कुछ महिलाएं प्रेगनेंसी से पहले ही थायरॉइड की समस्या से पीड़ित होती है तो कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान भी थायरॉइड की समस्या हो जाती है। यदि यह समस्या प्रेग्नेंट महिला को होती है तो प्रेगनेंसी के दौरान इनका सही इलाज बहुत जरुरी होता है। क्योंकि यदि यह समस्या महिला को बढ़ जाती है तो इसकी वजह से माँ और शिशु दोनों का स्वास्थ्य बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है।
इसीलिए प्रेगनेंसी के दौरान या जब आप बेबी प्लानिंग करने से पहले अपने टेस्ट करवाती है तो थायरॉइड का टेस्ट जरूर करवाया जाता है क्योंकि इसके कारण प्रेगनेंसी में कॉम्प्लीकेशन्स बढ़ सकती है। साथ ही जिन महिलाओं को पहले से यह समस्या होती है उन्हें शुरुआत से ही अपना अच्छे से ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। आज इस आर्टिकल में हम आपको प्रेगनेंसी के दौरान थायरॉइड होने पर क्या करना चाहिए उसके बारे में बताने जा रहे हैं।
क्या होता है थायरॉइड
थायरॉइड एक तितली के आकार की ग्रंथि होती है जो आपकी गर्दन के बिल्कुल सामने के हिस्से में होती है। जो T3 और T4 हॉर्मोन्स को रिलीज़ करती है। और यही हॉर्मोन्स शरीर में मेटाबोलिज्म, वजन, पाचन क्रिया, तापमान, कोलेस्ट्रॉल, हदय गति आदि को नियंत्रित करते हैं।
ऐसे में यदि यह हॉर्मोन असंतुलित हो जाते हैं तो इसकी वजह से शरीर में दिक्कत हो जाती है और यह सभी क्रियाएं प्रभावित हो सकती है। साथ ही शरीर का वजन या तो बढ़ना शुरू हो जाता है या कम होना शुरू हो जाता है। यदि यह ग्रंथि कम हॉर्मोन का निर्माण करती है इसे हाइपोथाइरोडिज्म कहा जाता है और यदि यह हॉर्मोन अधिक उत्पादित करने लगती है तो इसे हाइपरथाइरॉडिज्म कहा जाता है।
हाइपोथाइरोडिज्म के लक्षण
चेहरे पर सूजन, बहुत ज्यादा थकान, कब्ज़ अधिक होना, ठण्ड ज्यादा लगना और बर्दाश्त नहीं होना, वजन बढ़ना, पेट में खराबी, यादाश्त कमजोर होना आदि हाइपोथाइरोडिज्म के लक्षण होते हैं। यदि प्रेग्नेंट महिला को यह लक्षण महसूस हो तो जल्द से जल्द डॉक्टर से जरूर मिलें।
हाइपरथाइरॉडिज्म के लक्षण
भूख कम या ज्यादा लगना, चक्कर आना, पसीना अधिक आना, नज़र कमजोर होना, डाइबिटीज़ है तो शुगर लेवल का बढ़ना, पेट खराब रहना, वजन कम होना आदि हाइपरथाइरॉडिज्म के लक्षण हैं। इन सभी लक्षणों के महसूस होने पर भी गर्भवती महिला को एक बार डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए।
प्रेगनेंसी के दौरान यदि थायरॉइड का इलाज नहीं किया जाये तो क्या समस्या हो सकती है?
गर्भवती महिला यदि प्रेगनेंसी के दौरान थायरॉइड की समस्या का इलाज नहीं करती है तो इसकी वजह से महिला को हाई ब्लड प्रैशर, शरीर में खून की कमी, गर्भपात, समय से पहले डिलीवरी, शिशु के वजन में कमी, शिशु के मानसिक विकास में कमी, जैसी दिक्कतें होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा शिशु जन्म के बाद भी इस समस्या के दुष्प्रभाव से पीड़ित रह सकता है ऐसे में महिला को प्रेगनेंसी के दौरान थायरॉइड से बचाव के लिए बेहतर उपाय अपनाने चाहिए।
प्रेग्नेंट महिला थायरॉइड होने पर क्या करें?
गर्भवती महिला को यदि थायरॉइड की समस्या है तो महिला को नीचे बताएं गए टिप्स को पूरी प्रेगनेंसी के दौरान फॉलो करना चाहिए। ताकि महिला को ऐसी कोई भी दिक्कत होने से बचे रहने में मदद मिल सके।
दवाई समय से खाएं
थायरॉइड की समस्या से बचे रहने और उसे कण्ट्रोल में रखने के लिए आपको डॉक्टर द्वारा जो भी दवाई बताई गई है उसका समय से सेवन करना चाहिए। इससे आपको थायरॉइड लेवल को कण्ट्रोल रखने में मदद मिलती है।
डॉक्टर की बात मानें
गर्भावस्था के दौरान आपको थायरॉइड होने पर किन किन बातों का ध्यान रखना है उन सभी बातों का ध्यान का ध्यान रखना है। और डॉक्टर ने आपको क्या करने व् क्या न करने के लिए कहा है उन सभी का भी ध्यान रखना है।
वाक करें
प्रेगनेंसी के दौरान शरीर को एक्टिव रखने और थायरॉइड के साथ अन्य शारीरिक परेशानियों को कण्ट्रोल में रखने के लिए थोड़ी देर वाक जरूर करें।
व्यायाम योगा व् मैडिटेशन करें
डॉक्टर द्वारा आपको जो जो व्यायाम, योग करने के लिए कहा गया है उन सभी को नियमित रूप से करें ताकि इस समस्या से बचे रहने में मदद मिल सकें। साथ ही मैडिटेशन भी जरूर करें ताकि आपको मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद मिल सके।
तो यह है प्रेगनेंसी के दौरान थायरॉइड होने पर क्या करना चाहिए उससे जुड़े टिप्स, यदि महिला इन टिप्स को फॉलो करती है तो इससे महिला को और शिशु को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है।
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