बच्चों की प्यारी-सी मुस्कुराहट सबका मन मोह लेती है। हर एक माता-पिता बस यही चाहते हैं कि उनका बच्चा हमेशा हँसता मुस्कुराता रहे। ख़ूबसूरत मुस्कुराहट में सुंदर और स्वस्थ दाँतों का बहुत बड़ा योगदान होता है। अगर दाँत स्वस्थ ना हों, उनमें सड़न हो तो आपकी मुस्कान अधूरी है। यूँ तो दाँत हमारे शरीर का सबसे मज़बूत भाग हैं परंतु ध्यान ना रखा जाए तो इनमें भी सड़न और कैविटी हो जाती है।
आपने भी कभी ना कभी दाँत का दर्द महसूस किया ही होगा, ये दर्द सच में असहनीय होता है। ज़रा सोचिए, आपका बच्चा दाँत के दर्द से परेशान हो, तड़प रहा हो तो आप क्या करेंगे। हमें पता है कि ये ख़्याल भी माता-पिता के लिए अकल्पनीय और असहनीय होता है। आपको ऐसी परिस्थिति का सामना ना करना पड़े, उसके लिए आपको अपने बच्चे के दाँतों के स्वास्थ्य के प्रति तभी से सजग हो चाहिए, जब उसके दूध के दाँत यानि temporary teeth आने शुरू होते हैं। बच्चे को शुरुआत से दाँतों के विशेष सफ़ाई रखने के लिए प्रोत्साहित करें।
दाँतों की सड़न एक बहुत ही आम समस्या है और थोड़ी सी सावधानी और सतर्कता से हम इस समस्या से दूर रह सकते हैं। आपने सुना ही होगा कि ” prevention is better than cure “, इसलिए समस्या के उपाय जानने से पहले हम जानेंगे कि दाँतों में सड़न के कारण क्या होते हैं। अगर हमें सड़न के कारण पता होंगे तो हम उनसे बचने के उपाय भी सोच सकेंगे। निम्नलिखित तीन कारणों से दाँतों में मुख्यतः सड़न पैदा होती है –
खानपान –
जिन खाद्य पदार्थों में शुगर और कार्बोहाईड्रेट की मात्रा अधिक होती है, उनको खाने से दाँतों में सड़न होने का अधिक ख़तरा रहता है। ऐसे पदार्थ चिपचिपे होते हैं और खाना खाने के बाद भी दाँतो में चिपके रह जाते हैं। यही दाँतों में फँसा हुआ खाना, फिर दाँतों में सड़न पैदा करता है। और छोटे बच्चों को तो ख़ासकर मीठी चीज़ों से ख़ास लगाव होता है, ऐसे में ये आपका फ़र्ज़ है कि आप उसे सही ग़लत में फ़र्क़ समझाएँ। बच्चे को बताएँ कि मीठा खाना उनके दाँतों के लिए कितना नुक़सानदायक हो सकता है।
दाँतों की सफ़ाई – दाँतों की ठीक से सफ़ाई ना करना, बैठे बिठाए सड़न को न्योता देने जैसा है। खाना खाते वक़्त भोजन के कुछ कण दाँतों में फँस जाते हैं और उन्हें ब्रश करके निकाला ना जाए तो वो दाँतों में सड़न पैदा करते हैं। बचपन से ही दिन में दो बार ब्रश करने की आदत बच्चे में डालें।
मुँह में मौजूद बैक्टिरिया –
ब्रश करके दाँतों में फँसा भोजन तो हम निकाल देते हैं परंतु मुँह में मौजूद बैक्टिरिया इतनी आसानी से नहीं निकलते। ब्रश करने के बाद किसी अच्छे माउथवाश का प्रयोग करना चाहिए। परंतु छोटे बच्चों को माउथवाश ना करवाएँ या फिर अपनी निगरानी में करवाएँ, बच्चा ग़लती से उसे निगल भी सकता है। बैक्टिरिया मुँह में ना पनपे, उसके लिए हर बार खाना खिलाने के बाद बच्चे को कुल्ली ज़रूर करवाएँ और रात को सोते वक़्त ब्रश करने को ज़रूर कहें।
बच्चों में अच्छी आदतें डालना, माता-पिता का ही फ़र्ज़ होता है।