यह तो सभी जानते हैं माँ के पेट में पल रहे बच्चे का विकास माँ पर ही निर्भर करता है। लेकिन इसके साथ प्रेग्नेंट महिला जो भी करती है, जो भी महसूस करती है, परेशान होती है, शिशु से बातें करती है, आदि इन सभी चीजों को भी शिशु महसूस कर सकता है। ऐसे में यदि महिला को कोई दिक्कत होती है तो शिशु भी उसे महसूस कर सकता है। जिसके कारण यदि महिला अस्वस्थ है तो ऐसा हो सकता है की गर्भ में शिशु भी अस्वस्थ हो। और यदि शिशु बीमार होता है तो इसके कुछ लक्षण गर्भवती महिला को भी महसूस हो सकते हैं। तो आइये आज इस आर्टिकल में हम गर्भ में शिशु के बीमार होने के कुछ लक्षणों के बारे में बताने जा रहे है।
गर्भ में शिशु के बीमार होने पर प्रेग्नेंट महिला को महसूस होते हैं यह लक्षण
कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जो शिशु के बीमार होने पर प्रेग्नेंट महिला को महसूस हो सकते हैं। तो आइये अब जानते हैं की वो लक्षण कौन से हैं।
पेट का बाहर न आना
कुछ महिलाओं का पेट प्रेगनेंसी के सातवें आठवें महीने में भी बाहर की तरफ कम निकला हुआ महसूस हो सकता है। और यदि ऐसा होता है तो इसका मतलब होता है की शिशु गर्भ में अस्वस्थ है और शिशु का विकास अच्छे से नहीं हो रहा है।
शिशु की मूवमेंट का कम होना
शिशु का विकास बढ़ने के साथ गर्भ में शिशु की मूवमेंट भी बढ़ने लगती है लेकिन यदि महिला को शिशु की मूवमेंट कम महसूस हो। तो यह भी शिशु के बीमार होने का एक लक्षण होता है।
प्रेग्नेंट महिला के कारण बच्चा कब बीमार होता है?
कई बार महिला की शारीरिक स्थिति सही न होने के कारण भी शिशु बीमार पड़ सकता है। तो आइये अब जानते हैं की माँ की वजह से शिशु कब बीमार हो सकता है।
पोषक तत्वों की कमी
यदि प्रेग्नेंट महिला अपनी डाइट का अच्छे से ध्यान नहीं रखती है और खान पान में लापरवाही करती है। तो इसके कारण बच्चे के विकास लिए जरुरी पोषक तत्व बच्चे तक नहीं पहुँच पाते हैं। जिसके कारण बच्चे के विकास में कमी आ सकती है। और गर्भ में बच्चा कमजोर यानी अस्वस्थ हो सकता है।
तनाव
प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली परेशानियों के कारण कुछ प्रेग्नेंट महिलाएं तनाव में आ जाती है। और गर्भवती महिला के मानसिक रूप से परेशान होने के कारण बच्चे का विकास भी प्रभावित हो सकता है। जिसके कारण बच्चे के विकास पर असर पड़ने के कारण बच्चा बीमार हो सकता है।
प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली परेशानियां
कुछ गर्भवती महिला प्रेगनेंसी के दौरान बहुत सी परेशानियां जैसे की उल्टी का अधिक होना, गेस्टेशनल शुगर होना, ब्लड प्रैशर से जुडी समस्या होना, खून की कमी, आदि हो सकती है। और जिन महिलाओं को यह शारीरिक परेशानियां अधिक होती है। तो इसका असर बच्चे पर भी पड़ सकता है जिसके कारण शिशु गर्भ में बीमार हो सकता है या फिर शिशु के विकास में कमी आ सकती है।
महिला का बीमार होना
यदि प्रेग्नेंट महिला को बुखार है जिसके कारण बॉडी का तापमान में फ़र्क़ रहा है। तो बॉडी के तापमान में फ़र्क़ आने का असर बच्चे पर भी पड़ सकता है। जिसके कारण बच्चा भी अस्वस्थ महसूस कर सकता है। इसके अलावा प्रेग्नेंट महिला के अधिक थकान महसूस करने, बहुत ज्यादा भागदौड़ करने, आदि के कारण भी पेट में बच्चा असहज महसूस कर सकता है।
तो यह हैं कुछ कारण व् लक्षण जो गर्भ में शिशु के बीमार होने की तरफ इशारा करते हैं। यदि आप भी माँ बनने वाली हैं तो आपको भी इन सभी बातों का ध्यान रखना चाहिए। ताकि गर्भ में शिशु स्वस्थ है या नहीं इसके बारे में जानने में आपको आसानी हो सके।