प्रेगनेंसी के दौरान शिशु का विकास

गर्भ में पल रहे शिशु का विकास कैसे हो रहा है, शिशु के अंग बने है या नहीं, शिशु का शारीरिक विकास अच्छे से हो रहा है या नहीं, शिशु कब गर्भ में प्रेग्नेंट महिला को हलचल करता हुआ महसूस होगा, शिशु को गर्भ में अंदर कोई तकलीफ तो नहीं हैं, प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए क्या नहीं, ऐसे ही कुछ सवाल प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने गर्भवती महिला के दिमाग में घूमते रहते हैं। और ऐसा केवल किसी एक गर्भवती महिला के साथ नहीं बल्कि हर गर्भवती महिला के साथ होता है, क्योंकि शिशु के गर्भ में आते है महिला में मातृत्व की भावना आने के साथ शिशु के साथ गर्भवती महिला भावनात्मक रूप से भी जुड़ जाती है। इसीलिए तो गर्भ में पल रहे शिशु के विकास को जानने की उत्सुकता हमेशा गर्भवती महिला के मन में बनी रहती है।

गर्भ में शिशु के कब कौन से अंग बनते हैं

इम्प्लांटेशन के बाद से ही धीरे धीरे जैसे प्रेगनेंसी के महीने आगे बढ़ते हैं वैसे वैसे शिशु का विकास भी बढ़ता है। पहले शिशु के अंग बनते हैं, फिर वो मजबूत होते हैं और फिर वो काम करना शुरू करते हैं। और जैसे ही शिशु का जन्म होने वाला होता है वैसे ही शिशु के सभी अंग पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं, और उसके बाद गर्भ से बाहर आने के लिए शिशु अपनी पोजीशन ले लेता हैं। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की गर्भ में शिशु के कब कौन से अंग बनते हैं।

पहले महीने में शिशु का विकास

जब महिला के अंडे के साथ पुरुष के शुक्राणु मिलते हैं, और निषेचन की क्रिया होती है, तो उसके लगभग तीन दिन के बाद वह अंडा फैलोपियन ट्यूब से होते हुए गर्भाशय तक पहुँच जाता है, और गर्भाशय की दीवार से जुड़ जाता है, जिसे की इम्प्लांटेशन के नाम से जाना जाता है। उसके बाद यह जैसे ही गर्भाशय की दीवार से जुड़ता है, वैसे ही गर्भनाल बन जाती है, जो शिशु को पोषण पहुँचाने में मदद करती है।

दूसरे महीने में शिशु के अंग

उसके बाद शिशु का सिर, हथेलियां, पैर, छाती, अंग बनने शुरू हो जाते हैं, शुरुआत में शिशु बहुत ही छोटा होता है ऐसे में उसके अंगो को पूरी तरह से अलग अलग देखना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन धीरे धीरे यह विकसित होने लग जाते हैं। और लगभग आठ हफ्ते पूरे होते होते शिशु के कान, नाक की नौक, छोटी छोटी पलके आदि भी विकसित होने लग जाती है, और इस दौरान शिशु आधा इंच लम्बाई में होने लग जाता है।

तीसरे महीने में शिशु के अंग

तीसरे महीने के खत्म होते होते शिशु की लम्बाई दो इंच तक हो जाती है, और इस दौरान आप डॉप्लर की मदद से डॉक्टर द्वारा शिशु की धड़कन को साफ़ सुन सकते हैं। साथ ही शिशु की हाथ पैर की उँगलियों का विकास भी बढ़ने लग जाता है। इसके अलावा इस समय शिशु के यौन अंग भी विकसित हो जाते हैं, लेकिन इस बारे में डॉक्टर आपको कुछ नहीं बताते हैं, क्योंकि गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग जानना अपराध होता है।

चौथे महीने में शिशु के अंग

चौथे महीने के आते आते शिशु की लम्बाई बढ़ने के साथ शिशु के चेहरे के पार्ट्स जैसे नाक, ठोडी, कान, मुँह और विकसित हो जाते हैं, जिससे उसे अलग अलग देखा जा सकता है, जैसे की एक आम शिशु के अंग होते है। इसके अलावा जो महिलाएं दूसरी बार माँ बन रही होती है उन्हें कई बार चौथे हफ्ते के खत्म होते होते गर्भ में शिशु की हल्की हलचल भी महसूस हो सकती है, लेकिन पहली बार माँ बन रही महिलाओं के लिए इसे समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

पांचवें महीने में शिशु के अंगो का विकास

पांचे महीने में गर्भ में शिशु की लम्बाई लगभग छह इंच तक हो जाती है, और शिशु का वजन भी बढ़ जाता है। साथ ही इस महीने में शिशु की रीढ़ की हड्डी का विकास भी बढ़ने लगता है, और चेहरे की मांसपेशियां भी अच्छे तरीके से विकसित होने लगती है। इसके अलावा इस दौरान गर्भ में शिशु हलचल करता है जो गर्भवती महिला महसूस कर सकती है, साथ ही शिशु जम्हाई ले सकता है, अंगूठा भी चूस सकता है। पांचवे महीने में शिशु के अंगो के विकास को देखने के लिए और शिशु को किसी तरह की दिक्कत तो नहीं है इसे जानने के लिए डॉक्टर अल्ट्रासॉउन्ड करवाने की सलाह भी देते हैं।

छठे महीने में शिशु के अंगो का विकास

छठे महीने में शिशु का वजन और भी बढ़ जाता है, साथ ही शिशु की सुनने की क्षमता में भी वृद्धि होने लगती है। जिससे शिशु बाहर आवाज़ को सुनने का प्रयास कर सकता है, और उसे सुनकर चौंकने की गतिविधि भी कर सकता है। इस दौरान शिशु हिचकी भी ले सकता है।

सातवें महीने में शिशु के अंगो का विकास

इस समय शिशु की सुनने की क्षमता का विकास पूरी तरह से हो जाता है, साथ ही शिशु की आँखों का विकास भी हो जाता है। महिला का वजन बढ़ने के कारण इस दौरान महिला को अपनी ज्यादा केयर करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इस समय की गई कोई भी लापरवाही समय पूर्व प्रसव का कारण बन सकती है।

आठवें महीने में शिशु का विकास

प्रेग्नेंसी के आठवें महीने से शिशु वजन गेन करने लगता है जिसके चलते गर्भ में स्पेस कम हो जाता है और शिशु को मूव करने में दिक्क्तें आने लगती है। इसलिए आठवें महीने से शिशु की हलचल कम होने लगती हैं। यहाँ पर कई महिलाओं को लगता है की शिशु मूव नहीं कर रहा है। इसलिए चिंता नहीं करें। आठवें महीने के अंतिम सप्ताह तक शिशु डिलीवरी की पोजीशन में आ जाता है जिसमे शिशु का सिर नीचे और पैर ऊपर की तरफ हो जाते हैं।

नौवें महीने में शिशु का विकास

इस समय शिशु के सभी अंग अच्छे से विकसित हो चुके होते हैं, और अच्छे से काम कर रहे होते हैं, शिशु का वजन भी सही हो जाता है, जो इस बात का संकेत देते हैं की शिशु अब जन्म के लिए पूरी तरह से तैयार है।

तो यह है गर्भ में शिशु के विकास से जुडी कुछ बातें, ऐसे में गर्भवती महिला को चाहिए की गर्भ में शिशु के बेहतर विकास के लिए प्रेगनेंसी के दौरान महिला अपना अच्छे से ध्यान रखे और किसी भी तरह की लापरवाही न करें जिससे प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को स्वस्थ रहने के साथ गर्भ में पल रहे शिशु के बेहतर विकास में भी मदद मिल सके।

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