प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला बहुत सी शारीरिक परेशानियों का सामना करती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की कोई भी दिक्कत ज्यादा होने पर भी आप उसे अनदेखा करें। क्योंकि गर्भावस्था के दौरान ऐसे कुछ लक्षण होते हैं जो यदि बॉडी में महसूस हो तो यह माँ के साथ बच्चे के लिए भी हानिकारक होते हैं। तो आइये आज इस आर्टिकल में हम आपको प्रेगनेंसी में बॉडी में महसूस होने वाले कुछ लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं जो यदि आपको महसूस हो तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
ब्लीडिंग होना
गर्भावस्था के दौरान यदि महिला को पीरियड्स की तरह ब्लीडिंग हो तो भी प्रेग्नेंट महिला को इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह गर्भपात का संकेत होता है।
पेट में दर्द
प्रेगनेंसी के किसी भी महीने में महिला को पेट में तेज दर्द हो तो इसे भी प्रेग्नेंट महिला को अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह महिला के गर्भपात, एक्टोपिक प्रेगनेंसी, समय से पहले बच्चे का जन्म, डिलीवरी होने आदि का संकेत होता है।
पीठ व् पेल्विक एरिया में दर्द
प्रेगनेंसी के दौरान यदि गर्भवती महिला को पीठ या पेट के निचले हिस्से में बहुत अधिक दर्द महसूस हो तो यह गर्भपात या समय से पहले महिला की डिलीवरी होने का संकेत होता है। ऐसे में इस लक्षण को भी प्रेग्नेंट महिला को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
सफ़ेद पानी अधिक आना
गर्भावस्था के दौरान थोड़ा बहुत सफ़ेद पानी आना बहुत आम बात होती है लेकिन यदि प्रेग्नेंट महिला को सफ़ेद पानी अधिक आये। सफ़ेद पानी गिरने के साथ बदबू आदि भी महसूस हो तो यह प्राइवेट पार्ट में संक्रमण के कारण होता है ऐसे में इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्योंकि संक्रमण के कारण तो महिला को दिक्कत होती है, लेकिन सफ़ेद पानी अधिक गिरने से महिला को थकान व् कमजोरी की समस्या भी अधिक होती है।
वजन न बढ़ना
प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में तो नहीं लेकिन प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही से गर्भवती महिला का वजन लगातार बढ़ता है। लेकिन यदि आपको ऐसा लगा रहा है की आपका वजन नहीं बढ़ रहा है, पेट का आकार नहीं बढ़ रहा है तो इसे भी गर्भवती महिला को अनदेखा नहीं करना चाहिए और डॉक्टर से मिलना चाहिए। क्योंकि यह लक्षण गर्भ में शिशु के विकास में कमी की और इशारा करता है।
थकान व् कमजोरी अधिक महसूस होना
प्रेग्नेंट महिला को बिना कुछ काम किये ही थकान, कमजोरी, सिर दर्द, चक्कर, बॉडी पेन आदि की समस्या अधिक हो तो इसे भी गर्भवती महिला को अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह शरीर में खून की कमी होने का संकेत होता है जो माँ व् बच्चे दोनों के लिए नुकसानदायक होता है।
बुखार या खांसी जुखाम अधिक होना
बॉडी का तापमान बढ़ना, खांसी, जुखाम, जैसी परेशानी होना होना फ्लू या किसी संक्रमण के कारण होता है। ऐसे में गर्भवती महिला को यदि ऐसा महसूस हो तो महिला को इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
सूजन की समस्या बढ़ना
प्रेगनेंसी के दौरान पैरों में सूजन आना आम बात होती है लेकिन गर्भवती महिला को यदि सूजन की समस्या बढ़ जाएँ साथ ही पैरों के साथ हाथ, मुँह व् शरीर के अन्य हिस्सों पर भी सूजन आये तो इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह लिवर व् किडनी से सम्बंधित समस्या का संकेत होता है।
यूरिन के रंग में परिवर्तन व् बदबू आना
प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला का यूरिन थोड़ा पीला आ सकता है। लेकिन यदि प्रेग्नेंट महिला को यूरिन के रंग में ज्यादा बदलाव, यूरिन के साथ ब्लड, यूरिन करते समय जलन या यूरिन में से बहुत बदबू आती है तो यूरिन इन्फेक्शन का संकेत होता है। इसीलिए गर्भवती महिला को यदि यह लक्षण महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से मिले ताकि माँ व् बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को इसके कारण कोई दिक्कत न हो।
बच्चे की हलचल कम होना
प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में बच्चा गर्भ में हलचल करना शुरू कर देता है। शुरुआत में यह हलचल थोड़ी कम लेकिन बच्चे का विकास बढ़ने के साथ हलचल भी बढ़ने लगती है। लेकिन कभी यदि प्रेग्नेंट महिला को ऐसा लगे की गर्भ में बच्चे को हलचल किये एक या डेढ़ घंटे से ज्यादा हो गया है तो यह गर्भ में बच्चे को खतरे का संकेत होता है ऐसे में बच्चे की हलचल न होने के लक्षण को गर्भवती महिला को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
प्रेगनेंसी की आखिरी तिमाही में एमनियोटिक फ्लूड निकलना या पेट में तेज दर्द
गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में यदि महिला को ऐसा महसूस हो की प्राइवेट पार्ट से यूरिन की तरह सफ़ेद पानी निकल रहा है या पेट में बहुत ज्यादा दर्द महसूस हो तो इसे महिला को अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्योंकि प्रेगनेंसी के सैंतीसवें हफ्ते से पहले ऐसा होना समय से पहले बच्चे के जन्म का संकेत होता है। लेकिन यदि ऐसा सैंतीसवें हफ्ते के बाद होता है तो यह महिला की डिलीवरी का लक्षण होता है। दोनों ही स्थिति में आपको बिना देरी किये तुरंत डॉक्टर के पास चले जाना चाहिए।
तो यह हैं कुछ लक्षण जो यदि प्रेग्नेंट महिला को महसूस हो तो महिला को इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह लक्षण प्रेगनेंसी के दौरान महिला व् बच्चे दोनों के लिए परेशानी खड़ी करते हैं। साथ ही आपको डॉक्टर द्वारा नियमित जांच करवाते रहना चाहिए। ताकि आपको अपनी व् बच्चे की सेहत की सही जानकारी मिलती रहे।