Fourth Month of Pregnancy- Symptoms, Diet and Precautions गर्भावस्था का चौथा महीना यानी की प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही का आगाज़, इस दौरान महिला थोड़ी बेफिक्र हो सकती है। क्योंकि अब महिला के गर्भपात होने का खतरा कम हो जाता है। लेकिन शिशु का विकास और भी तेजी से होना शुरू हो जाता है। क्योंकि अब शिशु के अंग पूरी तरह बन चुके होते हैं और अब उन अगों का विकास तेजी से होना शुरू हो जाता है।
ऐसे में जरुरी होता है की महिला अपना अब अच्छे से ध्यान रखें। किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करें इसके अलावा प्रेगनेंसी के दौरान माँ व् बच्चे के लिए जो जो चीजें करना जरुरी है महिला अब वह करें। प्रेगनेंसी के चौथे महीने में भी महिला के शरीर में बहुत से लक्षण महसूस होते हैं, महिला को बहुत सावधानियां बरतनी जरुरी होती है। तो आइये अब आगे इन सभी चीजों का बारे में विस्तार से जानते हैं।
गर्भावस्था के चौथे महीने के लक्षण
प्रेगनेंसी के चौथे महीने में भी महिला को शरीर में बहुत से लक्षण महसूस होते हैं। जिनकी वजह से महिला को कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। तो आइये अब जानते हैं की वो लक्षण कौन से हैं।
थोड़ा पेट दिखाई देना
ज्यादा नहीं लेकिन इस महीने में महिला का पेट थोड़ा बाहर निकल सकता है। लेकिन कई महिलाओं के पेट से तो इस महीने भी अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल होता है की महिला गर्भवती है।
वजन बढ़ना
प्रेगनेंसी के चौथे महीने में महिला का वजन पहले की अपेक्षा बढ़ जाता है। क्योंकि इस दौरान गर्भ में शिशु का वजन भी पहले की अपेक्षा बढ़ जाता है। साथ ही महिला के शरीर में भी बदलाव आता है।
पाचन क्रिया से जुडी समस्या
इस दौरान गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण पेट के निचले हिस्से पर दबाव बढ़ जाता है। जिसकी वजह से पाचन क्रिया थोड़े धीमे काम कर सकती है। और पाचन क्रिया के धीमे काम करने की वजह से कब्ज़, पेट में गैस जैसी परेशानी का सामना महिला को अधिक करना पड़ सकता है।
भूख व् प्यास में बढ़ोतरी
प्रेगनेंसी के चौथे महीने में शारीरिक परेशानियां पहले की अपेक्षा थोड़ी कम हो जाती है। साथ ही गर्भ में शिशु का विकास भी तेजी से होने लगता है ऐसे में महिला की भूख व् प्यास पहले से ज्यादा महिला को लग सकती है। ऐसे में महिला को अपनी डाइट में ज्यादा पोषक तत्वों को शामिल करना चाहिए जिससे माँ व् बच्चे दोनों का विकास बेहतर होने में मदद मिल सके।
कमजोरी व् थकान महसूस होना
इस दौरान गर्भ में शिशु का विकास तेजी से होता है जिसकी वजह से उसे ज्यादा पोषक की जरुरत होती है। ऐसे में शरीर में खून के उत्पादन में बढ़ोतरी हो जाती है जिसकी वजह से ब्लड फ्लो व् ब्लड प्रैशर पर भी असर पड़ता है। साथ ही इसकी वजह से हार्मोनल अंसतुलन की समस्या भी हो सकती है। ऐसे में महिला को थकान व् कमजोरी महसूस हो सकती है।
स्किन में बदलाव
प्रेगनेंसी के चौथे महीने में कुछ महिलाएं अपनी स्किन में भी बदलाव का अनुभव कर सकती है। जैसे की कुछ महिलाओं की स्किन ग्लोइंग हो सकती है तो कुछ महिलाओं को स्किन पर दाग धब्बे महसूस हो सकते हैं।
एनर्जी आती है
गर्भावस्था के पहले तीन महीने जहां महिला शरीर में ज्यादा कमजोरी का अनुभव करती है। वहीं प्रेगनेंसी के चौथे महीने में महिला अपने अंदर थोड़ी एनर्जी का अनुभव करती है। लेकिन ऐसा जरुरी नहीं है की हर महिला के साथ ऐसा हो कुछ महिलाएं इस दौरान भी बहुत ज्यादा शारीरिक परेशानियां झेल सकती है।
प्रेगनेंसी के चौथे महीने में यह खाएं
गर्भावस्था के चौथे महीने में जान गर्भ में शिशु के अंगों का विकास ज्यादा तेजी से होने लगता है तो इसका मतलब यह है की महिला को पोषण भी ज्यादा चाहिए होगा। ऐसे में जरुरी है की गर्भवती महिला अपनी डाइट में और भी बदलाव करें और ज्यादा पोषक तत्वों को अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं। ताकि माँ व् बच्चे को फिट रहने और परेशानियों से बचें रहने में मदद मिल सकें।
फाइबर युक्त डाइट
इस दौरान पाचन क्रिया के धीमे काम करने के कारण महिला की कब्ज़ की समस्या बढ़ सकती है। ऐसे में इस परेशानी को कम करने के लिए महिला को फाइबर युक्त डाइट लेनी चाहिए। क्योंकि फाइबर युक्त डाइट लेने से इस परेशानी को कम करने में मदद मिलती है। और फाइबर के लिए महिला को साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, ओट्स, फल आदि को अपनी डाइट का अहम हिस्सा बनाना चाहिए।
कैल्शियम
गर्भ में शिशु की हड्डियों के विकास में कोई कमी न हो साथ ही महिला को भी थकान व् कमजोरी की समस्या नहीं हो इसके लिए जरुरी है की महिला अपनी डाइट में कैल्शियम भरपूर मात्रा में लें। ऐसे में कैल्शियम के लिए महिला को नियमित रूप से दूध, दही व् अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन भरपूर मात्रा में करना चाहिए।
आयरन व् फोलिक एसिड
आयरन और फोलिक एसिड दोनों ही ऐसे पोषक तत्व है जो यदि शिशु को सही मात्रा में न मिलें तो इसकी वजह से शिशु के शारीरिक व् मानसिक विकास में कमी आ सकती है। साथ ही आयरन की कमी के कारण गर्भवती महिला को भी बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में महिला को आयरन व् फोलिक एसिड की शरीर में कमी नहीं होने देनी चाहिए। इसके लिए महिला हरी सब्जियां, गाजर, अनार, सेब, ड्राई फ्रूट्स आदि का सेवन कर सकती है।
प्रोटीन है जरुरी
प्रेगनेंसी के चौथे महीने में महिला को अपनी डाइट में प्रोटीन का भी भरपूर सेवन करना चाहिए ताकि शिशु की मांसपेशियों के बेहतर विकास में मदद मिल सकें। साथ ही महिला भी एनर्जी से भरपूर रहे और प्रोटीन के लिए महिला ड्राई फ्रूट्स, दालें, फल व् सब्जियों आदि को अपनी डाइट का अहम हिस्सा बना सकती है।
फैटी एसिड
प्रेगनेंसी के चौथे महीने में महिला नॉन वेग व् अंडों का सेवन भी कर सकती है और ये फैटी एसिड, आयरन, प्रोटीन आदि से भरपूर होते हैं। जो माँ व् बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होते हैं ऐसे में महिला को चौथे महीने में फैटी एसिड का सेवन भरपूर करना चाहिए।
क्या प्रेगनेंसी के चौथे महीने में अंडे व् नॉन वेज खाना सेफ होता है?
जी हाँ, यदि महिला अंडे व् नॉन वेज का सेवन कर लेती है तो महिला चौथे महीने से अंडे व् नॉन वेज खा सकती है। लेकिन ध्यान रखें की कच्चे अंडे, कच्चा नॉन वेज, अच्छे से न पका हुआ अंडा या नॉन वेज, बासी नॉन वेज आदि का सेवन महिला नहीं करे। क्योंकि इसकी वजह से महिला की पेट सम्बन्धी समस्या अधिक बढ़ सकती है और डायरिया जैसी समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है। जिससे महिला व् शिशु दोनों की सेहत को खतरा होता है।
क्या प्रेगनेंसी के चौथे महीने में सम्बन्ध बनाना सेफ होता है?
डॉक्टर्स के अनुसार यदि आपकी प्रेगनेंसी में किसी भी तरह के कॉम्प्लीकेशन्स नहीं है, महिला को कोई दिक्कत नहीं है, महिला की रजामंदी है, तो पूरी सावधानी के साथ सम्बन्ध बनाने में कोई भी दिक्कत नहीं होती है। लेकिन यदि महिला को परेशानी होती है और महिला का मन नहीं करता है तो आपको सम्बन्ध नहीं बनाना चाहिए।
गर्भावस्था के चौथे महीने में शिशु का विकास
प्रेगनेंसी के चौथे महीने में शिशु का विकास पहले की अपेक्षा थोड़ा और बढ़ जाता है। और इस महीने की शुरुआत में यदि आपको डॉक्टर अल्ट्रासॉउन्ड के लिए बोलते हैं तो उसमे आपको शिशु गर्भ में थोड़ा मूव करता हुआ भी दिखाई देता हैं। इसके अलावा शिशु के विकास में और क्या बदलाव आते हैं आइये उसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
- इस दौरान आपका शिशु लगभग 5.1 या 6 इंच तक लंबा हो जाता है और इसका वजन 120 से 150 ग्राम तक हो सकता है।
- शिशु का आकार इस दौरान एक संतरे के बराबर हो जाता है।
- इस दौरान शिशु के सिर, पलकों, आइब्रो आदि पर बाल आने शुरू हो चुके होते हैं।
- शिशु के कानों का विकास होना भी इस दौरान शुरू हो जाता है।
- एमनियोटिक बैग में फ्लूइड की मात्रा भी बढ़ जाती है क्योंकि अब शिशु धीरे धीरे और ज्यादा मूव करना शुरू करता है।
प्रेगनेंसी के चौथे महीने में बरतें यह सावधानियां
गर्भावस्था के चौथे महीने में महिला को और ज्यादा सावधानी बरतनी शुरू कर देनी चाहिए। ताकि न तो किसी तरह की परेशानी हो और साथ ही महिला व् शिशु के बेहतर विकास में मदद मिल सकें। तो आइये महिला को किन- किन सावधानियों को बरतना चाहिए उसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
- महिला को खाने पीने में लापरवाही नहीं करना चाहिए बल्कि महिला को पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेनी चाहिए और साथ ही पानी का भरपूर सेवन करना चाहिए।
- नींद भरपूर लेनी चाहिए ताकि महिला को फ्रैश व् एनर्जी से भरपूर रहने में मदद मिल सकें।
- महिला को ज्यादा तेजी से चलना नहीं चाहिए।
- ज्यादा सीढ़ी चढ़ने और तेजी से सीढ़ी चढ़ने से परहेज करना चाहिए।
- पेट के बल नहीं सोना चाहिए क्योंकि अब ऐसा करने से गर्भ पर बुरा असर पड़ सकता है।
- गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिए।
- नशीले पदार्थों का सेवन करने से बचें साथ ही जिस जगह इनका कोई सेवन कर रहा हो वहां भी न जाएँ।
- अगर आपके घर में कोई पालतू जानवर है तो उसका काम करने से बचें व् उससे दूरी बनाकर रखें।
- कैफीन का सेवन जरुरत से ज्यादा नहीं करें क्योंकि इससे शिशु के विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
- ज्यादा भीड़भाड़, ज्यादा शोर, ज्यादा प्रदूषण वाली जगह पर जाने से बचें।
- भारी सामान उठाने, किसी चीज पर चढ़कर काम करने, झुककर काम करने, पेट के बल काम करने, लम्बे समय तक खड़े रहकर काम करने आदि से बचें।
- नियमित समय पर डॉक्टर से जांच करवाना नहीं भूलें।
तो यह है प्रेगनेंसी के चौथे महीने में क्या करें क्या नहीं करें, क्या लक्षण महसूस होते हैं, बच्चे का विकास कितना होता है, आदि से जुडी जानकारी। तो यदि आप भी माँ बनने वाली है तो आपके लिए यह जानकारी फायदेमंद हो सकती है। उम्मीद करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आये और आपके लिए फायदेमंद भी हो।