Second month of Pregnancy- tips, symptoms and dietगर्भावस्था महिला के लिए बहुत ही खूबसूरत समय होता है। खासकर जब महिला पहली बार माँ बनने वाली होती है तो यह ख़ुशी अलग ही होती है। साथ ही हर महिला अपने जीवन में माँ बनने का सुख प्राप्त करना चाहती है। गर्भवती महिला जब नौ महीने गर्भ में अपने शिशु को रखती है तो यह महिला के जीवन का सबसे प्यारा और अनोखा अनुभव होता है।
प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने तक महिला के शरीर में अलग अलग बदलाव आते हैं, शिशु के विकास में बदलाव आता है, महिला के शरीर में अलग अलग लक्षण महसूस होते हैं, आदि। प्रेगनेंसी के पहले महीने में महिला ज्यादातर लक्षणों को आंतरिक रूप से महसूस करती है।
गर्भावस्था के दूसरे महीने में कुछ लक्षण आपको और ज्यादा महसूस होने लग जाते हैं। तो आइये अब इस आर्टिकल में हम आपको प्रेगनेंसी के दूसरे महीने से जुडी कुछ जानकारियां शेयर करने जा रहे हैं। जैसे की महिला को क्या लक्षण महसूस होते हैं, डाइट क्या होनी चाहिए, शिशु का विकास कितना होता है आदि।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने के लक्षण
जब महिला गर्भवती होती है तो उसके साथ ही महिला के शरीर में तेजी से हार्मोनल बदलाव होने लगते हैं। और इन्ही हार्मोनल बदलाव के कारण महिला को कई शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। तो आइये जानते हैं की वह परेशानियां या फिर लक्षण कौन से हैं।
मॉर्निंग सिकनेस की समस्या
गर्भावस्था के दूसरे महीने में अधिकतर महिलाओं को इस परेशानी का सामना करना पड़ सकता हैं। मॉर्निंग सिकनेस का मतलब होता है की सुबह उठते ही महिला को उल्टी या जी मिचलाने की समस्या जैसा महसूस होता हैं। कुछ महिलाओं को ऐसा केवल सुबह ही महसूस होता है तो कुछ महिलाएं पूरा दिन भी इस समस्या का सामना कर सकती है। जिसकी वजह से महिला को थकावट व् कमजोरी जैसी परेशानी भी अधिक हो सकती है।
पाचन क्रिया धीमी होना
पेट सम्बंधित समय जैसे की कब्ज़ होना, एसिडिटी होना जैसी परेशानी भी प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में हो सकती है। शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण पाचन क्रिया पर असर पड़ता है जिसकी वजह से महिला की पाचन क्रिया धीमे काम करने लगती है। इसीलिए महिला को थोड़ा थोड़ा करके खाने की सलाह दी जाती है ताकि महिला को इस परेशानी से बचे रहने में मदद मिल सके।
चक्कर आना
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में शरीर में तेजी से बदलाव होने के कारण महिला की शारीरिक परेशानियां बढ़ सकती है। जिसकी वजह से महिला को कमजोरी, थकावट, सिर दर्द, चक्कर आना जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
भूख से जुड़े बदलाव
इस दौरान कुछ महिलाओं को अलग अलग चीजें खाने का मन करता हैं। जैसे की कुछ महिलाओं को खट्टा, कुछ को मीठा या चटपटा खाने की इच्छा हो सकती है। साथ ही कुछ महिलाओं को इस दौरान भूख में कमी जैसी परेशानी भी हो सकती है। लेकिन महिला को खाने से परहेज नहीं करना चाहिए।
ब्रेस्ट साइज में बदलाव
इस दौरान महिला को अपने ब्रेस्ट का साइज बड़ा हुआ भी महसूस हो सकता है। साथ ही महिला को निप्पल के रंग में बदलाव, स्तनों को छूने में दर्द की समस्या भी हो सकती है। ऐसा होने का कारण महिला के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन का असंतुलन होने के कारण होता है।
बार बार यूरिन आने की समस्या होना
शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण किडनी का काम बढ़ जाता है जिसकी वजह से महिला को बारे बार यूरिन पास करने की इच्छा भी हो सकती है।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में महसूस होने वाले अन्य लक्षण
- थकान बढ़ जाती है।
- नींद ज्यादा या कम हो जाती है।
- कब्ज़ की समस्या हो सकती है।
- सीने में जलन महसूस हो सकती है।
- मूड स्विंग्स की दिक्कत हो सकती है।
- उल्टी की समस्या अधिक हो सकती है।
- शरीर में दर्द व् ऐंठन की समस्या हो सकती है।
- एसिडिटी की समस्या अधिक हो सकती है।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने की डाइट
गर्भावस्था के दौरान खान पान का ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है। क्योंकि पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेने से महिला को एनर्जी मिलती है। जिससे महिला को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है और बच्चा भी माँ के जरिये ही पोषक तत्व लेता हैं। ऐसे में जितना माँ स्वस्थ रहेगी उतना ही बच्चा भी, इसीलिए जरुरी है की महिला प्रेगनेंसी के दौरान अपनी डाइट का अच्छे से ध्यान रखें। तो प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में महिला को डाइट से जुडी किन किन बातों का ध्यान रखें चाहिए आइये जानते हैं।
फाइबर युक्त डाइट
महिला को फाइबर युक्त डाइट अधिक लेनी चाहिए जिससे महिला की पाचन क्रिया को बेहतर होने में मदद मिल सकें। जैसे की महिला को दालें, फल आदि भरपूर लेना चाहिए क्योंकि इनमे फाइबर की अधिकता होती है।
कैल्शियम और प्रोटीन युक्त डाइट
दूसरे महीने में शिशु का विकास भी बढ़ने लगता हैं साथ ही महिला की शारीरिक परेशानियां भी बढ़ती है। ऐसे में महिला एनर्जी से भरपूर रहे और शिशु का विकास भी अच्छे से हो इसके कैल्शियम प्रोटीन युक्त डाइट जरुरी होती है। और डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे की दूध दही पनीर आदि कैल्शियम प्रोटीन से भरपूर होते हैं। ऐसे में महिला को डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन जरूर करना चाहिए।
फोलिक एसिड है जरुरी
फोलिक एसिड प्रेगनेंसी के दौरान शिशु के विकास के लिए एक अहम पोषक तत्व होता है। यदि शिशु को फोलिक एसिड भरपूर मात्रा में नहीं मिलता है तो इसकी वजह से शिशु के शारीरिक व् मानसिक विकास में कमी आ सकती है। ऐसे में महिला को प्रेगनेंसी की शुरुआत से आखिर तक अपनी डाइट में फोलिक एसिड युक्त डाइट को जरूर शामिल करना चाहिए। इसके लिए महिला हरी सब्जियां, गाजर, अनार जैसी चीजों को अपनी डाइट में शामिल कर सकती है।
आयरन युक्त डाइट
गर्भवती महिला को आयरन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन भी जरूर करना चाहिए। क्योंकि महिला के शरीर में यदि खून की कमी होती है तो इसकी वजह से महिला को एनीमिया जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता हैं। साथ ही इससे शिशु को जन्म के समय वजन में कमी जैसी दिक्कत भी हो सकती है। ऐसे में महिला को आयरन युक्त डाइट जरूर लेनी चाहिए ताकि माँ व् बच्चे को ऐसी कोई दिक्कत नहीं हो। इसके लिए महिला हरी सब्जियां, दालें, आदि का भरपूर सेवन कर सकती है।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में शिशु का विकास
गर्भावस्था के दूसरे महीने में शिशु का विकास थोड़ा बढ़ने लग जाता है साथ ही शिशु के अंगों की आकृतियाँ बननी भी शुरू हो जाती है। तो आइये अब जानते हैं की दूसरे महीने में शिशु के विकास में क्या- क्या बदलाव आते हैं।
- शिशु का वजन व् आकार पहले की अपेक्षा बढ़ जाता है।
- हड्डियां बननी शुरू हो जाती है।
- शिशु की मांसपेशियां बननी शुरू हो जाती है।
- हाथ, पैर व् उनकी उंगलियां, कान बनने शुरू हो जाते है।
- स्पाइनल कॉर्ड और दिमाग बनाने वाली न्यूरल ट्यूब बनने लग जाती है।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में आने वाले बदलाव
गर्भावस्था के दूसरे महीने में महिला को अपने शरीर में थोड़े बदलाव भी महसूस हो सकते हैं। जैसे की:
- महिला का वजन थोड़ा बढ़ जाता है।
- कुछ महिलाओ को चीजों की स्मैल से दिक्कत हो सकती है।
- प्राइवेट पार्ट से खून के हलके धब्बे महसूस हो सकते हैं।
- सफ़ेद पानी की समस्या भी हो सकती है।
- गर्भाशय का आकर बढ़ने में कारण पेट में हल्का दर्द महसूस हो सकता है या पेट के निचले हिस्से में भी दर्द महसूस हो सकता है।
- कुछ महिलाओं को कमजोरी व् थकावट अधिक होने के कारण सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
क्या प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में सम्बन्ध बना सकते हैं?
गर्भावस्था के दूसरे महीने में महिला को सम्बन्ध बनाना चाहिए या नहीं ये सवाल अधिकतर कपल के मन में होता है। तो इसका जवाब होता है की प्रेगनेंसी के शुरूआती समय में महिला को सम्बन्ध नहीं बनाना चाहिए। क्योंकि शुरूआती समय में यदि कभी सम्बन्ध बनाते समय पेट पर जोर अधिक पड़ जाये या और कोई गलती हो जाये तो इसकी वजह से महिला को दिक्कत हो सकती है। ऐसे में प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने तो खासकर महिला को सम्बन्ध बनाने से बचना चाहिए।
गर्भावस्था के दूसरे महीने में बरतें यह सावधानियां
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में महिला को बहुत सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि महिला या शिशु को किसी भी तरह की दिक्कत न हो। जैसे की:
- महिला को समय से डॉक्टर से मिलना चाहिए।
- डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों का सेवन समय से करना चाहिए।
- खाने पीने में लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
- ज्यादा थकाने वाले काम नहीं करना चाहिए।
- बहुत तेजी से सीढ़ियां चढ़नी या उतरनी न चाहिए।
- किसी भी तरह का स्ट्रेस नहीं लेना चाहिए।
- पेट के बल कोई काम नहीं करना चाहिए।
- पैरों के भार बैठने से बचना चाहिए।
- लम्बी यात्रा से बचना चाहिए।
- ज्यादा टाइट कपडे, ऊँचे जूते चप्पल नहीं पहनने चाहिए।
- किसी भी शारीरिक दिक्कत के होने पर अपनी मर्ज़ी से दवाई का सेवन नहीं करना चाहिए।
- किसी भी लक्षण के अधिक महसूस होने या उसकी वजह से दिक्कत बढ़ने पर उसे नज़रअंदाज़ करने की बजाय डॉक्टर से मिलना चाहिए।
तो यह है प्रेगनेंसी के दूसरे महीने से जुडी जानकारी, यदि आप भी अभी अभी प्रेग्नेंट हुई है तो इस आर्टिकल में बताई गई जानकारी आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। साथ ही आपको अन्य जानकारी के लिए डॉक्टर से भी मिलना चाहिए। उम्मीद करते हैं यह जानकारी आपके लिए फायदेमंद हो।