प्रेगनेंसी के दौरान ऐसे बहुत से अनुभव होते हैं जो एक महिला के लिए बहुत खास होते हैं। जैसे की बच्चे के दिल की धड़कन आना, गर्भ में शिशु का हलचल करना, बाहर की चीजों को लेकर कई बार शिशु का हलचल करके प्रतिक्रिया देना, आदि। और इन सभी अनुभवों से महिला की प्रेगनेंसी बहुत ही अनोखी बन जाती है। आज इस आर्टिकल में हम प्रेगनेंसी के दौरान महिला गर्भ में पल रहे शिशु के दिल की धड़कन को कैसे सुन सकती है उसके बारे में बताने जा रहे हैं।
गर्भ में शिशु का दिल कब धड़कना शुरू करता है?
माँ के पेट में बच्चे का विकास पूरे नौ महीने तक धीरे धीरे होता रहता है और सबसे पहले माँ के गर्भ में शिशु का दिल धड़कना शुरू करता है। प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते के आखिर में या छठे हफ्ते तक शिशु का दिल धड़कना शुरू कर देता है। और डॉक्टर्स भी प्रेगनेंसी के दूसरे महीने की शुरुआत में महिला को अल्ट्रासॉउन्ड करवाने के लिए बोल सकते हैं। क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान पहला अल्ट्रासॉउन्ड शिशु के दिल की धड़कन को जानने के लिए ही किया जाता है।
कैसे सुन सकते हैं गर्भ में शिशु के दिल की धड़कन
गर्भ में पल रहे शिशु के दिल की धड़कन को सुनने के लिए आप अपनी डॉक्टर को बोल सकती है और वो पहले अल्ट्रासॉउन्ड के दौरान ही आपको बच्चे के दिल की धड़कन सुना देती है। और ऐसा नहीं है की उसके बाद आप बच्चे के दिल की धड़कन नहीं सुन सकती है बल्कि आप उसके बाद जब भी डॉक्टर्स के पास रूटीन चेकअप के लिए जाती है।
उतनी बार आप शिशु के दिल की धड़कन सुन सकती है। और आपको शिशु के दिल की धड़कन डॉप्लर की मदद से सुनाई जाती है। साथ ही आपके अलावा और कोई भी आपके घर का सदस्य यदि बच्चे के दिल की धड़कन को सुनना चाहता है तो वह भी डॉप्लर की मदद से बच्चे के दिल की धड़कन को सुन सकता है।
यदि आप भी माँ बनने वाली हैं तो आप भी गर्भ में पल रहे शिशु के दिल की धड़कन को सुन सकती हैं। इसके अलावा सभी शिशु के दिल की धड़कन एक समय पर आये ऐसा जरुरी नहीं होता है ऐसे में यदि पहले अल्ट्रासॉउन्ड के दौरान शिशु के दिल की धड़कन का पता नहीं चलता है तो आपको डॉक्टर दूसरा अल्ट्रासॉउन्ड करवाने के लिए बोल सकते हैं।