वर्ष भर न जाने कितने ही मौसम आते जाते रहते है और इसी बीच हम भी तरह-तरह की परेशानियो से परेशान रहते है। जहां एक तरफ सर्दियों में खांसी जुखाम की समस्या पीछा नहीं छोड़ती वहीं दूसरी ओर बरसात में होने वाली खाज खुजली को कौन भूलता है। लेकिन इसके अलावा भी एक मौसम है जो हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ हमारी त्वचा को भी काफी प्रभावित करता है। और वो मौसम है गर्मियां। गर्मियां आते ही सभी के दिमाग में यही चलता रहता है की बाहर चलने वाली लू और उसके थपेड़ों से खुद को कैसे बचाया जाए?
गर्मियों में होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से तो सभी को झेलनी पड़ती है लेकिन इस दौरान होने वाली त्वचा संबंधी बीमारियाँ दर्दनाक तो होती ही है साथ-साथ आप इन्हें दूसरों को बताने से भी शर्माते है। जी हां, हम बात कर रहे है गर्मियों में होने वाले फोड़े-फुंसी या रैशेज की। गर्मी के मौसम में शरीर से निकलने वाला पसीना इस समस्या के कारणों में से एक है। क्योंकि इस दौरान निकलने वाले पसीने में बहुत से बैक्टीरिया और जीवित विषाणु मौजूद होते है और यदि उन्हें अच्छे से साफ़ न किया जाए तो ये हमारे रोमछिद्रों में घुस कर फोड़े-फुंसी आदि का रूप ले लेते है।
इन फुंसियों में दर्द तो होता ही है साथ-साथ इनमे होने वाली खुजली और जलन किसी के लिए भी असहनीय हो सकती है। एक बार को इंसान इसका दर्द झेल कर इन्हें ठीक कर भी ले लेकिन इनके चले जाने के बाद रह जाने वाले दाग़ बहुत तकलीफदेह होते है।
क्या होते है फोड़े-फुंसी?
फोड़े-फुंसी एक तरह का बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है जो स्टैफिलोकोकस और यूस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। ये बैक्टीरिया मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर छोटे लाल-दाने का रूप ले लेते है जो बाद में धीरे-धीरे बड़ा होता है। शुरू शुरू में ये दाना काफी छोटा होता है लेकिन समय के साथ-साथ ये बढ़ता हुआ लाल रंग का होने लगता है। परन्तु इसका मध्य भाग कुछ सफ़ेद रंग का होता है जिसे पस कहा जाता है। इस स्थिति के आने के बाद ये काफी तकलीफदेह होने लगता है। ऐसे में इससे छुटकारा पाना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। वैसे देखा जाए तो फोड़े-फुंसी से छुटकारा पाना कोई मुश्किल कार्य नहीं है इसे आप खुद घर बैठे भी हटा सकते है।
गर्मियों में फोड़े-फुंसी होने के क्या कारण होते है?
ऐसे तो त्वचा पर फोड़े फुंसी होने का मुख्य कारण staphylococcal नमक बैक्टीरिया होता है जो त्वचा पर आये किसी भी घाव के द्वारा त्वचा के रोमछिद्रों में प्रवेश कर जाता है। और भीतर से त्वचा को नुकसान पहुँचाने लगता है जो बाद में फोड़े फुंसी का रूप ले लेता है। इसके अलावा भी और कई कारण है जिनकी वजह से गर्मियों में फोड़े फुंसी होते है। वे कारण निम्नलिखित है :
- बालों की जड़ों में एक सूक्ष्म कीटाणु के संक्रमण के कारण।
- खून में खराबी होने से।
- गर्मियों में आम का अधिक सेवन करने से भी फोड़े फुंसी उत्पन्न होते है।
- इस मौसम में कच्ची आमिया मिलती है तो उनके सेवन से भी ये समस्या हो सकती है।
- मच्छर के काटने।
- अधिक मिर्च मसाले का सेवन करने से।
- आस पास के प्रदूषित वातावरण के कारण
- इसके अतिरिक्त विभिन्न बीमारियों की दवाओं के दुष्प्रभावो के कारण भी ये आपकी त्वचा पर आ सकते है।
- बालतोड़ भी हो सकती है एक वजह।
फोड़े-फुंसी के घरेलू उपचार :-
1. आलू :
कच्चे आलू का रस निकालकर उसे फुंसियों पर लगाएं। इसके साथ ही सुबह खाली पेट बिना कुछ खाए चार चम्मच रस का सेवन भी करें। इस उपाय से आराम मिलेगा।
2. गाजर और तेल :
इस उपाय के लिए गाजर को पीस कर उसे तवे पर जरा से तेल के साथ डालकर गर्म कर लें। अब इस सामग्री को फोड़े-फुंसी पर किसी कपडे से बांध दें।
3. इमली और पानी :
गर्मी में होने वले फोड़े आदि की समस्या में इमली के रस का सेवन करने से फायदा मिलता है। इसके लिए 25-30 ग्राम इमली के गुदे को पानी में भिगो दें। जब गुदा पूरी तरह फूल जाए तो उसे पानी में मथकर छान लें और इस रस का सेवन करें।
4. कालीमिर्च और पानी :
अगर आपकी त्वचा पर फुंसी निकल गई है तो कालीमिर्च को पानी में घिस लें। और इस मिश्रण को फुंसी पर लगायें। फुंसी अपने आप बैठ जाएगी।
5. अनानास :
इसके लिए अनानास का रस लेकर उसे फोड़े या फुंसी पर लगाना है। कुछ ही प्रयोग करने पर आपकी समस्या हल हो जाएगी।
6. हल्दी और तेल :
इस उपाय के लिए हल्दी को पीसकर थोड़े से तेल के साथ तवे पर गर्म कर लें। अब इसे रुई पर रखकर फोड़े पर बांध दें। समस्या ठीक होने तक इसका प्रयोग करते रहे।
7. अमरुद :
अमरुद की तीन से चार पत्तियों को पाने में उबालकर पीस लें। अब इस लेप को फोड़े पर लगायें। लगातार प्रयोग से कुछ ही दिनों में फोड़ा अपने आप फुट जाएगा।
8. नीम :
नीम की छाल या उसकी पत्तियों का लेप फोड़े-फुंसी पर लगाने से काफी आराम मिलता है। आप चाहे तो इसके लिए नीम की निबोली का भी इस्तेमाल कर सकते है।
9. खरबूजा :
खरबूजे के बीजों को छिलके सहित पीसकर फोड़े पर लगायें। दिन में तीन से चार बार प्रयोग से समस्या दूर हो जाएगी।
10. करेला :
करेले के रस का प्रयोग करके भी आप इस समस्या से निजात पा सकते है। इसके लिए करेले को पीसकर उसका रस निकाल लें और उसे फोड़े पर लगायें।
11. सरसों और तारपीन :
फोड़े फुंसी की समस्या में सरसों का तेल भी काफी लाभकारी होता है। इसके लिए सरसों के तेल में थोडा सा तारपीन का तेल मिला लें और इसका प्रयोग फोड़े-फुंसी पर करें। आराम मिलेगा।
12. मुल्तानी मिट्टी :
मुल्तानी मिट्टी की ठंडी तासीर फोड़े को ठंडक देकर उसे ठीक करने में मदद करेगी। इसके लिए मुल्तानी मिट्टी को पानी में भिगो लें और फुंसियों पर लगायें। दो तीन दिन तक लगातार प्रयोग करने से आपका फोड़ा बैठ जाएगा।
13. पानी और मेहंदी :
दो कप पानी में थोड़ी सी मेहंदी डालकर उबाल लें। अब इस पानी को छानकर रुई के फोहे से फुंसी को धोएं। दो से तीन दिन के प्रयोग से फुंसी में आराम आ जाएगा।
14. चंदन, मुल्तानी मिट्टी और नींबू :
गर्मी ने निकली फुंसी को ठीक करने के लिए एक चम्मच पिसे हुए चंदन, एक चम्मच पीसी हुई मुल्तानी मिट्टी, एक चम्मच चोकर और 4-5 बूंद नींबू के रस की डालकर अच्छे से मिलाकर लेप बना लें। इस लेप का इस्तेमाल फुंसियों पर करें।
15. केला और गौमूत्र :
यदि फोड़ा पक गया है तो फुट नहीं रहा है तो केले की जड़ की एक गांठ धोकर पीस लें। और उसमे थोडा सा गौमूत्र मिलाकर फोड़े पर लगायें। उसपर पट्टी जरुर बांध लें। फायदा मिलेगा।
फोड़े-फुंसी ठीक करने के अन्य उपाय :
- मसूर की दाल पीसकर उसकी पुल्टिस बना लें और उसका इस्तेमाल फोड़े पर करें, आराम मिलेगा।
- कद्दू की बेल के पत्तों को पीसकर उसका रस निकालकर लगाने से फोड़े फुंसी जल्दी सुख जाते है।
- शरीफे के गुदा भी फोड़े-फुंसी के लिए अच्छा होता है।
- बकायन की पत्तियों को पीसकर उन्हें फोड़े पर लगाने से आराम मिलता है।
- फुंसी पर नारियल तेल और कपूर मिलाकर लगाने से लाभ मिलता है।
- तुलसी के पत्तों को पीसकर फुंसियों पर लगाने से वे बैठ जाती है।
- नींबू और अजवायन के लेप की मदद से भी आप इस समस्या से निजात पा सकते है।
- एलोवेरा के गुदे को गर्म करके उसमे थोड़ी सी पीसी हुई हल्दी मिलाकर लगाने से फुंसी में आराम मिलता है।
फोड़े-फुंसी होने पर इन बातों का भी रखें ध्यान :-
त्वचा पर फोड़े-फुंसी हो जाने पर यदि उनका समय पर इलाज और सही देखभाल न की जाए तो वे गंभीर रूप ले सकते है। इसीलिए उपचार के साथ-साथ कुछ बातों का ध्यान रखना भी बेहद जरुरी है। वे बातें निम्नलिखित है –
1. शरीर की सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
2. रोज साफ़ पानी से ही नहाना चाहिए। गर्मियों के दिनों में जरुरी हो तो दिन में 3 से 4 बार भी नहा सकते है।
3. नहाने के लिए नीम की पतियाँ उबालकर उसके पानी का प्रयोग करना चाहिए।
4. आप चाहे तो अपने नहाने के पानी में एंटी सेप्टिक या डेटॉल का भी इस्तेमाल करा सकते है।
5. पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए।
6. नित्य व्यायाम करें। सम्भव हो तो सुबह ताज़ी हवा में सैर करें।
7. भोजन में ताजे फल और सलाद आदि को जरुर सम्मिलित करें।
8. तले भुने आदि भोजन से दूर रहे। अन्यथा ये तक्लीफ को बढ़ा भी सकते है।