गर्भ में शिशु को सबसे ज्यादा नुकसान कब होता है

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When does the baby suffer the most in the womb
When does the baby suffer the most in the womb

प्रेगनेंसी के दौरान गर्भ में पल रहे शिशु का विकास पूरी तरह से महिला पर निर्भर करता है। इसीलिए प्रेगनेंसी के दौरान हर कोई महिला को अपनी सेहत का अच्छे से ध्यान रखने, अच्छे से खान पान का ध्यान रखने की सलाह देता है। और यदि महिला किसी भी तरह की लापरवाही करती है तो इसके कारण केवल महिला पर ही नहीं बल्कि बच्चे पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। तो आइये आज इस आर्टिकल में हम आपको गर्भ में शिशु को कब सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचता है इस बारे में बताने जा रहे हैं।

गलत आहार

कुछ ऐसी चीजें होती है जिनका सेवन प्रेगनेंसी के दौरान करने की मनाही होती है। जैसे की कच्चा पपीता, अनानास, गर्म तासीर वाली चीजें, कच्चा अंडा, कच्चा मास, पैक्ड फ़ूड, चज़िनीज़ फ़ूड, मर्करी युक्त मछली, आदि। यदि प्रेग्नेंट महिला इन सभी चीजों का सेवन करती है तो यह सभी चीजें गर्भ में शिशु के विकास में रूकावट पैदा करती है।

नशीले पदार्थ

प्रेगनेंसी के दौरान अल्कोहल का सेवन, धूम्रपान करना आदि मना होता है। क्योंकि इनके कारण शिशु के शारीरिक के साथ मानसिक विकास पर भी बुरा असर पड़ता है। ऐसे में यदि प्रेग्नेंट महिला इन सभी चीजों का सेवन करती है तो ऐसा करने से गर्भ में शिशु के विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है।

पानी कम पीना

गर्भवती महिला के शरीर में यदि पानी की कमी होती है तो इसके कारण एमनियोटिक फ्लूड पर भी असर पड़ता है। और यदि गर्भाशय में एमनियोटिक फ्लूड की कमी होती है तो इसके कारण गर्भ में पल रहे शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

तनाव

गर्भावस्था के दौरान महिला को खुश रहने की सलाह दी जाती है और तनाव न लेने के लिए कहा जाता है। लेकिन यदि प्रेग्नेंट महिला तनाव लेती है तो इस कारण गर्भ में पल रहे शिशु शारीरिक व् मानसिक विकास पर गलत प्रभाव पड़ता है।

सम्बन्ध बनाने के कारण

स्वस्थ प्रेगनेंसी में सम्बन्ध बनाने की बिलकुल भी मनाही नहीं होती है। लेकिन यदि सम्बन्ध बनाने में लापरवाही की जाएँ जैसे की महिला के पेट पर ज्यादा दबाव पड़े, ज्यादा तेजी से सम्बन्ध बनाया जाये, महिला संक्रमित व्यक्ति के साथ सम्बन्ध बनाएं तो इसके कारण गर्भ पर बुरा असर पड़ता है।

महिला द्वारा बरती गई लापरवाहियों के कारण

कुछ ऐसे काम होते हैं जिन्हे प्रेगनेंसी में न करने की सलाह दी जाती है। जैसे की यात्रा करना, भागादौड़ी करना, भारी सामान उठाना व् सरकाना, पैरों के बल बैठकर काम करना, झुककर काम करना, जरुरत से ज्यादा काम करना आदि। यदि महिला इन सभी बातों का ध्यान नहीं रखती है और लापरवाही करती है तो इनके कारण महिला की शारीरिक परेशानियां बढ़ने के साथ ब्लीडिंग, गर्भपात व् समय से पहले डिलीवरी होने जैसी समस्या होने का खतरा भी रहता है।

दवाइयों का सेवन

गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर्स की सलाह के बिना दवाइयों का सेवन करना बच्चे के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक होता है। क्योंकि इन दवाइयों का असर गर्भनाल के माध्यम से शिशु तक पहुँचता है जिससे शिशु के विकास पर बुरा असर पड़ता है।

पेट पर दबाव पड़ने के कारण

गर्भावस्था के दौरान यदि किसी कारण महिला के पेट पर दबाव पड़ता है तो इसके कारण भी गर्भ में शिशु असहज महसूस करता है शिशु को दिक्कत होती है। इसीलिए प्रेगनेंसी के दौरान महिला को ज्यादा टाइट कपडे पहनने, भारी वजन उठाने, जिस कमा को करने से पेट पर जोर पड़े उसे न करने की सलाह दी जाती है।

ज्यादा तेज आवाज़ के कारण

गर्भ में पल रहे शिशु के बढ़ते विकास के साथ शिशु की सुनने की क्षमता में भी वृद्धि होती है। ऐसे में यदि महिला ज्यादा शोरगुल वाली जगह पर जाती है, बहुत तेज आवाज़ में गाने सुनती है तो इसके कारण शिशु की सुनने की क्षमता में कमी आने का खतरा बढ़ जाता है।

शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने पर

गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के लिए गर्भवती महिला को पोषक तत्वों से भरपूर डाइट जैसे की कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन, फोलेट आदि लेने की सलाह दी जाती है। क्योंकि यह सभी पोषक तत्व गर्भ में पल रहे शिशु के बेहतर विकास के लिए बहुत जरुरी होते हैं। ऐसे में यदि इन पोषक तत्वों की गर्भवती महिला के शरीर में कमी होती है तो गर्भ में बच्चे के विकास में कमी आती है और बच्चे को दिक्कत होती है।

तो यह हैं कुछ स्थितियां जब गर्भ में पल रहे शिशु को सबसे ज्यादा परेशानी होने का खतरा रहता है। ऐसे में गर्भवती महिला को इन सभी बातों का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए ताकि गर्भवती महिला व् बच्चे दोनों को हर परेशानी से सुरक्षित रहने में मदद मिल सके।

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