Garbh me shishu me jan kab aati hai

Garbh me shishu me jan kab aati hai


प्रेगनेंसी की पहली तिमाही के लगभग आधे हिस्से तक महिला को पता भी नहीं चलता है की महिला का गर्भ ठहर गया है। उसके बाद जब महिला के पीरियड्स मिस हो जाते हैं तो महिला को लगता है की कहीं उसका गर्भ तो नहीं ठहर गया है। ऐसे में फिर महिला घर में प्रेगनेंसी टेस्ट या डॉक्टर के पास जाकर प्रेगनेंसी टेस्ट करवाती है तो यह कन्फर्म होता है की महिला का गर्भ ठहरा है या नहीं।

ऐसे में यदि महिला की प्रेगनेंसी कन्फर्म हो गई है तो उसके साथ ही धीरे धीरे गर्भ में शिशु का विकास होना भी शुरू हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं की गर्भ में शिशु में जान कब आती है। यदि नहीं तो आइये अब इस आर्टिकल में हम आपको गर्भ में शिशु में जान कब आती है उसके बारे में बताने जा रहे हैं।

कब आती है भ्रूण में जान?

यदि आपकी प्रेगनेंसी कन्फर्म हो गई है तो प्रेगनेंसी के पांच से छह हफ़्तों के बीच गर्भनाल विकसित होने लग जाती है। जो शिशु को ब्लड, ऑक्सीजन व् पोषक तत्वों को पहुंचाने में मदद करती है। जिससे गर्भ में शिशु के विकास के लिए जरुरी पोषक तत्व शिशु को मिलते हैं और धीरे धीरे शिशु का विकास बढ़ने लगता है।

उसके बाद डॉक्टर्स आपको प्रेगनेंसी के छह से नौ हफ़्तों के बीच अल्ट्रासॉउन्ड करवाने के लिए बोल सकते हैं। यह अल्ट्रासॉउन्ड गर्भ में शिशु के दिल की धड़कन जानने के लिए किया जाता है। उसके बाद जब आप यह अल्ट्रासॉउन्ड करवाती है तो इसमें आपको पता चलता है की गर्भ में शिशु के दिल की धड़कन आई है या नहीं।

यदि आपका अल्ट्रासॉउन्ड नोर्मल है और गर्भ में शिशु का दिल धड़क रहा है तो धड़कन आने के साथ यह बात भी कन्फर्म हो जाती है की गर्भ में भ्रूण में जान आ गई है। और आप चाहे तो डॉक्टर्स की मदद से बच्चे के दिल की धड़कन सुन भी सकते हैं। उसके बाद गर्भ में शिशु का विकास धीरे धीरे और बढ़ता है।

जैसे की शिशु के अंगों की आकृतियां बनने लगती है, फिर उन अंगों का विकास शरीर होता है, शिशु गर्भ में हलचल करने लगता है, शिशु की सुनने की क्षमता में वृद्धि होती है, गर्भ में शिशु बहुत सी हरकतें जैसे की उबासी लेना अंगड़ाई लेना आदि शुरू कर देता हैं।

तो यह है भ्रूण में जान कब आती है उससे जुडी जानकारी, यदि आपके मन में भी यह सवाल चल रहा था। तो आप भी इस आर्टिकल को पड़ने के बाद यह जान सकती है की गर्भ में शिशु का विकास धीरे धीरे कैसे बढ़ता है। और यदि आप चाहती हैं की आपके गर्भ में पल रहे शिशु का विकास अच्छे से हो।

तो आपको प्रेगनेंसी के दौरान अपने खान पान, रहन सहन व् अन्य छोटी छोटी बातों का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए। ताकि महिला और गर्भ में शिशु कोई दिक्कत नहीं हो जिससे महिला को स्वस्थ रहने और गर्भ में शिशु के बेहतर विकास में मदद मिल सके।

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