प्रसव के 10 लक्षण

डिलीवरी से पहले बॉडी में आने वाले परिवर्तन

प्रसव गर्भावस्था का वो पल होता है जब नौ महीने के लम्बे इंतज़ार के बाद महिला गर्भ में पल रहे शिशु को अपने हाथों में लेकर, सीने से लगाकर मातृत्व के अहसास का करीब से अनुभव करती है। ऐसे में जैसे जैसे डिलीवरी का समय पास आता है वैसे वैसे डिलीवरी को लेकर महिला के मन में तरह के सवाल घूमने लगते हैं। लेकिन ऐसे में घबराना या तनाव लेना महिला की मुश्किलों को बढ़ा सकता है, क्योंकि डिलीवरी एक दम से नहीं हो जाती है बल्कि इससे पहले बॉडी कुछ संकेत देती है, बॉडी में परिवर्तन होने शुरू होते है, जिससे आपको पता चल सकता है की आपकी डिलीवरी का समय पास आने वाला है। और यदि लेबर को लेकर महिला मानसिक रूप से अधिक तनाव लेती है तो यह गर्भवती महिला के साथ गर्भ में शिशु को भी नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में महिला को तनाव लेने की बजाय बॉडी में होने वाले परिवर्तन को देखना चाहिए और समझना चाहिए ताकि लेबर को आसान बनाने में मदद मिल सके।

प्रसव के लक्षण

डिलीवरी का समय पास आने पर बॉडी में कुछ ऐसे लक्षण महसूस होते है, जो इस बात की और इशारा करते हैं की डिलीवरी होने वाली है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की प्रसव शुरू होने से होने बॉडी में क्या क्या लक्षण महसूस होते हैं।

पेट से जुडी समस्या

यदि गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के आखिरी समय में कब्ज़, दस्त, उल्टी आदि की समस्या अधिक होने लगे, तो यह इस बात का इशारा होता है की अब प्रसव किसी भी समय हो सकता है। साथ ही इस दौरान अधिक दस्त व् उल्टी की समस्या को अनदेखा न करते हुए इसके लिए एक बार डॉक्टर से राय जरूर लेनी चाहिए।

पेट व् कमर में दर्द

शिशु का आकार बढ़ने के कारण प्रेगनेंसी के दौरान कमर या हल्के पेट दर्द की समस्या से गर्भवती महिला का परेशान रहना बहुत ही आम बात होती है। लेकिन यदि यह दर्द बढ़ने लगे तो यह प्रसव का समय पास आने का लक्षण हो सकता है। ख़ास कर यदि पेट में दर्द पहले कम हो फिर ज्यादा हो, और बार बार ऐसा हो तो इसका मतलब अब किसी भी समय शिशु जन्म ले सकता है, क्योंकि यह दर्द लेबर पेन की शुरुआत होने की और इशारा करता है।

शिशु का नीचे आना

प्रेगनेंसी के आठवें महीने के आखिरी या नौवें महीने के आस पास शिशु गर्भ में अपनी सही पोजीशन में आ जाता है। ऐसे में यदि गर्भवती महिला को पेट के निचले हिस्से यानी की पेल्विक एरिया के आस पास भार मसहूस हो, और पेट व् सीने के आस पास हल्कापन महसूस हो तो यह भी प्रसव के प्रमुख लक्षणों में से एक होता है।

संकुचन

संकुचन का होना प्रसव का एक अहम लक्षण होता है, खासकर जब महिला को ऐसा महसूस हो की गर्भाशय में संकुचन की गति बढ़ रही है। तो इसका मतलब होता है की आपका हॉस्पिटल जाने का समय आ गया है और अब किसी भी समय आपका नन्हा मेहमान आपकी दुनिया में शामिल हो सकता है।

खून

इम्प्लांटेशन यानी की जब प्रेगनेंसी की शुरुआत में भ्रूण गर्भाशय की दीवार के साथ जुड़ता है तो महिला को हल्की स्पॉटिंग की समस्या हो सकती है। ऐसे ही यदि गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में भी म्यूकस के साथ हल्के खून के धब्बे दिखाई दें तो यह भी प्रसव का समय पास आने का लक्षण हो सकता है।

पानी की थैली

शिशु माँ के पेट में एमनियोटिक फ्लूइड में होता है जिसे पानी की थैली भी कहा जाता है। ऐसे में यदि गर्भवती महिला को प्राइवेट पार्ट से गाढ़ा, सफ़ेद, चिपचिपा पदार्थ बहुत अधिक मात्रा में आता हुआ महसूस हो तो इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए क्योंकि यह इस बात की और संकेत करता है की शिशु आपकी दुनिया में शामिल होने के लिए बिल्कुल तैयार है और अब किसी भी समय उसका जन्म हो सकता है।

मांपेशियों में खिंचाव

यदि गर्भवती महिला को पेट, कमर, जांघो, जोड़ी की मांसपेशियों में अधिक खिंचाव का अनुभव हो तो यह भी गर्भवती महिला की प्रसव पीड़ा के शुरू होने का संकेत देता है। और मांसपेशियों के साथ खिंचाव का अधिक अनुभव और दर्द का अहसास हो तो जल्द से जल्द एक बार डॉक्टर से राय लेनी चाहिए।

महिला में भावनात्मक बदलाव

यदि महिला को मूड स्विंग्स अधिक होने लगे जैसे की गुस्सा व् चिड़चिड़ापन अधिक महसूस होने लगे, महिला शिशु के आने की तैयारियों में जुट जाए, शिशु के लिए जरुरी सामान इक्कठा करने लगे, तो महिला में अचानक आये इस भावनात्मक बदलाव का मतलब भी प्रसव का समय पास आने का संकेत हो सकता है।

नींद

प्रसव का समय पास आने पर महिला की नींद भी बढ़ जाती है लेकिन वजन बढ़ने के कारण, बैचनी का अनुभव होने पर महिला पर्याप्त नींद लेने में असमर्थ रहती है। ऐसा होना भी गर्भवती महिला की बॉडी का संकेत देना होता है की डिलीवरी अब किसी भी समय हो सकती है या लेबर पेन शुरू होने का संकेत होता है।

वजन

डिलीवरी का समय पास आने पर महिला के वजन का अचानक से बढ़ जाना या घट जाना भी प्रसव पीड़ा का संकेत होता है। और इस तरह से वजन बढ़ने या घटने के कारण गर्भ में पल रहे शिशु पर किसी भी तरह का बुरा असर नहीं पड़ता है।

तो यह हैं वो लक्षण जो महिला की डिलीवरी का समय पास आने वाला है इस बात की और इशारा करते है। ऐसे में महिला को इनमे से कोई भी लक्षण महसूस हो तो बिना देरी किये जितना जल्दी हो सके डॉक्टर से मिलना चाहिए। ताकि किसी भी तरह की परेशानी से बचने, गर्भवती महिला और शिशु दोनों को स्वस्थ रहने में मदद मिल सके।

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