माँ बनने के सुखद अहसास इस दुनिया का सबसे खूबसूरत लम्हा है, मगर माँ बनना भी किसी जुंग से कम नहीं होता है नौ महीने तक शिशु को गर्भ में रखना, उसके आने के बाद फूल की तरह उस शिशु की केयर करना, और उसे एक अच्छी परवरिश देना, कोई आसान काम नहीं होता है, परतु जब शिशु माँ के गर्भ में होता है तो उस जैसा प्यारा अनुभव भी इस दुनिया में कही नहीं है, और इस समय में माँ जो भिकर्ति उसका सीधा असर उसके गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है, इसीलिए माँ को पूरे नौ महीने तक अपना अच्छे से ख्याल रखना पड़ता है, ताकि गर्भ में पल रहा शिशु स्वस्थ हो।
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प्रेगनेंसी के समय में महिला के शरीर में बहुत से बदलाव आते है, वैसे ही गर्भ में पल रहे शिशु का भी धीरे धीरे विकास होता है, जैसे जैसे समय बढ़ता है बच्चे के अंगो का विकास होता है, बच्चा हरकते करने लगता है, और माँ उसे महसूस भी कर सकते है, यह तक को बच्चा भी आपके द्वारा कही हुई बातें सुनता है, लाते मारता है, ये अनुभव माँ के गर्भ में होने के कारण माँ अच्छे से महसूस कर सकती है, तो आइये आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे है की बच्चा माँ के गर्भ में किस तरह से बढ़ता है, और किस महीने उसमें क्या परिवर्तन आता है, यदि आप भी माँ बनने जा रही है तो इन बातों को जान कर आपको एक अच्छा अहसास होगा, तो ये है बच्चे के गर्भ में उसके विकास के बारे में कुछ बातें।
प्रेगनेंसी का पहला महीना:-
प्रेगनेंसी के पहले महीने में जब आपको पता चलता है की आप माँ बनने वाली है तो ये लम्हा आपके लिए बहुत ही ख़ास होता है, ऐसे में महिला को अपने खान पान, उठने बैठने, सब चीजों का ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि बच्चा माँ के अंदर होता है, और माँ के खून से ही बनता है, इसीलिए माँ को अपनी बहुत अच्छे से देखभाल करनी चाहिए, ताकि माँ और गर्भ में पल रहा शिशु दोनों ही स्वस्थ रहें।, और इस महीने में बच्चे के दिल की धड़कन आ जाती है।
प्रेगनेंसी का दूसरा महीना:-
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में बच्चे के चेहरा बनना शुरू होता है, ऐसा कहा जाता है की इस समय महिला जिसके बारे में ज्यादा सोचती है, बच्चे का चेहरा उसी के जैसा बनता है, इसके साथ महिला को ऐसे समय में प्रोटीन व् कैल्शियम युक्त आहार का सेवन करना चाहिए, ताकि बच्चे के विकास में मदद मिल सकें।
प्रेगनेंसी का तीसरा महीना:-
प्रेगनेंसी के तीसरे महीना में बच्चे की हड्डियों का विकास होता है, और इसी महीने में ही बच्चे के बाहरी अंग जैसे की कान, हाथ, उंगलिया आदि का विकास भी इसी महीने होता है, और इस समय में महिला के गर्भ का आकार भी बढ़ता है, और बच्चे की लम्बाई भी तीन इंच तक बढ़ जाती है, ऐसे में आपको अपना और भी ख्याल रखना चाहिए।
प्रेगनेंसी का चौथा महीना:-
इस महीने में महिला के गर्भ का आकार और भी बढ़ता है, साथ ही बच्चे में हॉर्मोन भी पैदा होते है, और बच्चे से एमनीओटिक लिक्विड भी निकलने लगता है, बच्चे का वजन और लम्बाई भी बढ़ती है, साथ ही बच्चे के सिर पर बाल आने की शुरुआत भी हो जाती है, और कई बच्चे चौथे महीने हल्का मूवमेंट भी करने लग जाते है।
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प्रेगनेंसी का पांचवा महीना:-
इस महीने में बच्चे के हाथ पैर, उनकी उँगलियों का विकास भी तेजी से होता है, और इस महीने में अधिकतर बच्चे अपने हाथ पैर हिलाना शुरू कर देते है, ऐसे में कभी वो हिलते है, तो कभी बिल्कुल शांत बैठे होते है, इस महीने में महिला को जितना हो सकें बाहरी खाने, ज्यादा मसालेदार, और जंक फ़ूड के सेवन को बंद कर देना चाहिए।
प्रेगनेंसी का छठा महीना:-
इस महीने में बच्चे की आँखों का अच्छे से विकास ही जाता है, और बच्चा अपनी पलके खोल भी सकता है, और बंद भी कर देता है, साथ ही बच्चा लात भी मार सकता है, और क्या आप जानते है की बच्चा माँ के गर्भ में रो भी सकता है, महिला को इस समय भी अपना खास ख्याल रखना चाहिए क्योंकि कई बच्चे इस महीने में जन्म भी ले लेते है, ऐसे में उन्हें और भी देखभाल की जरुरत पड़ती है।
प्रेगनेंसी का सातवा महीना:-
इस महीने में गर्भ में पल रहा शिशु भी अंगूठा चूसने लग जाता है, और यदि कोई महिला के गर्भ पर काम लगाकर सुने तो उसे बच्चे की धड़कन बिल्कुल साफ़ सुनाई देती है, इस समय महिला के गर्भ का आकार बढ़ रहा होता है, ऐसे में महीने को ज्यादा भागदौड़ नहीं करनी चाहिए, साथ ही ज्यादा देर तक खड़े भी नहीं रहना चाहिए, ऐसा करने से पेट पर जोर पड़ता है।
प्रेगनेंसी का आठवां महीना:-
प्रेगनेंसी के इस महीने में माँ को बच्चे के हाल चाल के बारे में अच्छे से पता चलने लग जाता है, और इस समय बच्चा नींद भी लेने लग जाता है, और बच्चे के भी सोने और जागने का समय होता है, और इस महीने में बच्चा अपनी आँखे भी अच्छे खोल व् बंद कर सकता है, इस माह में बच्चे का वजन भी दो से तीन किलो तक हो जाता है, और इस समय में महिला को जब भी भूख लगे तो उसे अपने पेट की सुननी चाहिए, और भोजन का सेवन करना चाहिए।
प्रेगनेंसी का नौवा महीना:-
इस समय बच्चे के इस दुनिया में आने का समय पास आ जाता है, इस महीने में बच्चा शांत रहने लगता है, और बच्चे का सर नीचे की तरफ और पैर ऊपर की तरफ हो जाता है, कई महिला को इस महीने ब्रैस्ट से दूध भी आने लग जाता है, और जब बच्चे के आने का समय आता है, तो हर कोई खुश होता है और नवजात शिशु के गोद में आते ही ऐसा लगता है वो वक़्त वहीं ठहर जाएँ।
प्रेगनेंसी के समय महिलाओ को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:-
- महिला को ज्यादा भागादौड़ी नहीं करनी चाहिए, ज्यादा भार नहीं उठाना चाहिए।
- महिला को तनाव नहीं लेना चाहिए, खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए।
- महिला को ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए, जिसके कारण उसके पेट पर दबाव पढ़ें, जैसे की झुकना, या पैरों के भार बैठना आदि।
- महिला को अपने आहार को भी भरपूर लेना चाहिए और थोड़े थोड़े समय बाद कुछ न कुछ खाते रहना चाहिए, और ऐसा आहार लेना चाहिए जिसमे सभी मिनरल्स भरपूर मात्रा में मौजद हो।
- महिला को अपनी नींद को भी भरपूर मात्रा में लेना चाहिए।
- महिला को अधिक व्यायाम नहीं करना चाहिए, और जितना हो सकें यात्रा से भी बचना चाहिए।
- महिला को नियमित डॉक्टर से अपनी जांच भी करवानी चाहिए।
तो इस तरह से बच्चे का विकास हर महीने होता है, ऐसे में महिला को अपना और अपने गर्भ में पल रहे शिशु का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए, और महिला को किसी भी तरह की लापवाही नहीं बरतनी चाहिए, जिसके कारण गर्भ में पल रहे शिशु को किसी भी तरह का कोई नुकसान हो, साथ ही महिला को अपने खान पान में संतुलित व् पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए, जिससे बच्चे को स्वस्थ रहने में मदद मिल सकें, तो यदि आप भी माँ बनने वाली है तो इस खास अनुभव को आप भी महसूस कर सकती है।