लड़का हो या लकड़ी, शादी सभी की लाइफ का सबसे खुबसूरत और यादगार पल होता है। शादी के दौरान जहां एक तरफ दो दिल मिलते है वहीं दूसरी तरफ दो परिवारों का भी मिलन होता है। रिश्तेदारों और घर परिवार के लोगों के आशीर्वाद से दूल्हा-दुल्हन अपनी नई जिन्दगी की शुरुआत करते है। भारत में शादी विवाह के दौरान बहुत सी रस्में और रिवाज़ होते है। जिसके साथ बहुत से फंक्शन होते है। इन्ही में से एक है चूड़े की रस्म।
भारतीय शादी विशेषकर पंजाबी शादियों में होने वाली चूड़े की रस्म हर दुल्हन के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसा नहीं है की ये सिर्फ पंजाबियो में ही होती है बल्कि भारत के अलग-अलग कोनों में अलग-अलग नाम से जानी जाती है। इस रस्म के दौरान एक विशेष आयोजन किया जाता है जिसमे दुल्हन को चूड़ा पहनाया जाता है। लेकिन क्या कभी सोचा है की आखिर शादी के समय ही चूड़ा क्यों पहनाया जाता है? क्यों शादी के बाद इसका महत्व इतना बढ़ जाता है? शायद नहीं! क्योंकि कभी इसकी आवश्यकता ही नहीं पड़ी।
जैसा की आप सभी जानते है शादियों में होने वाली हर एक रस्म के पीछे कोई न कोई कारण होता है। इसी प्रकार इस रस्म के पीछे भी कई कारण छुपे है जिनके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे है। इसके साथ ही आज हम आपको ये भी बताएँगे की शादी के समय ही दुल्हन चूड़ा क्यों पहनती है? तो आइए जानते है शादी की इस मजेदार रस्म के पीछे का महत्व!
शादी में दुल्हन चूड़ा क्यों पहनती है?
क्या होता है चूड़ा?
किसी भी चीज के महत्व को जानने से पहले ये जानना जरुरी है की वो क्या है। इसीलिए सबसे पहले हम आपको बताएँगे की चूड़ा होता क्या है?
चूड़ा सफ़ेद और लाल / किसी अन्य रंग की चूड़ियों का सेट होता है। लेकिन सामान्य तौर पर ये केवल दो ही रंगों में मिलता है। पारंपरिक तौर पर इसे हाथी के दांत से बनाया जाता है लेकिन आजकल इनका निर्माण प्लास्टिक से होने लगा है। चूड़े को ,खासकर की हिन्दू विवाहों में, दुल्हन की शादी वाले दिन पहनाया जाता है। सिंदूर और मंगलसूत्र के साथ हिन्दू परिवारों में होने वाली सबसे महत्वपूर्ण परंपरा है। चूड़े में कई तरह के कलर और कॉम्बिनेशन देखने को मिलते है लेकिन सामान्य तौर पर लाल और सफ़ेद रंग ही प्रयोग में लाया जाता है।
चूड़ा शादी के बाद 40 दिनों तक पहना जाता है और 40 वें दिन केवल उसका पति ही ये चूड़ा उतारता है। इसके बाद अगर वे चाहे तो किसी अन्य रंग के चूड़े को पहन सकती है।
चूड़े से जुड़े रिवाज :
खासकर पंजाबियों में होने वाली चूड़ा सेरेमनी दुल्हन के घर पर की जाती है। जिसमे दुल्हन के मामा उसके लिए चूड़ा लेकर आते है। इसमें लाल और सफ़ेद रंग की 21 चूड़ियाँ होती है। दुल्हन इस चूड़े को तब तक नहीं देख पाती जब तक वेह पूरी तरह से तैयार न हो जाए और मंडप में दुल्हे के साथ न बैठ जाए।
चूड़े की रस्म :
चूड़ा पहनने की रस्म शादी वाले दिन या उससे एक दिन पहले की जाती है। दुल्हन को चूड़ा पहनाने से पहले इसे शादी से एक रात पहले दूध में भिगोकर रखा जाता है। फिर दुल्हन के मामा और मामी जी चूड़े का सेट उसे देते है। जिसमे लाल और सफ़ेद रंग की 21 चूड़ियाँ होती है लेकिन आजकल की लड़कियां केवल 7 से 9 चूड़ियाँ पहनना ही पसंद करती है। इस रस्म में दुल्हन के सर पर लाल चुन्नी रखकर, ज्वेलरी और शगुन भी दिया जाता है। हालाँकि आजकल के चूड़ों में से नग न निकले इसीलिए शादी की सुबह ही इसे दूध में भिगोकर दुल्हन को पहना दिया जाता है।
चूड़ा पहनाने के दौरान दुल्हन की आँखे उसकी माँ बंद कर देती है ताकि वो चूड़े को देख न पाए। क्योंकि माना जाता है की चूड़े को देखने पर उसकी खुद की नजर चूड़े पर लग जाती है। इसके बाद लड़की के हाथों को सफ़ेद कपडे से बांध दिया जाता है। और शादी तक दुल्हन इसे नहीं देख सकती।
कितने दिन तक पहनें :
पारंपरिक तौर पर चूड़ा कम से कम 1 साल तक पहना जाता है। लेकिन वर्तमान में दुल्हने केवल एक महीना या 40 दिनों तक ही इसे पहनती है। इनका आकार कुछ इस प्रकार होता है की ये आपकी कलाई से लेकर आपकी बांह तक पूरी तरह सेट हो जाए।
चूड़ा क्यों पहनाते है?
चूड़ा शादी शुदा होने का प्रतीक माना जाता है। साथ ही यह प्रजनन और समृद्धि का संकेत भी होता है। इसके अलावा पति की लम्बी आयु और उसकी भलाई के लिए भी इसे पहनाया जाता है।
चूड़ा उतारने की रस्म :
चूड़ा उतारने की रस्म शादी के 40 दिन बाद या 1 साल बाद की जाती है, और इसके लिए छोटा सा आयोजन भी किया जाता है। इसमें दुल्हन को शगुन के साथ मिठाई भी दी जाती है। उसके बाद पति चूड़ा उतारकर कांच की चूड़ियाँ पहनाता है। चूड़ा उतारने के बाद उसे किसी नदी में सिरा दिया जाता है। लेकिन अगर दुल्हन शादी के 1 साल के भीतर ही प्रेग्नेंट हो जाए तो चूड़ा उतार दिया जाता है। वैसे, आजकल की दुल्हनें केवल 40 दिन तक ही चूड़ा पहनना पसंद करती है लेकिन कुछ पंजाबी परिवारों में 5 महीने बाद भी चूड़ा उतार दिया जाता है।
कलीरे की रस्म :-
हर पंजाबी दुल्हन को चूड़ियों के साथ कलीरे पहनाये जाते है। जिसे दुल्हन की बहने और दोस्त बांधते है। बहनें, रिश्तेदार और दोस्त कलीरे बांध कर दुल्हन को आशीर्वाद देते है की वह अपनी जिन्दगी में हमेशा खुश रहे, मार्किट में कई तरह के कलीरे मिलते है। जिनमे से आप अपनी पसंद के कलीरे चुन सकती है।
जब एक बार कलीरे दुल्हन की चूड़ियों से बांध दिए जाते है तब वो चूड़ा और कलीरे पहन कर कुंवारी लड़कियों के सर पर छनकाती है। माना जाता है जिस लड़की के सर पर कलीरा गिरता है अगली शादी उसी की होती है। शादी के अगले दिन दुल्हन का एक कलीरा उतारकर मंदिर में चढ़ा दिया जाता है और बाकी कलीरे लड़की अपने पास रखती है।