गर्भावस्था के दौरान शिशु को महसूस करना यह एक सबसे खास अहसास होता है। अक्सर महिलाओं को यह जानने की बहुत उत्सुकता होती है के उनके गर्भ में पल रहे शिशु की मूवमेंट्स कब शुरू होगी जिससे वह जाने सके के उनका शिशु कितना एक्टिव है। गर्भवती महिला उसी अहसास को जीने के लिए गर्भावस्था के सारे दर्द और समस्याओं की भुला देती है।
ज्यादातर महिलाओं के लिए बेबी को पहली बार महसूस करना बहुत ही अनोखा अनुभव होता है। वैसे तो बेबी की मूवमेंट्स गर्भावस्था के दूसरे महीने के अंत में शुरू हो जाती है। पर यह मूवमेंट्स माँ को महसूस नहीं होती क्योंकि इस समय भ्रूण का साइज बहुत छोटा होता है। गर्भावस्था के छटे महीने से आपको अपने शिशु की मूवमेंट्स बहुत आराम से अनुभव होंगी। छटे महीने से गर्भवती महिला को अनुभव होगा के उनका बेबी उन्हें कई बार लात मारता है।
छटे माह का अनुभव
जैसे जैसे गर्भावस्था का समय निकलता जाता है वैसे वैसे भ्रूण का विकास होता है और वो दिन दूर चले जाते है जब आप अपने शिशु की हलचल महसूस नहीं कर सकते। छटे माह की शुरुआत से बेबी की छोटी छोटी मूवमेंट्स अनुभव होने लगती है। कुछ महिलाओं को यह मूवमेंट्स छटे माह के शुरुआत में न अनुभव को इस माह के अंत में महसूस होती है। एक अध्ययन के अनुसार गर्भावस्था के छटे माह में शिशु 10 से 11 इंच लम्बा हो जाता है, इतने लम्बे शिशु की हलचल को आप आसानी से अनुभव कर सकते है। और यह मूवमेंट्स दिन में कई बार होती है।
जब शुरू शुरू में शिशु की हलचल शुरू होती है तो माँ उसे महसूस नहीं कर पाती लेकिन अब जब आप गर्भावस्था के छटे महीने पर पहुंच चुके है तो इस समय में आप अपने शिशु की हरकत को आराम से अनुभव कर सकेंगे। कभी कभी शिशु की यह हरकत एक तेज लात के रूप में आपको लगेगी और कभी आपको पेट पर खुश खिचांव सा महसूस होगा। जैसे जैसे दिन बीतेंगे वैसे वैसे गर्भवती महिला को अहसास होगा के दिन के कुछ ख़ास समय में शिशु ज्यादा एक्टिव है जैसे कभी महिला बैठी है तो, कुछ खाने के बाद या फिर महिला खुद कुछ एक्टीव हो कर काम कर रही है तब।
स्वागत करे इस हलचल का
हो सकता है जब गर्भ में शिशु कुछ मूवमेंट्स करता हो तो महिला के लिए असहनीय या आरामदायक ना हो। पर जब गर्भ में शिशु एक्टिव हो कर घूमता है तो इसका मतलब वह पूरी तरह स्वस्थ है। एक रिसर्च के अनुसार गर्भ में शिशु की हरकत को महसूस करने से माँ और शिशु का रिश्ता मजबूत बनता है।
मूवमेंट्स को गिनिए
ऊपर बताई गई सभी बाते छटे माह के सन्दर्भ में थी पर सातवां महीना शुरू होते ही बेबी की मूवमेंट्स गिनने के लिए तैयार हो जाइये। इस महीने में शिशु सबसे ज्यादा एक्टिव होता है। इसीलिए इस समय में बेबी की हलचल भी सबसे ज्यादा महसूस होती है। डॉक्टरों के अनुसार भी सातवें महीने में हर दो घंटे में कम से कम 10 मूवमेंट्स होनी चाहिए। इसीलिए यह एक बेहतर समय होता है जब माँ अपने शिशु के साथ एक बेहतर रिश्ता बना सकती है, अपने शिशु की हर हलचल को अनुभव करके। एक रिसर्च में अनुसार अगर इस समय में शिशु की मूवमेंट्स महसूस ना हो या फिर शिशु की हलचल घटने लगे तो वह खतरे की निशानी होती है। इसीलिए अपने शिशु की हर मूवमेंट को काउंट करे और अगर मूवमेंट कम लगे तो तुरंत अपने डॉक्टर से बाद करे।
शिशु की हलचल का फिर से धीमा होना
प्रेगनेंसी के दौरान सातवें महीने में शिशु की हलचल सबसे ज्यादा अनुभव होती है पर आपको यह जानकार हैरानी होगी की आठवें और नौवें महीने में शिशु की हलचल धीमी पड़ती जाती है। ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि अब शिशु पहले से और बड़ा हो चूका होता है और गर्भाशय में शिशु को कम जगह मिलती है जिस कारण उसे घूमने में और मूवमेंट्स करने में मुश्किल होने लगती है। पर फिर भी एक ही जगह पर रहकर शिशु की कुछ न कुछ मूवमेंट्स जरूर होंगी।
सातवें महीने की तरह हर दो घंटे में 10 मूवमेंट्स तो नहीं होंगी पर हर बार कुछ न कुछ खाने के बाद शिशु की हलचल जरूर महसूस होंगी। इस समय में भी शिशु की हर मूवमेंट्स का ध्यान रखना जरुरी होता है। क्योंकि इस समय में शिशु के पास कम जगह होती जिसके कारण उसकी मूवमेंट्स कम हो जाती है लेकिन फिर भी शिशु हलचल करने की कोशिश तो करता ही रहता है इन्ही कोशिशों में कई बार उसे कोई परेशानी भी हो सकती है। शिशु पूरी तरीके से स्वस्थ यह खाने के बाद शिशु की हलचल पर ही निर्भर करता है। अगर कुछ खाने के बाद भी आप अपने शिशु की मूवमेंट्स महसूस नहीं कर पा रहे है तो अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।