डिलीवरी होने का सही समय
डिलीवरी होने की तिथि को प्रेग्नेंट महिला की आखिरी माहवारी के पहले दिन में चालीस हफ्ते जोड़कर कैलकुलेट किया जाता है। लेकिन डॉक्टर्स डिलीवरी डेट को अल्ट्रासॉउन्ड स्कैन देखकर सही तरीके से बता सकते हैं। और यह आपकी कैलकुलेट की गई डेट से दो चार दिन आगे पीछे हो सकती है। ज्यादातर शिशु गर्भावस्था के 37वें हफ्ते से 41वें हफ्ते के बीच जन्म लेते हैं। लेकिन यदि प्रेगनेंसी में किसी तरह की कॉम्प्लीकेशन्स के कारण महिला को समय से पहले ही प्रसव पीड़ा शुरू हो जाती है, या गर्भ में जुड़वाँ या ज्यादा शिशु होते हैं तो भी महिला की डिलीवरी समय से पहले भी हो सकती है। लेकिन कई बार महिला को डिलीवरी डेट निकल जाने पर भी प्रसव पीड़ा नहीं होती है।
ऐसे में महिला को घबराने की कोई जरुरत नहीं होती है, क्योंकि डिलीवरी डेट को ही शिशु जन्म ले ऐसा कोई जरुरी नहीं होता है, बल्कि यह दो चार दिन कम ज्यादा भी हो सकती है, बस इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। और जितना जल्दी हो सके डॉक्टर से मिलना चाहिए, ताकि इसके आगे क्या करना है इसके बारे में डॉक्टर आपको अच्छे से बता सके। ऐसा होने पर महिला परेशानी का अनुभव कर सकती है, और चाह सकती है की जितना जल्दी हो सके डिलीवरी जल्दी से जल्दी हो। लेकिन जल्दबाज़ी के चक्कर में महिला को किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। क्योंकि यदि महिला किसी भी तरह की लापरवाही करती है तो इसके कारण महिला को या गर्भ में शिशु को खतरा हो सकता है। तो आइये अब जानते हैं डिलीवरी डेट निकल जाने पर क्या करना चाहिए।
डिलीवरी डेट निकल जाने पर यह करें
प्रेगनेंसी के नौ महीने बीत जाने के बाद भी यदि महिला को प्रसव पीड़ा शुरू नहीं होती है या प्रसव पीड़ा का कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है। तो महिला को जितना जल्दी हो सके डॉक्टर से मिलना चाहिए, क्योंकि डिलीवरी की डेट निकल जाने के बाद ज्यादा समय शिशु का गर्भ में रहना नुकसानदायक हो सकता है। क्योंकि कई बार शिशु गर्भ में ही मल पास कर देते हैं, या शिशु का वजन बढ़ने के कारण गर्भ में शिशु का दिक्कत हो सकती है। ऐसे में ऐसी कोई परेशानी न हो इसके लिए डॉक्टर से राय लेना बहुत जरुरी होता है। और यदि महिला को प्रसव पीड़ा नहीं होती है, तो डॉक्टर प्रसव पीड़ा को शुरू करवाने की कोशिश करते हैं।
लेबर पेन को शुरू करवाने के लिए महिला को आर्टिफिशल तरीके से दर्द पैदा करने की कोशिश भी की जाती है। और यदि फिर भी महिला को दर्द नहीं होता है तो डॉक्टर्स भी महिला को सिजेरियन डिलीवरी करवाने की सलाह देते हैं। क्योंकि गर्भ में शिशु का डिलीवरी डेट निकल जाने के बाद अधिक समय तक रहना महिला को परेशान कर सकता है साथ ही इससे शिशु को दिक्कत होने का खतरा भी रहता है। इसके अलावा इस समय महिला को शिशु की हलचल का भी गर्भ में पूरा ध्यान रखना चाहिए, की शिशु अच्छे से हलचल कर रहा है या नहीं। यदि नहीं तो इसके लिए महिला को तुरंत डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
तो यदि आप भी माँ बनने वाली है तो आपको प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में प्रसव पीड़ा को पैदा करने के लिए कुछ नुस्खों का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। ताकि डिलीवरी के दौरान महिला को किसी भी तरह की परेशानी न हो। और यदि प्रसव पीड़ा न हो तो ऊपर दिए गए टिप्स का ध्यान रखना चाहिए, ताकि महिला और शिशु दोनों को स्वस्थ रहने में मदद मिल सके।