डिलीवरी से जुड़े टिप्स
गर्भावस्था का नौवां महीना पास आते आते गर्भवती महिला के दिमाग में डिलीवरी को लेकर तरह तरह की बातें घूमने लगती है। जैसे की डिलीवरी नोर्मल होगी या सिजेरियन, नोर्मल हुई तो कितना दर्द होगा, सिजेरियन होगी तो कैसा महसूस होगा, डिलीवरी के असर शिशु पर तो नहीं पड़ेगा, डिलीवरी रूम का अनुभव कैसा होगा आदि। लेकिन डिलीवरी को लेकर परेशान होने से कुछ नहीं होता है बल्कि आपका मानसिक रूप से परेशान होना आपके स्वास्थ्य और शिशु के विकास पर असर डाल सकता है। ऐसे में गर्भवती महिला को कोशिश करनी चाहिए की वो एक्टिव रहे, खाने पीने का अच्छे से ध्यान रखे, आयरन की कमी बॉडी में न होने दे, तनाव न लें, डॉक्टर के संपर्क में रहे आदि। इन टिप्स का ध्यान रखने से डिलीवरी के दौरान आने वाली परेशानियों को कम करने में मदद मिल सकती है।
डिलीवरी रूम में डॉक्टर किस तरह की बातें करती हैं?
डिलीवरी रूम के अंदर जाने के बाद क्या होगा क्या नहीं इसे लेकर भी गर्भवती महिला परेशान हो सकती है। और डिलीवरी रूम के अंदर जाने के बाद डॉक्टर क्या बातें करते हैं इसे लेकर भी गर्भवती महिला के मन में सवाल आ सकता है। तो लीजिए आज हम आपको डिलीवरी रूम के अंदर डॉक्टर क्या बातें करते हैं इससे जुडी कुछ बातें बताने जा रहे हैं।
गर्भवती महिला की सेहत से जुडी बातें
डिलीवरी के लिए जब महिला को अंदर लेकर जाते हैं तो सबसे पहले डॉक्टर्स महिला का ब्लड प्रैशर, पल्स आदि नोट करने के लिए कहते हैं, और यह लगातार कण्ट्रोल में रखा जाता है ताकि डिलीवरी के दौरान ब्लड प्रैशर के घटने या बढ़ने के कारण होने वाली परेशानी को कण्ट्रोल करने में मदद मिल सके।
धैर्य रखने के लिए
डॉक्टर लेबर पेन से जूझ रही महिला को धैर्य रखने की सलाह देते हैं, क्योंकि जितना महिला परेशान होती है उतना ही ज्यादा महिला की डिलीवरी में आने वाली मुश्किलें बढ़ सकती है, ऐसे में डॉक्टर महिला को धैर्य रखकर दिमाग को शांत रखने की सलाह देते हैं। और महिला जितना अपने ऊपर कण्ट्रोल रखती है उतना ही डिलीवरी में आसानी होने में मदद मिलती है।
पुश करने के लिए
जितना गर्भवती महिला अपने आप को पुश करती है, जितना जोर लगाती है उतना ही डिलीवरी को आसानी से होने में मदद मिलती है। इसीलिए जब तक डिलीवरी नहीं हो जाती है तब तक डिलीवरी रूम के अंदर डॉक्टर लगातार महिला को पुश करने यानी जोर लगाने के लिए कहती है ताकि डिलीवरी जल्द से जल्द हो सके।
आत्मविश्वास
दर्द से जूझ रही गर्भवती महिला को आत्मविश्वास टूट सकता है साथ ही घबराहट व् दर्द के कारण महिला अपने आप को टूटता हुआ महसूस करती है। लेकिन डॉक्टर लगातार महिला को हिम्मत देते हुए उसका आत्मविश्वास बढ़ाते हुए की कुछ नहीं होगा हिम्मत रखो अभी हो जायेगा इस तरह की बातें करते हुए आत्मविश्वास को बनाएं रखने में मदद करती है।
शिशु
डॉक्टर्स महिला को शिशु के बारे में सोचने के लिए कहते हैं और उसके बाद जैसे ही महिला की डिलीवरी हो जाती है वैसे ही गर्भनाल से शिशु को अलग करने के बाद शिशु को साफ़ सफाई के लिए भेज दिया जाता है, और महिला को डॉक्टर द्वारा बताया जाता है की उनके घर में ख़ुशी आई है। और सब कुछ ठीक है इस तरह डॉक्टर महिला को राहत महसूस करवाने में मदद करती है।
तो यह हैं कुछ बातें जो डिलीवरी रूम में डॉक्टर द्वारा महिला के साथ की जाती है। ऐसे में डिलीवरी के दौरान आने वाली परेशानियों से बचने के लिए चाहिए की महिला कुछ भी गलत न सोचें बल्कि सब अच्छा ही होगा इस बारे में सोचें। इसके अलावा प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में महिला को डॉक्टर से राय लेते रहने के साथ डिलीवरी के बारे में जानकारी इक्कठे करते रहने चाहिए ताकि महिला को प्रसव के दौरान आने वाली परेशानियों को कम करने में मदद मिल सके।