सावन यानी श्रावण का महिला बहुत ही पावन होता है और इसका बहुत अधिक महत्व भी होता है। क्योंकि सावन माह भोलेबाबा को समर्पित होता है ऐसे में इस माह भोलेबाबा का ध्यान करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। साथ ही सावन माह में थोड़ा बहुत गर्मी से भी राहत मिलती है क्योंकि इस मौसम में बरसात होने लगती है।
ऐसे में गर्भावस्था के दौरान यदि सावन का महीना चल रहा होता है तो इस मौसम का महत्व गर्भवती महिला के लिए भी होता है साथ ही इस दौरान महिला को बहुत सी बातों का ध्यान रखना भी जरुरी होता है ताकि महिला को किसी तरह की परेशानी नहीं हो। तो आइये अब इस आर्टिकल सावन के महीने में गर्भवती महिला को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इस बारे में बताने जा रहे हैं।
सावन के महीने में गर्भवती महिला क्या करें?
भगवान का ध्यान करें: सावन का महिला बहुत ही धार्मिक महीना होता है ऐसे में प्रेग्नेंट महिला को सावन के महीने में पूजा पाठ की तरफ ध्यान देना चाहिए। क्योंकि ऐसा करना महिला और शिशु के लिए फायदेमंद होता है। पूजा पाठ करने से महिला का मन शांत रहता है, महिला अच्छा महसूस करती है, महिला को स्ट्रेस से राहत मिलती है आदि। और जब महिला को फायदे मिलते हैं तो इसका असर शिशु पर भी पड़ता है और शिशु के बेहतर विकास में मदद मिलती है।
इम्युनिटी बढ़ाने वाली डाइट लें: सावन के महीने में बीमारियां व् संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है ऐसे में महिला को ऐसी डाइट लेनी चाहिए जिससे महिला की इम्युनिटी मजबूत रहे। और महिला को संक्रमण व् बिमारियों के खतरे से बचे रहने में मदद मिल सकें।
तरल पदार्थ ले भरपूर: बरसात के मौसम में थोड़ी ठंडक होने के कारण महिला को पानी पीने की इच्छा में कमी हो सकती है। लेकिन महिला को इस दौरान पानी का सेवन भरपूर करना चाहिए ताकि महिला के शरीर में पानी की कमी नहीं हो जिससे महिला को स्वस्थ रहने में मदद मिल सके।
श्रावण के महीने में गर्भवती महिला क्या नहीं करें?
सावन के महीने में महिला को बहुत सी छोटी छोटी बातों का ध्यान रखने की जरुरत होती है क्योंकि यह मौसम जितना फायदेमंद होता है उतना ही इस दौरान यदि सेहत के साथ लापरवाही की जाये तो यह नुकसानदायक भी हो सकता है। तो आइये अब जानते हैं की महिला को सावन के महीने में क्या क्या ध्यान रखना चाहिए।
खान पान में साफ़ सफाई में लापरवाही नहीं बरतें
सावन के मौसम में फलों व् सब्जियों को अच्छे से धोने के बाद ही खाने में प्रयोग में लाना चाहिए क्योंकि इस मौसम में कीड़े आदि होने की सम्भावना अधिक होती है। ऐसे में यदि महिला साफ़ सफाई का ध्यान रखती हैं तो इससे महिला को शारीरिक बिमारियों के होने का खतरा होता है।
बाहर का खाना खाने से बचें
बरसात के मौसम में महिला को बिल्कुल भी बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इस समय बाहर का खाना खाने से महिला को पेट सम्बन्धी परेशानियां होने का खतरा अधिक होता है। ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि इस दौरान मक्खी मच्छर बढ़ जाते हैं जो बाहर के खाने को दूषित कर सकते हैं खासकर स्ट्रीट फ़ूड आदि, ऐसे में महिला को गलती से भी बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए।
ज्यादा तला भुना नहीं खाएं
बरसात के मौसम में तला भुना खाने की इच्छा बढ़ जाती है और गर्भवती महिला को भी बरसात के मौसम में तला भुना खाने की क्रेविंग हो सकती है। ऐसे में महिला को अपनी इच्छा को थोड़ा कण्ट्रोल करना चाहिए क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान महिला की पाचन क्रिया धीमी हो जाती है। और तले भुने आहार का सेवन करने से महिला को उसे हज़म करने में दिक्कत हो सकती है जिससे महिला को पेट सम्बन्धी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में जितना हो सके महिला को ज्यादा तले भुने आहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
बारिश में कहीं नहीं जाएँ
बरसात के मौसम में हर जगह पानी भरने व् कीचड़ होने के कारण आने जाने में दिक्कत हो सकती है। ऐसे में यदि गर्भवती महिला कहीं बाहर जाती है तो महिला के गिरने का खतरा रहता है और यदि महिला गिर जाती है तो इसकी वजह से माँ और बच्चे दोनों को दिक्कत हो सकती है। ऐसे में महिला को गलती से भी बारिश में बाहर जाने का नहीं सोचना चाहिए।
नहीं नहाएं बारिश में
प्रेग्नेंट महिला को बारिश में बिल्कुल नहीं नहाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने के कारण महिला के गिरने का खतरा होता है साथ इम्युनिटी कमजोर होने के कारण महिला को खांसी, जुखाम जैसी दिक्कतें भी जल्दी होने का खतरा होता है।
मक्खी मच्छर से रखें बचाव
गर्भवती महिला को इस दौरान पूरी बाजू के कपडे पहनने चाहिए जिससे महिला को मच्छर नहीं काटें, साथ ही खिड़कियाँ बंद ही रखनी चाहिए जिससे मक्खी मच्छर घर में नहीं आएं ताकि महिला को मक्खी मच्छर के कारण होने वाली परेशानी से बचे रहने में मदद मिल सके।
तो यह हैं कुछ बातें जो गर्भवती महिला को सावन के महीने में ध्यान रखनी चाहिए, यदि महिला इन बातों का ध्यान रखती है तो इससे महिला को सावन के महीने में होने वाली दिक्कतों से बचे रहने में मदद मिलती है।