प्रेगनेंसी के दौरान गर्भ में पल रहे शिशु का विकास पूरी तरह से अपनी माँ पर ही निर्भर करता है। इसीलिए प्रेगनेंसी के दौरान महिला जितने अच्छे से अपना ध्यान रखती है उतना ही माँ व् बच्चे दोनों को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। लेकिन यदि महिला अपना ध्यान नहीं रखती है, किसी तरह की लापरवाही करती है तो इसका असर महिला की सेहत के साथ साथ शिशु की सेहत पर भी पड़ता है।
जिसकी वजह से गर्भ में शिशु के विकास में कमी, वजन में कमी, इन्फेक्शन आदि की समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है। और इन परेशानियों के कारण जन्म के बाद शिशु की दिक्कतें और भी बढ़ सकती है। आज इस आर्टिकल में हम गर्भ में शिशु को निमोनिया क्यों हो जाता है इसके बारे में बताने जा रहे हैं। यदि आप भी प्रेग्नेंट हैं तो आपको भी इस आर्टिकल को अच्छे से पढ़ना चाहिए ताकि आपके बच्चे को इस दिक्कत से बचाने में मदद मिल सकें।
इम्युनिटी कमजोर होने के कारण
गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने कारण, शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव की वजह से महिला की इम्युनिटी कमजोर हो सकती है। ऐसे में यदि महिला की इम्युनिटी कमजोर होती है तो इसकी वजह से माँ व् बच्चे दोनों को संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में यदि किसी गर्भवती महिला की इम्युनिटी कमजोर होती है तो इसकी वजह से गर्भ में शिशु की निमोनिया होने का खतरा अधिक होता है।
खाली पेट ठंडी चीजों का सेवन
यदि प्रेग्नेंट महिला खाली पेट उन चीजों का सेवन अधिक करती है जिनकी तासीर ठंडी होती है तो इसकी वजह से गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत बुरी तरह प्रभावित होती है। और ऐसा जरुरत से ज्यादा होने के कारण गर्भ में ही शिशु को निमोनिया हो जाता है। जैसे की अनार की तासीर ठंडी होती है इसीलिए महिला को खाली पेट अनार का सेवन नहीं करना चाहिए।
वायरस के कारण
निमोनिया होने के कारण आपके शरीर का वायरस या बैड बैक्टेरिया से ग्रसित होना होता है। ऐसे में यदि गर्भवती महिला के शरीर में वायरस या बैड बैक्टेरिया प्रवेश करते हैं तो इसकी वजह से केवल गर्भवती महिला की सेहत पर ही बुरा असर नहीं पड़ता है। बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु पर भी इसका बुरा असर पड़ता है जिसकी वजह से शिशु को निमोनिया या अन्य कोई संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।
गर्भ में शिशु को निमोनिया से बचाने के उपाय
- महिला को प्रेगनेंसी के दौरान ऐसी डाइट लेनी चाहिए जिससे महिला के शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं हो और महिला की इम्युनिटी को मजबूत रहने में मदद मिल सकें। यदि महिला की इम्युनिटी मजबूत होगी तो इससे महिला व् शिशु दोनों को हर संक्रमण से सुरक्षित रहने में मदद मिलेगी।
- गर्भवती महिला को खाली पेट उन चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए जिनकी तासीर ठंडी होती है।
- महिला को अपनी साफ़ सफाई का और अपने आस पास की साफ़ सफाई का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए ताकि महिला को वायरस या बैड बैक्टेरिया के संपर्क में आने से बचे रहने में मदद मिल सकें। यदि महिला वायरस से सुरक्षित रहेगी तो महिला व् बच्चे दोनों को स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी।
प्रेग्नेंट महिला डॉक्टर से कब मिलें?
गर्भ में शिशु का अच्छे से हलचल करना, महिला का सही तरीके से वजन बढ़ना, आदि गर्भ में शिशु के स्वस्थ होने की और इशारा करता है ऐसे में कभी महिला को शिशु की हलचल में कमी महसूस हो, महिला का वजन सही तरीके से न बढ़ रहा हो, तो महिला को एक बार डॉक्टर से मिलना चाहिए। ताकि गर्भ में पल रहा शिशु स्वस्थ है या नहीं इसके बारे में महिला को पता चल सके और समय से इलाज हो सकें।
माँ के पेट में शिशु को निमोनिया होने के दुष्प्रभाव?
यदि गर्भ में शिशु को निमोनिया हो जाता है तो इसकी वजह से जन्म के समय शिशु के वजन में कमी, फेफड़ों से जुडी समस्या, शिशु को किसी शारीरिक बीमारी के होने के खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए प्रेगनेंसी के दौरान शिशु को कोई दिक्कत न हो इसके लिए महिला को अपना अच्छे से ध्यान रखना चाहिए।
तो यह हैं प्रेगनेंसी के दौरान गर्भ में पल रहे शिशु को निमोनिया होने के कारण व् इस समस्या से बचाव के तरीके, यदि आप भी प्रेग्नेंट हैं तो आपको भी इन टिप्स का ध्यान रखना चाहिए। ताकि आपको व् आपके होने वाले नवजात शिशु को इस समस्या से सुरक्षित रहने में मदद मिल सकें।