जब महिला को प्रसव पीड़ा की शुरुआत होती है वो पल महिला के लिए बहुत दर्दनाक होता है। क्योंकि गर्भाशय में धीरे धीरे संकुचन बढ़ता जाता है। साथ ही बच्चा भी धीरे धीरे नीचे की और अपने आप को धकेलता है। और फिर जब बच्चा इस दुनिया में आता है तो महिला अपना सारा दर्द भूल भी जाती है। लेकिन वो समय ऐसा होता है जिसे महिला जब भी याद करती है तो महिला को डर के साथ ख़ुशी का अनुभव भी होता है।
फिर चाहे उस समय महिला को बहुत परेशानी हुई हो या फिर महिला को ज्यादा दिक्कत न हुई हो। लेकिन क्या आप जानते हैं की जब महिला को प्रसव पीड़ा शुरू होती है और प्रसव पीड़ा की शुरुआत से लेकर बच्चे के जन्म तक महिला के शरीर में कैसा अनुभव होता है। यदि नहीं, तो आइये आज हम डिलीवरी पेन शुरू होने के चौबीस घंटे के अंदर क्या-क्या होता है प्रेग्नेंट महिला को इस बारे में बताने जा रहे हैं।
बच्चा अपने आप को नीचे की और धकेलता है
डिलीवरी का समय पास आने से कुछ समय पहले बच्चा अपने आप को नीचे की तरफ धकेलता है। यानी की अपने जन्म लेने की सही पोजीशन में आता है। बच्चे का पूरी तरह नीचे आने के कारण महिला को ऐसे लग सकता है की कुछ नीचे गिर रहा है लेकिन इससे बच्चे को कोई परेशानी नहीं होती है। बस बच्चा अपने सिर को पेल्विक एरिया की तरफ लाने की कोशिश करता रहता है।
गर्भाशय ग्रीवा खुलती है
जब बच्चे का भार पूरी तरह से पेल्विक एरिया पर पड़ जाता है। तो उसके बाद गर्भाशय की ग्रीवा पर दबाव पडता है जिसके कारण बच्चेदानी का मुँह धीरे धीरे खुलता है। महिला को ऐसा महसूस हो सकता है की शायद बच्चा अपने सिर से जोर लगा रहा है जबकि बच्चा ऐसा कुछ नहीं करता है बल्कि बच्चे के सिर का दबाव नीचे की तरफ बढ़ने के कारण ऐसा होता है।
हदय गति हो सकती है अलग
जब महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो चुकी होती है तो उसके बाद डॉक्टर महिला के साथ गर्भ में शिशु की ह्दयगति की जांच भी करते हैं। ऐसे में हो सकता है की बच्चे की हदय गति में थोड़ा उतार चढ़ाव आये।
अपने लिए ढूंढ़ता है शिशु आसान रास्ता
शिशु जब एक बार अपने सिर नीचे की तरफ कर लेता है तो इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं होता है की वो फिर गर्भ में घूमता नहीं है। बल्कि प्रसव पीड़ा होने के बाद भी शिशु गर्भ में ट्विस्ट करता रहता है। और बाहर आने के लिए आसान रास्ता ढूंढ़ता हैं।
सांस लेने की कोशिश
गर्भ में शिशु माँ के जरिये ही सांस लेता है चाहे प्रसव पीड़ा के शुरू होने बाद चाहे महिला किसी भी परेशानी का अनुभव कर रही हो। लेकिन बच्चा भी इस दौरान होने आप सांस लेने की कोशिश कर सकता है क्योंकि अब कुछ ही पलों में वह इस दुनिया में आने वाला होता है और अपने लिए साँस खुद लेता है।
आवाज़ें सुनता है
गर्भ में शिशु जब होता है तो उसके सुनने की क्षमता धीरे धीरे विकसित हो जाती है। ऐसे ही जब महिला डिलीवरी के समय चिल्ला रही होती है तो यह सब चीजें भी शिशु सुनता है। लेकिन इन चीखों का आपके बच्चे पर किसी भी तरह का कोई बुरा असर नहीं पड़ता है।
तो यह हैं कुछ चीजें जो महिला प्रसव पीड़ा के शुरू होने से लेकर बच्चे के जन्म होने तक शरीर में महसूस करती है। और इन सभी बातों का अनुभव और अहसास केवल एक महिला ही बता सकती है की उसे कैसा महसूस हो रहा था जब उसका बच्चा जन्म लेने वाला था।