों में सूजन की समस्या भी हो सकती है। और यह समस्या अधिकतर प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में महिला को हो सकती है।
दर्द महसूस होना
प्रेगनेंसी के दौरान बॉडी में होने वाले हार्मोनल बदलाव की वजह से, शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण, जरुरत से ज्यादा शरीर पर दबाव डालने की वजह से दर्द की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। और यह दर्द महिला को सिर, पैर, घुटनों, जोड़ो, कमर, पेट में महसूस हो सकता है।
स्किन से जुड़े बदलाव
प्रेगनेंसी के दौरान कुछ महिलाओं को स्किन पर दाग धब्बे, मुहांसे, झाइयां, स्किन में रूखापन जैसी समस्या भी हो सकती है। साथ ही कुछ महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान खुजली की समस्या का सामना भी कर सकती है।
बैली बटन में फैलाव
जैसे जैसे प्रेग्नेंट महिला के पेट का आकार बढ़ता है वैसे वैसे बैली बटन में भी फैलाव बढ़ने लगता है और इसमें घबराने की कोई बात नहीं होती है। क्योंकि यह डिलीवरी के बड़ा अपने आप ही सही हो जाता है।
उठने बैठने सोने में दिक्कत
गर्भावस्था के दौरान महिला का वजन बढ़ने की वजह से, पेट बाहर आने की वजह से महिला को उठने बैठने, सोने में दिक्कत होती है।
तो यह हैं कुछ बदलाव जो प्रेगनेंसी के एक से नौ महीने के बीच महिला को अपने शरीर में महसूस होते हैं। और शरीर में होने वाले इन बदलाव के कारण महिला को घबराने की बात नहीं होती है। क्योंकि ऐसा होना प्रेगनेंसी के दौरान आम बात होती है। साथ ही महिला को इस दौरान अपना अच्छे से ध्यान रखना चाहिए। ताकि प्रेग्नेंट महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में किसी भी तरह की कमी नहीं आए।
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