गर्भ में शिशु की हलचल
गर्भ में शिशु की हलचल न केवल गर्भवती महिला के उत्साह को बढ़ाती है बल्कि इससे गर्भ में पल रहे शिशु के विकास को जानने में भी मदद मिलती है। गर्भ में पल रहा शिशु लगभग पांचवें महीने में गर्भ में हलचल करना शुरू कर देता है। और शुरुआत में यह हलचल थोड़े समय के लिए जबकि शिशु का विकास बढ़ने के साथ यह हलचल धीरे धीरे बढ़ने लगती है। प्रेग्नेंट महिला के लिए शिशु का गर्भ में हलचल करना प्रेगनेंसी का सबसे प्यारा और अनोखा अनुभव होता है। लेकिन कई बार शिशु की कम हलचल होने के कारण जहां गर्भवती महिला घबरा जाती है वहीँ शिशु की मूवमेंट प्रेगनेंसी के उत्साह को और बढ़ाती है।
गर्भ में शिशु की हलचल कम होने के कारण
कई बार गर्भवती महिला को गर्भ में शिशु की हलचल कम महसूस होती है जिसके कारण गर्भवती महिला घबरा सकती है। ऐसे में यह जानना बहुत जरुरी होता है की आखिर क्यों गर्भ में शिशु हलचल कम करता है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की गर्भ में शिशु हलचल कम क्यों करता है।
प्रेगनेंसी की शुरुआत
गर्भावस्था की शुरुआत में शिशु बहुत छोटा होता है, ऐसे में यदि शिशु गर्भ में कुछ करता है तो उसे महसूस करना और शिशु की हलचल को समझना महिला के लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है। और पांचवें महीने में जब शिशु की हलचल महिला को थोड़ी बहुत महसूस होती है, तो उस समय भी शिशु का शारीरिक विकास बढ़ रहा होता है जिस कारण शिशु हलचल करता तो है लेकिन वो महिला को कम महसूस हो सकती है।
सोना
गर्भ में शिशु ज्यादा से ज्यादा समय के लिए सोता है, इसीलिए प्रेगनेंसी के दौरान कई बार महिला को शिशु की हलचल कम महसूस हो सकती है।
बिज़ी रहना
यदि गर्भवती महिला घर के किसी काम या अन्य किसी और चीज में महिला का ध्यान होता है। तो शिशु की हलचल की और महिला का ध्यान कम जा सकता है, जिसके कारण महिला को ऐसा महसूस हो सकता है की गर्भ में पल रहा शिशु कम हलचल कर रहा है।
शिशु का विकास
शिशु का विकास प्रेगनेंसी का समय जैसे जैसे आगे बढ़ता है वैसे वैसे बढ़ता जाता है। ऐसे में शिशु का विकास पूरी तरह न होने के कारण या शिशु के वजन में कमी की समस्या के कारण भी गर्भवती महिला को गर्भ में पल रहे शिशु की हलचल कम महसूस हो सकती है।
ऑक्सीजन
प्रेगनेंसी की आखिरी तिमाही में शिशु का विकास लगभग हो चूका होता है ऐसे में शिशु की हलचल महिला को ज्यादा महसूस हो सकती है। लेकिन कई बार शिशु को गर्भ में जरुरत के अनुसार ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है जिसके कारण शिशु की हलचल कम महसूस होने के साथ गर्भ में शिशु को रिस्क भी हो सकता है। ऐसे में प्रेगनेंसी की आखिरी तिमाही में यदि महिला को गर्भ में पल रहे शिशु की हलचल कम महसूस हो तो इसके लिए महिला को एक बार डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए
गर्भ में शिशु की हलचल अधिक होने के कारण
कई बार गर्भ में शिशु की हलचल अधिक होने लगती है, और यह अच्छी बात होती है क्योंकि यह गर्भ में शिशु के बेहतर विकास होने के साथ शिशु के एक्टिव होने की तरफ इशारा करती है। साथ ही शिशु के गर्भ में हलचल अधिक करने के कुछ और कारण भी हो सकते हैं। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की गर्भ में शिशु का विकास अधिक होने के और क्या कारण हो सकते हैं।
रात का समय
दिनभर में महिला जब काम में व्यस्त होती है तो महिला द्वारा की गई गतिविधियों के कारण शिशु कम हलचल कर सकता है या महिला का शिशु की हलचल पर ध्यान नहीं जाता है। लेकिन रात को जब महिला आराम कर रही होती है तो शिशु को बाहर की कोई गतिविधि महसूस न होने पर शिशु गर्भ में ज्यादा हलचल कर सकता है, या आप यह भी कह सकते हैं की महिला उस समय शिशु की हलचल को ज्यादा अच्छे तरीके से महसूस कर सकती है।
स्वाद
महिला जिस भी आहार का सेवन सेवन करती है तो उसका स्वाद गर्भनाल के रास्ते शिशु तक पहुँच जाता है। ऐसे में महिला यदि तीखे या चटपटे भोजन का सेवन करती है तो इसका स्वाद भी शिशु तक पहुँचता है। जिस कारण शिशु गर्भ में ज्यादा हलचल कर सकता है।
शोर
प्रेगनेंसी के सातवें महीने में शिशु की सुनने की क्षमता भी बढ़ चुकी होती है ऐसे में शिशु अपने आस पास की गतिविधियों को सुनकर हलचल के रूप में अपनी प्रतिक्रिया भी दे सकता है। ऐसे में यदि गर्भवती महिला ज्यादा शोर वाली जगह पर जाती है या तेज आवाज़ में गाने सुनती है तो इसके कारण शिशु चौंक सकता है जिसके कारण गर्भ में शिशु की हलचल महिला को अधिक महसूस हो सकती है।
शांति
जिस तरह शोर को सुनकर गर्भ में शिशु प्रतिक्रिया देता है उसी तरह जब शिशु को कुछ सुनाई नहीं देता है तो भी शिशु गर्भ में ज्यादा हलचल कर सकता है। क्योंकि दिनभर शिशु अपने आस पास की आवाज़ों को सुनता रहता है ऐसे में यदि शिशु को आस पास कोई आवाज़ सुनाई न दे तो भी शिशु गर्भ में ज्यादा हलचल कर सकता है।
डिलीवरी का समय
प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में शिशु का विकास पूरी तरह हो चूका होता है, ऐसे में शिशु को गर्भ में अच्छे से घूमने में थोड़ी परेशानी हो सकती है। जिसके कारण शिशु डिलीवरी के लिए अपनी सही पोजीशन में आने लगता है, ऐसे में डिलीवरी का समय जैसे जैसे पास आता है वैसे वैसे महिला को गर्भ में पल रहे शिशु की हलचल ज्यादा महसूस हो सकती है।
तो यह हैं कुछ कारण जिनकी वजह से गर्भ में पल रहा शिशु गर्भ में कम या ज्यादा हलचल करता है। ऐसे में यदि आप भी शिशु की हलचल को अच्छे से समझ नहीं पा रही है की आखिर शिशु की हलचल कभी कम और कभी ज्यादा क्यों हो रही है तो ऊपर दिए गए टिप्स को पढ़ने के बाद आपको यह समझने में आसानी होगी। इसके अलावा यदि कभी आपको गर्भ में पल रहे शिशु की हलचल कम महसूस हो या न महसूस हो तो इसके लिए आप एक बार डॉक्टर से भी पूछ सकते हैं।