गर्भावस्था का सबसे नाजुक महीना, प्रेगनेंसी का कौन सा महीना होता है सबसे ज्यादा अहम, प्रेगनेंसी टिप्स, गर्भवस्था का सबसे नाजुक महीना
प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने का एक -एक दिन एक -एक पल बहुत ही अहम होता है। और महिला को प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने अपना अच्छे से ख्याल भी रखना चाहिए। क्योंकि यदि महिला स्वस्थ रहती है तो इससे गर्भ में पल रहे शिशु का विकास भी बेहतर तरीके से होने में मदद मिलती है। प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने जहां महिला को पूरे आराम की जरुरत होती है, वहीँ दूसरे ट्राइमेस्टर में महिला को शिशु के बेहतर विकास के लिए ध्यान रखने की जरुरत होती है, लेकिन आखिरी महीनो में और भी ज्यादा केयर की जरुरत पड़ती है, क्योंकि यदि महिला तीसरे ट्राइमेस्टर में अपना अच्छे से ख्याल नहीं रखती है तो इसके कारण समय पूर्व प्रसव, शिशु के विकास से जुडी समस्या, और महिला की सेहत से जुडी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
इसीलिए गर्भावस्था का पूरा समय महिला को बेहतर खान पान के साथ किसी भी तरह की लापरवाही न करने की सलाह दी जाती है। खासकर यदि महिला की प्रेगनेंसी में यदि किसी भी तरह के कॉम्प्लीकेशन्स हैं तो महिला को पूरी तरह से बेड रेस्ट की सलाह दी जाती है। ताकि प्रेगनेंसी के दौरान महिला को होने वाली हर तरह की परेशानी से बचाव करने में मदद मिल सके। और गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में भी किसी तरह की कोई कमी न आए। तो लीजिये अब जानते हैं की प्रेगनेंसी के नौ महीनों में से कौन सा महीना सबसे ज्यादा नाजुक होता है। और महिला को इस दौरान क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए।
प्रेगनेंसी के सबसे नाजुक महीना
गर्भवती महिला के लिए प्रेगनेंसी का आठवां महीना सबसे ज्यादा नाजुक होता है। क्योंकि इस दौरान शिशु के अंगो का विकास भी पूरी तरह हो चूका होता है, प्रसव का समय भी पास होता है, महिला का वजन बढ़ने के कारण महिला को परेशानी भी अधिक होती है, जैसे की चलने में, उठने बैठने में, सोने में आदि। तो इस दौरान यदि महिला थोड़ी सी भी लापरवाही करती है तो इससे शिशु समय से पहले जन्म ले सकता है, क्योंकि पेट पर जोर डालने से शिशु नीचे की तरफ आने लगता है, जिसके कारण महिला को पेट में दर्द जैसी समस्या हो जाती है।
और यदि समय से पहले प्रसव हो जाता है तो इसके कारण शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ने के साथ महिला को भी सेहत सम्बन्धी समस्या हो सकती है। सिजेरियन डिलीवरी हो सकती है, शिशु का वजन कम हो सकता है, शिशु का संक्रमण का भय ज्यादा होता है, आदि। इसीलिए महिला को आठवें महीने में भरपूर आराम की सलाह दी जाती है। ताकि नौवे महीने तक महिला आराम से पहुँच जाये और नौवे महीने में किसी भी दिन डिलीवरी हो तो किसी भी तरह की ऐसी कोई समस्या होने के चांस कम होते हैं।
प्रेगनेंसी के आठवें महीने में रखें इन बातों का ध्यान
- पेट पर जोर न डालें।
- किसी भी तरह का भारी सामान न उठाएं।
- तनाव न लें।
- खान पान में किसी भी तरह की कमी न आने दें, भरपूर मात्रा में पोषक तत्वों का सेवन करें।
- नींद भरपूर लें, और सोते समय बाईं और करवट लेकर सोएं।
- ज्यादा तेजी से न चलें, सीढिया न चढ़ें, यात्रा से बचें।
तो यह हैं प्रेगनेंसी के सबसे नाजुक महीने से जुड़े कुछ खास टिप्स, ऐसे में आपको प्रेगनेंसी के इस महीने में अपना सबसे अच्छे से ध्यान रखना चाहिए। साथ ही पहले ट्राइमेस्टर में भी किसी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए, क्योंकि उस दौरान की गई कोई भी लापरवाही मिसकैरिज की सम्भावना को बढ़ा देती है।