Causes of depression during pregnancy

Causes of depression during pregnancy


प्रेगनेंसी महिला के लिए बहुत ही खास समय होता है साथ ही महिला के लिए एक ऐसा नया अनुभव और अहसास होता है जिसे केवल एक महिला ही महसूस कर सकती है। जब भी किसी महिला को माँ बनने की खबर मिलती है तो महिला उसी पल से केवल अपने शिशु के बारे में सोचने लगती है। और प्रेगनेंसी के दौरान हर वो काम करती है जिससे प्रेगनेंसी में कोई कम्प्लीकेशन नहीं हो और गर्भ में शिशु का विकास अच्छे से तरीके से हो।

लेकिन फिर भी प्रेगनेंसी के दौरान कुछ न कुछ शारीरिक समस्या महिला को होती ही रहती है जैसे की पेट दर्द, पीठ दर्द, खाना न पचना, उल्टियां आना, तनाव होना, आदि। और इन समस्याओं का होना बहुत आम भी होता है लेकिन यदि कोई समस्या ज्यादा हो तो उसे अनदेखा न करते हुए डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए। क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान बरती गई जरा सी लापरवाही आपके लिए और आपके बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकती है। आज इस आर्टिकल में हम प्रेगनेंसी में होने वाले तनाव के बारे में बात करने जा रहे हैं की आखिर गर्भवती महिला तनाव से क्यों ग्रसित होती है।

सही जानकारी न होने के कारण

जो महिलाएं पहली बार माँ बन रही होती है, जिन महिलाओं को प्रेगनेंसी व् प्रसव से जुडी सम्पूर्ण जानकारी नहीं होती है तो प्रेगनेंसी की शुरुआत में वो महिलाएं तनाव का शिकार हो सकती है।

प्रेगनेंसी में होने वाली परेशानियों के कारण

गर्भावस्था के समय बॉडी में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण महिला को बहुत सी शारीरिक परेशानियां जैसे की उल्टियां होना, बॉडी पेन होना, सूजन, सफ़ेद पानी की समस्या, बार बार यूरिन पास करने की समस्या आदि का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में बॉडी में होने वाली परेशानियों के कारण भी महिला को तनाव की समस्या हो सकती है।

शरीर में होने वाले बदलाव की वजह से

गर्भावस्था के समय शरीर में बहुत से बदलाव आते हैं जैसे की पेट बाहर निकलना, ब्रेस्ट में बदलाव आना, वजन बढ़ना आदि जिन्हे लेकर महिलाएं परेशान हो सकती है। और यह परेशानी प्रेग्नेंट महिला को तनाव से ग्रस्त कर देती है क्योंकि महिला बार बार इन्ही बदलाव के बारे में सोचती रहती है।

शिशु के विकास की वजह से

गर्भ में पल रहे शिशु का विकास अच्छे से हो रहा है या नहीं इसे लेकर भी प्रेग्नेंट महिला बहुत परेशान हो सकती है। और जब महिला शिशु के विकास के लेकर ज्यादा चिंता करने लगती है तो इस कारण महिला को तनाव हो जाता है और तनाव के कारण बच्चे के विकास में ज्यादा कमी आती है।

नेगेटिव बातों को सोचने की वजह से

गर्भावस्था के दौरान महिला के साथ बहुत सी दूसरी महिलाएं चाहे घर की हो या बाहर की अपनी प्रेगनेंसी का एक्सपीरियंस शेयर करती है। उनमे से कुछ एक्सपीरियंस अच्छे होते हैं तो कुछ एक्सपीरियंस अच्छे नहीं होते हैं। ऐसे में महिला अच्छी बातों को कम और बुरी बातों को ज्यादा सोचती है की कहीं जो उनके साथ हुआ है वो महिला के साथ न हो जाये। और जब प्रेग्नेंट महिला बुरी बातों को सोचती है नेगेटिव चीजों के बारे में सोचती है तो प्रेग्नेंट महिला तनाव का शिकार हो जाती है।

डिलीवरी को लेकर

कुछ महिलाएं डिलीवरी के बारे में सोच सोच कर तनाव का शिकार हो जाती है की आखिर महिला की डिलीवरी सिजेरियन होगी या नोर्मल होगी या फिर डिलीवरी में कोई दिक्कत तो नहीं होगी। लेकिन डिलीवरी किस तरीके से होगी उसके बारे में महिला नहीं बता सकती है ऐसे में महिला को इस बात को लेकर बिल्कुल भी टेंशन नहीं लेनी चाहिए।

तो यह हैं कुछ कारण जिनकी वजह से प्रेग्नेंट महिला तनाव का शिकार हो सकती है। लेकिन गर्भवती महिला को अपने आप को तनाव का शिकार नहीं होने देना चाहिए और जितना हो सके खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान यदि महिला तनाव लेती है तो इसकी वजह से गर्भवती महिला की परेशानियां बढ़ने के साथ गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में भी कमी आती है।

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