प्रेगनेंसी कन्फर्म होना महिला के लिए उसकी जिंदगी का वो खुशनुमा पल होता है जिसे लफ्जों में बयान कर पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। क्योंकि वो समय महिला के लिए ऐसा होता है जब वो एक दम से माँ बन जाती है और केवल उन्ही बातों के बारे में सोचने लगती है जो उसके बच्चे के लिए सही होता है। साथ ही प्रेगनेंसी कन्फर्म होने के बाद महिला के लिए अपने शिशु को महसूस करने का सबसे पहला समय वो होता है जब वो गर्भ में शिशु के दिल की धड़कन को सुनती है।
गर्भ में शिशु का दिल कब धड़कने लगता है?
माँ के पेट में शिशु का दिल छठे या सातवें हफ्ते में धड़कना शुरू कर देता है। और शिशु के दिक् का धड़कना इस बात का संकेत होता है की आपका शिशु गर्भ में सही है और उसका शुरूआती विकास शुरू हो गया है।
शिशु के दिल की धड़कन कब सुन सकते हैं?
महिला के लिए वह पल बहुत ही खास होता है जिस समय वो अपने बच्चे के दिल की धड़कन को सुनती है। और यह धड़कन आप अपने पहले अल्ट्रासॉउन्ड स्कैन के दौरान सुन सकती है। और इस स्कैन के लिए डॉक्टर्स आपको छठे या सातवें हफ्ते में बुलाते हैं।
किस उपकरण की मदद से सुनाई देती है शिशु के दिल की धड़कन?
वैसे आमतौर पर डॉक्टर्स डॉप्लर की मदद से शिशु के दिल की धड़कन सुनाते हैं लेकिन शिशु के बढ़ते विकास के साथ आप जब भी डॉक्टर से शिशु के दिल की धड़कन को सुनने के लिए कहती हैं। तो वो स्टेथोस्कोप की मदद से भी आपको शिशु के दिल की धड़कन को सुना देते हैं।
यदि शिशु के दिल की धड़कन न सुने तो क्या करें?
जब गर्भवती महिला पहले स्कैन के लिए जाती है और उस दौरान गर्भ में शिशु की धड़कन नहीं आती है तो डॉक्टर आपको दूसरे स्कैन के लिए बोल सकते हैं। यदि दूसरे स्कैन में शिशु के दिल की धड़कन आ जाती है तो बहुत अच्छी बात होती है। डॉक्टर्स आपको आठवें या नौवें हफ्ते में दूसरे स्कैन के लिए बोल सकते हैं। लेकिन यदि इस दौरान भी शिशु के दिल की धड़कन नहीं आती है तो आपको डॉक्टर गर्भपात के लिए बोल सकते हैं।
तो यह हैं गर्भ में शिशु के दिल की धड़कन कब आती है और कब डॉक्टर की मदद से आप अपने शिशु की धड़कन को सुन सकते हैं। इसके अलावा अल्ट्रासॉउन्ड स्कैन में आपको डॉक्टर स्क्रीन पर आपके शिशु द्वारा गर्भ में की जाने वाली हरकतों को भी दिखा देता हैं। जैसे की जब आप स्कैन करवाने जाते हैं तो आपका शिशु गर्भ में उस समय क्या कर रहा है वो आप स्कैन में देख सकते हैं।