प्रेगनेंसी महिला के लिए एक बहुत ही खूबसूरत अहसास होता है जिसे महिला नौ महीने तक महसूस करती है। और पेट के आकार के बढ़ने के साथ और अपने शिशु की हलचल को महसूस करके एक गर्भवती महिला अपने बच्चे के विकास का अनुभव करती है। जैसे माँ गर्भ में पल रहे बच्चे को अनुभव कर सकती है वैसे ही शिशु भी माँ द्वारा दिए गए अहसास को अनुभव कर सकता है।
अब आप यह सोच रहे होंगे की ऐसा कैसे होता है। जैसे जैसे गर्भ में शिशु का विकास बढ़ता है वैसे वैसे उसके अंग भी काम करने लगते हैं जैसे की शिशु के दिमाग का विकास होता है शिशु बाहर की चीजों को महसूस कर सकता है, सुन सकता है, आदि। और इसका जवाब गर्भ में शिशु अपनी हलचल के माध्यम से देता है।
जैसे की जब गर्भ में बच्चा बाहर की किसी तेज आवाज़ को महसूस करता है, माँ द्वारा मसालेदार खाने के स्वाद को अनुभव करता है, आदि तो शिशु की गर्भ में हलचल बढ़ जाती है। ऐसे में गर्भ में पल रहे शिशु के शारीरिक व् मानसिक विकास में कोई कमी न आये इसके लिए महिला को प्रेगनेंसी के दौरान अपनी अच्छे से केयर करने के साथ अपने आस पास के वातावरण का ध्यान रखना जरुरी होता है।
साथ ही अपने और दूसरों के व्यवहार का भी अच्छे से ध्यान रखना पड़ता है। जैसे की यदि जब आप घर में लड़ाई करते हैं या किसी ऐसी जगह पर होते हैं जहां लड़ाई हो रही होती है तो इससे शिशु पर भी प्रभाव पड़ता है और यह प्रभाव शिशु पर नकारात्मक असर डाल सकता है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की की शिशु पर लड़ाई का क्या प्रभाव पड़ता है।
महिला को तनाव होने के कारण बच्चे को हो सकती है परेशानी
यदि आप लड़ाई करते हैं तो इसके कारण महिला तनाव आ जाती है और इसके कारण महिला के शरीर की क्रियाएं प्रभावित हो सकती है। जिसका असर शिशु पर भी पड़ सकता है। जैसे की शिशु के मानसिक व् शारीरिक विकास में कमी आ सकती है। और यदि महिला बहुत अधिक तनाव लेती है तो इसके कारण शिशु का मानसिक विकास बहुत बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। जिसके कारण जन्म के बाद शिशु का दिमाग कमजोर, शिशु को डर आदि अधिक महसूस होने की परेशानियां हो सकती है।
बीमारी होने का रहता का खतरा
यदि प्रेगनेंसी के दौरान आप लड़ाई करती है और इसके कारण तनाव में आ जाती है तो इसका असर आपके इम्यून सिस्टम पर पड़ता है। जो बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकता है और इसके कारण जन्म के समय या जन्म के होने के बाद शिशु को बिमारी होने का खतरा बढ़ सकता है।
समय पूर्व प्रसव का बढ़ता है खतरा
प्रेगनेंसी के दौरान लड़ाई करने या किसी की लड़ाई के मौजूद होने के कारण तेज शोर सुनने के बाद गर्भ में शिशु की हलचल व् गर्भाशय में संकुचन होने का खतरा बढ़ सकता है। जिसके कारण समय से पहले बच्चे के जन्म लेने के चांस बढ़ जाते हैं। और इस कारण जन्म के समय शिशु के वजन में कमी की समस्या होती है। जिसके कारण बाद में बच्चे को शारीरिक परेशानियां अधिक होने का खतरा बढ़ सकता है।
तो यह हैं कुछ परेशानियां जो प्रेग्नेंट महिला के लड़ाई करने या लड़ाई वाली जगह पर होने के कारण गर्भ में को हो सकती है। ऐसे में इन परेशानियों से बचे व् बच्चे के बेहतर विकास के लिए महिला को प्रेगनेंसी के दौरान शांत रहना चाहिए और अपने व् दूसरों के व्यवहार का भी ध्यान रखना चाहिए।