गर्भ में शिशु का विकास सम्पूर्ण तरीके से होना बहुत जरुरी होता है क्योंकि यदि गर्भ में शिशु के विकास में कमी होती है तो इसके कारण जन्म के बाद शिशु को बहुत परेशानी हो सकती है। जैसे की शिशु के वजन में कमी हो सकती है, शिशु के किसी अंग के विकास में कमी आ सकती है, शिशु का मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है, शिशु के विकास में कमी होने के कारण जन्म के बाद इन्हे बहुत ज्यादा एक्स्ट्रा केयर की जरुरत पड़ती है, आदि।
ऐसे में जरुरी होता है की प्रेगनेंसी के दौरान महिला अपना अच्छे से ध्यान रखे, खान पान में लापरवाही नहीं करें, टेंशन नहीं लें, आदि। यदि महिला इन टिप्स का ध्यान रखती है तो माँ और बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं। लेकिन कई बार न चाहते हुए भी महिला को समय से पहले ही प्रसव पीड़ा शुरू हो जाती है या महिला का प्रसव करना पड़ता है। और ऐसा होने पर शिशु को दिक्कत होने का खतरा बढ़ जाता है।
क्या होता है समय से पहले प्रसव?
शिशु का जन्म यदि प्रेगनेंसी के सैंतीसवें हफ्ते के बाद से लेकर इकतालीसवें हफ्ते के बीच में होता है तो यह प्रसव का सही समय होता है। लेकिन यदि बच्चे का जन्म सैंतीसवें हफ्ते से पहले हो जाता है तो इसे समय से पहले प्रसव होना या फिर प्री टर्म लेबर कहते हैं और इस दौरान होने वाले बच्चे को प्रीमैच्योर बेबी कहा जाता है।
किन कारणों की वजह से होती है समय से पहले डिलीवरी?
यदि महिला को समय से पहले डिलीवरी हो जाती है तो ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं। हर महिला को समय से पहले डिलीवरी होने का एक ही कारण नहीं होता है। तो आइये अब जानते हैं की समय से पहले डिलीवरी होने के क्या क्या क्या कारण होते हैं।
जुड़वां बच्चे
यदि महिला के गर्भ में एक से ज्यादा शिशु होते हैं तो ऐसे केस में अधिकतर महिलाओं की डिलीवरी समय से पहले हो जाती है। ऐसे में उसके बाद बच्चों को थोड़े दिनों के लिए नर्सरी में भी रखा जा सकता है ताकि बच्चों को किसी तरह की दिक्कत नहीं हो और यह समय से पहले डिलीवरी होने का बहुत ही आम कारण होता है।
गर्भपात
कुछ महिलाओं को गर्भधारण के दौरान बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और कुछ महिलाओं का गर्भपात भी बार बार हो चूका होता है। जिन महिलाओं को यह समस्या होती है उन महिलाओं को भी समय से पहले प्रसव होने की आशंका रहती है। ऐसे में आप यह कह सकते हैं की बार बार गर्भपात का होना भी समय से पहले डिलीवरी होने का कारण बन सकता है।
हार्मोनल असंतुलन
शरीर में हार्मोनल असंतुलन होना भी आपके शरीर में बिमारियों को बढ़ा सकता है आपकी शारीरिक परेशानियों को बढ़ा सकता है। ऐसे में यदि प्रेगनेंसी के दौरान यदि महिला हार्मोनल असंतुलन की समस्या से परेशान है तो इसकी वजह से भी समय से पहले डिलीवरी हो सकती है।
गर्भाशय की ग्रीवा का कमजोर होना
यदि गर्भवती महिला की गर्भाशय की ग्रीवा कमजोर होती है तो इसकी वजह से प्रेगनेंसी की शुरुआत से ही महिला को बेड रेस्ट की सलाह दी जाती है। क्योंकि ऐसे में महिला का गर्भपात या समय से पहले डिलीवरी होने की आशंका अधिक होती है। इसके अलावा कुछ महिलाओं के बच्चे का भार शुरुआत से ही नीचे की तरफ अधिक होता है उन महिलाओं का भी समय से पहले डिलीवरी होने का चांस होता है।
तनाव
यदि गर्भावस्था के दौरान महिला मानसिक रूप से अधिक परेशान रहती है तो इसका बुरा असर महिला व् बच्चे दोनों की सेहत पर पड़ता है। इसके अलावा महिला को गर्भपात, समय से पहले या बाद में डिलीवरी होने जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
बैक्टेरियल इन्फेक्शन
प्रेग्नेंट महिला यदि वजाइनल इन्फेक्शन की समस्या से जूझ रही है तो यह इन्फेक्शन भी लेबर को प्रेरित कर सकता है जिसकी वजह से महिला को समय से पहले डिलीवरी होने जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
रक्तस्त्राव यानी ब्लीडिंग होना
प्रेगनेंसी के दौरान कुछ महिलाओं को पूरे नौ महीने तक ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है। यदि किसी महिला के साथ ऐसा होता है तो ब्लीडिंग भी प्रसव को प्रेरित कर सकती है जिसकी वजह से महिला को समय से पहले डिलीवरी हो सकती है।
पानी की थैली का जल्दी फटना
गर्भाशय में शिशु एक पानी की थैली में होता है और पानी की थैली का फटना इस बात का संकेत होता है की बच्चा अब पैदा होने वाला है। ऐसे में यदि पानी की थैली समय से पहले ही फट जाती है तो इसका मतलब होता है की महिला की डिलीवरी समय से पहले हो रही है।
गलत आदतें
गर्भावस्था के दौरान यदि महिला बहुत ज्यादा धूम्रपान या शराब पीती है तो इसके कारण भी महिला को समय से पहले डिलीवरी हो सकती है। साथ ही धूम्रपान व् शराब का असर इतना खराब होता है की होने वाला शिशु शारीरिक व् मानसिक दोनों रूप से बहुत कमजोर हो सकता है।
सम्बन्ध
वैसे स्वस्थ प्रेगनेंसी होने पर कपल सम्बन्ध बना सकता है लेकिन इस दौरान पूरी सावधानी का ध्यान रखना जरुरी होता है। ताकि माँ या बच्चे को कोई दिक्कत नहीं हो ऐसे में यदि सम्बन्ध बनाते समय यदि कपल सावधानी नहीं बरतता है तो इसकी वजह से गर्भाशय पर चोट लगने का खतरा बढ़ सकता है जिसकी वजह से महिला को दर्द हो सकता है और प्रसव प्रेरित हो सकता है।
वजन
गर्भावस्था के दौरान महिला के वजन का कम या ज्यादा होना भी समय से पहले डिलीवरी होने का कारण हो सकता है। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान महिला को अपने वजन का भी ध्यान रखना चाहिए ताकि महिला का वजन न तो बहुत ज्यादा हो और न हो बहुत कम हो।
शारीरिक रूप से अधिक काम करना
गर्भावस्था के दौरान यदि महिला ऐसे काम करती है जिन्हे करने से महिला के पेट पर दबाव अधिक बढ़ जाता है। जैसे की भारी वजन उठाना, ज्यादा खड़े रहकर काम करना, पेट के बल या झुककर काम करना, आदि। तो ऐसे कुछ काम करने से भी समय से पहले डिलीवरी होने का खतरा बढ़ जाता है।
समय से पहले डिलीवरी होने पर शिशु को होने वाली दिक्कत
यदि महिला की डिलीवरी समय से पहले हो जाती है तो इसकी वजह से गर्भ में शिशु का विकास प्रभावित हो सकता है। जैसे की:
- शिशु को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
- जन्म के बाद शिशु के वजन में कमी जैसी समस्या होती है।
- शिशु को जन्म दोष होने का खतरा बढ़ जाता है।
- जन्म के बाद शिशु को कुछ दिनों तक नर्सरी में रखना पड़ सकता है ताकि शिशु की सेहत सही हो सकें।
- शिशु की केयर के लिए बहुत ही ज्यादा सावधानी का ध्यान रखना पड़ सकता है।
- जन्म के बाद शिशु को एनीमिया, पीलिया जैसी परेशानी हो सकती है।
- शिशु की इम्युनिटी कमजोर होने के कारण शिशु को इन्फेक्शन होने का खतरा भी अधिक हो जाता है।
समय से पहले डिलीवरी से बचाव के उपाय
वैसे तो यदि आपको पेन शुरू हो गया है तो उसे रोका नहीं जा सकता यही लेकिन यदि आप चाहते हैं की आपको समय से पहले डिलीवरी नहीं हो और शिशु भी स्वस्थ रहें। तो इसके लिए आपको पूरी प्रेगनेंसी के दौरान अपना अच्छे से ध्यान रखना चाहिए और किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से प्रेगनेंसी में आने वाली कॉम्प्लीकेशन्स को कम करने में मदद मिलती है जिससे समय से पहले डिलीवरी होने के चांस भी कम हो जाते हैं।
तो यह हैं समय से पहले डिलीवरी होने के कारण व् उससे जुडी जानकारी, हर एक गर्भवती महिला को इस समस्या से बारे में भी पूरी जानकारी होनी चाहिए ताकि महिला प्रेगनेंसी के दौरान अपना अच्छे से ध्यान रखे जिससे महिला को इस समस्या का सामना नहीं करना पड़े।