प्रेगनेंसी किसी भी महिला के जीवन का वो पल होता है जहां केवल वो अकेली ही खुश नहीं होती है बल्कि उससे जुड़े हर व्यक्ति की ख़ुशी का ठिकाना नहीं होता है। लेकिन कुछ महिलाओं की यह ख़ुशी ज्यादा समय तक नहीं रहती है क्योंकि कुछ कारणों की वजह से तीसरे महीने में ही महिला का गर्भपात हो जाता है। और तीसरे महीने में महिला का गर्भपात होने का कोई एक कारण नहीं होता है। बल्कि ऐसे कई कारण होते हैं जिनकी वजह से महिला का गर्भपात हो जाता है। तो आइये अब जानते हैं की प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में गर्भपात होने के क्या कारण होते हैं।
अपने आप ही ब्लीडिंग शुरू होना
कुछ केस में महिला को समझ ही नहीं आता है और महिला को ब्लीडिंग होनी शुरू हो जाती है। ऐसे केस में महिला को समझ ही नहीं आता है की आखिर क्यों महिला का गर्भपात हो गया है।
हार्मोनल असंतुलन
प्रेगनेंसी के दौरान बॉडी में हार्मोनल बदलाव तेजी से होते हैं लेकिन यदि किसी कारण जैसे की तनाव, डर, PCOS आदि की वजह से महिला की बॉडी में हार्मोनल असंतुलन हो जाता है। तो इस कारण महिला का गर्भपात हो जाता है।
गर्भाशय से जुडी समस्या
यदि महिला को गर्भाशय से जुडी कोई समस्या जैसे की इन्फेक्शन, गर्भाशय का कमजोर होना जैसी परेशानियां होती है। तो इस कारण भी महिला का गर्भपात हो जाता है।
इम्युनिटी कमजोर होना
प्रेगनेंसी के दौरान बॉडी में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण इम्युनिटी कमजोर हो जाती है, लेकिन यदि महिला की इम्युनिटी बहुत ज्यादा कमजोर हो जाती है। तो इस कारण भी महिला का गर्भ ज्यादा दिन तक ठहर नहीं पाता और महिला का गर्भपात हो जाता है।
उम्र
यदि गर्भधारण करने वाली महिला की या तो उम्र बहुत कम या बहुत ज्यादा होती है तो इस कारण भी महिला का गर्भधारण मुश्किल से होने के साथ गर्भपात होने का खतरा भी ज्यादा होता है।
पहले भी हुआ हो गर्भपात
यदि महिला का पहले भी कभी गर्भपात हुआ हो तो भी महिला का दूसरी बार गर्भपात होने का खतरा अधिक रहता है। इसीलिए दूसरी बार गर्भधारण करने के लिए महिला को पूरी तरह फिट होने की सलाह दी जाती है।
भागदौड़ करना
यदि तीसरे महीने में महिला बहुत ज्यादा भागदौड़ करती है, ट्रैवेलिंग करती है, बहुत ज्यादा घूमती फिरती है, सीढ़ियां बहुत अधिक चढ़ती है और तेजी से चढ़ती है, तो इस कारण भी महिला का गर्भपात हो जाता है।
पेट पर जोर पड़ना
प्रेगनेंसी का कोई सा भी महीना हो उसमे महिला को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे महिला के पेट पर जोर पड़े। क्योंकि इसके कारण महिला का गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है। जैसे की पेट के पल खड़े होकर काम करना, झुककर काम करना, भारी वजन उठाना या सरकाना, पैरों के बल बैठकर काम करना आदि, इन सभी कामों को करने से महिला का गर्भपात होने के चांस बढ़ जाते हैं।
संक्रमण
यदि प्रेग्नेंट महिला के प्राइवेट पार्ट, गर्भाशय आदि में संक्रमण होता है तो इस कारण भी गर्भपात होने के चांस बढ़ जाते हैं।
शारीरिक बिमारी
यदि महिला को थायरॉयड, शुगर या अन्य कोई भी शारीरिक बिमारी होती है तो इस कारण भी महिला का गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है।
दवाइयों का सेवन
प्रेगनेंसी कन्फर्म होने के बाद से ही महिला को डॉक्टर से बिना पूछें किसी भी दवाई का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि वह दवाइयां गर्भ पर बुरा असर डालती है। ऐसे में गर्भवती महिला यदि डॉक्टर से बिना पूछें दवाइयों का सेवन करती रहती है तो इसके कारण भी महिला का गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है।
नशीले पदार्थों का सेवन
यदि गर्भवती महिला किसी भी नशीले पदार्थ जैसे की धूम्रपान, शराब आदि का सेवन करती है तो इससे भी बच्चे के विकास पर बुरा असर पड़ता है। साथ ही महिला का गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है।
सम्बन्ध
प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में डॉक्टर्स भी सम्बन्ध न बनाने की सलाह देते हैं क्योंकि सम्बन्ध बनाते समय यदि तेजी की जाये तो इसके कारण गर्भाशय पर चोट लग सकती है। जिसके कारण महिला का गर्भपात हो जाता है।
तो यह हैं कुछ कारण जिनकी वजह से तीसरे महीने में महिला का गर्भपात होने के चांस बढ़ जाते है, इसीलिए पहली तिमाही में महिला को बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है ताकि गर्भवती महिला को ऐसी कोई भी परेशानी न हो।