वास्तव में आज हमारे देश, समाज और परिवार में घरेलू हिंसा की जड़ें इतनी गहराई तक चली गयी है की उन्हें काट पाना काफी मुश्किल होता जा रहा है। जिसके चलते आये दिन हमें ऐसे बहुत से उदाहरण और लोग देखने को मिलते है जो घरेलू हिंसा का या तो समर्थन करते है या खुद उसमे भागीदार होते है। जिसका कारण है लोगों की सोच। अक्सर आपने भी देखा होगा की बहुत से पति ऐसे होते है जो बेवजह अपनी पत्नी से मारपीट करते है या उनके साथ दुर्व्यवहार करते है।
ऐसे लोग महिलाओं की इज़्ज़त नहीं करते और न ही उन्हें सम्मान देते है। बहुत सी महिलाएं घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश ही नहीं करती जिसके कारण दिनों दिन यह बढ़ती ही जाती है। घरेलू हिंसा के मुख्य कारण परिवार और समाज में फ़ैल रही ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार, अपमान और विद्रोह होता है। परिवार में हो रही हिंसा का शिकार केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि वृद्ध और बच्चे भी बन जाते है। बस फर्क इतना होता है की महिलाएं शारीरिक परेशानी झेलती है और बच्चे व् वृद्ध मानसिक परेशानी का सामना करते है।
हमारे देश के लोगों की पिछड़ी हुई सोच और उनके दकियानूसी विचार महिला को हमेशा नाजुक और कमजोर समझते है, उनके मुताबिक पति को पत्नी पर हाथ उठाने का अधिकार शादी के बाद मिल जाता है। जिससे छुटकारा पाने के लिए भारत की संसद ने “घरेलु हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005” एक अधिनियम बनाया जिसका उद्देश्य घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को बचाना और उन्हें सुरक्षा प्रदान करना है।
लेकिन बहुत सी महिलाओं को इस कानून के बारे में या तो पता नहीं है या वे जानना नहीं चाहती? यहाँ हम आपको घरेलू हिंसा से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों और उसके क़ानूनी उपायों के बारे में बताने जा रहे है। जिसकी मदद से आप खुद को भी घरेलू हिंसा से बचा सकती है। लेकिन उसके लिए पहले आपको घरेलू हिंसा के विभिन्न रूपों को जान लेना चाहिए। क्योंकि महिलाएं पति द्वारा पीटने को ही घरेलू हिंसा समझती है जबकि इसके अलावा भी घरेलू हिंसा के और बहुत से रूप है।
क्या है घरेलू हिंसा के विभिन्न रूप?
घर के पुरुष द्वारा महिलाओं पर की जाने वाले घरेलू हिंसा केवल शारीरिक ही नहीं बल्कि आर्थिक, मानसिक और यौनिक भी होती है। जिसके बारे में महिलाएं सोचती ही नहीं।
यौनिक हिंसा :
पुरुष द्वारा घर की महिला के साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाना, बाल यौन अत्याचार, अश्लील साहित्य या किसी अन्य सामग्री को देखने या पढ़ने के लिए मजबूर करना, महिला की मर्यादा को किसी भी प्रकार से हानि पहुंचाना या अन्य यौनिक दुर्व्यवहार करना आदि यौन हिंसा के उदाहरण है।
शारीरिक हिंसा :
इस हिंसा के बारे में सभी बहुत भली भांति जानते है। लेकिन जानकारी के लिए बता दें – मारपीट करना, थप्पड़ मारना, ठोकर मारना, दांत काटना, मुक्का मारना, धक्का देना, लात मारना या किसी अन्य तरीके से महिला को शारीरिक चोट पहुंचाना आदि शारीरिक हिंसा के उदाहरण है।
मानसिक हिंसा :
बहुत से लोग महिलाओं को मारते पीटते नहीं लेकिन वे उसे इतनी ज्यादा मानसिक पीड़ा देते है के वे अपने हालातो पर मजबूर हो जाती है। मानसिक हिंसा में गाली गलौच करना, कलंक लगाना, बुराई करना, मजाक उड़ाना, दहेज आदि के लिए अपमानित करना, बच्चा या बेटा न होने पर ताना देना, शिक्षा या नौकरी में अवरोध उत्पन्न करना, बाहर जाने या किसी व्यक्ति से मिलने के लिए रोकना, अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने या नहीं करने पर दबाब डालना, आत्महत्या की धमकी देना आदि सम्मिलित है।
आर्थिक हिंसा :
ये अक्सर वे ही पुरुष करते है जो या तो ठीक से कमा नहीं पाते या उन्हें नौकरी करने में कोई रूचि नहीं होती। ऐसे पुरुष अप्पने जीवनयापन की वस्तुएं भी महिला के वेतन से खरीदते है। घर में खाने, कपडे, दवाई आदि का खर्च नहीं देना या अगर घर में है तो उनका उपयोग नहीं करने देना, घर का किराया नहीं देना, घर से जबरदस्ती महिला को निकाल देना, नौकरी कर रही महिला का वेतन ले लेना, नौकरी नहीं करने देना, बिलो का भुगतान नहीं करना, घर के किसी भी मौद्रिक कार्य में अपना सहयोग नहीं देना, महिला का वेतन छीनकर शराब आदि पीना आर्थिक हिंसा के उदाहरण है।
किस प्रकार कोई महिला इस कानून के तहत सुरक्षा प्राप्त कर सकती है?
1. शिकायत :
कोई भी महिला सुरक्षा अधिकारी की मदद से या सीधे न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है। सम्पर्क के लिए वे फ़ोन कॉल या पत्र की मदद भी ले सकती है। वह चाहे तो पुलिस, स्वयंसेवी संस्था या पड़ोसी की मदद से भी शिकायत दर्ज करा सकती है।
2. न्यायिक आदेश :
शिकायत दर्ज होने के बाद न्यायिक दंडाधिकारी पीड़िता के पक्ष में सुरक्षा अधिकारी को आदेश देता है। इस आदेश के आधार पर पीड़िता को आवश्यकता के अनुसार राहत और सहायता प्रदान की जाती है।
3. सुरक्षा :
सुरक्षा देने के पश्चात् सुरक्षा अधिकारी पीड़िता महिला के पक्ष में मदद और सुरक्षा की पुष्टि करता है। इस कार्य के लिए सुरक्षा अधिकारी सेवा प्रदाता और पुलिस की सेवा ले सकते है।
किसको सुरक्षा देता है यह कानून?
यह कानून परिवार की उन सभी महिलाओं को सुरक्षा देती है जो किसी भी रूप में घर से संबंधित होती है। फिर चाहे वो माँ हो या पत्नी, बहन हो या बेटी। इसके अलावा महिला को किसी भी संबंध से घर में रहती हो उसको भी यह कानून सुरक्षा प्रदान करता है।
किसी तरह से कानून पीढ़ी महिला को सुरक्षा प्रदान करता है?
घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज होने के पश्चात कानून तरह-तरह से पीड़ित महिला की मदद करता है जिससे उसे पूरा सहयोग और मदद मिल सके।
1. स्वास्थ्य सुविधा :
अक्सर घरेलू हिंसा के दौरान महिला चोटिल या घायल हो जाती है जिसे नियंत्रित करने के लिए डॉक्टरी सलाह की आवश्यकता होती है। कानून महिलाओं को यह स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में मदद करता है।
2. आवास का अधिकार :
घरेलू हिंसा का केस दर्ज हो जाने के बाद अक्सर ससुराल वाले पीड़िता को घर से बाहर निकाल देते है। ऐसे में ये कानून महिलों को घर में आवास का अधिकार प्रदान करता है।
3. आर्थिक सहयोग :
घरेलू हिंसा के केस पर निर्णय आने तक और उसके बाद महिला पूरी तरह असहाय हो जाती है जिसके कारण उसकी आर्थिक स्थिति खराब होने लगती है। लेकिन यह कानून पुरुष को महिला की सभी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्तरदायी होता है।
4. आरोपी से सुरक्षा :
घरेलू हिंसा करने वाला व्यक्ति कभी शांत नहीं बैठता वे हमेशा महिला को किसी न किसी रूप में परेशान करता रहता है। ऐसे में यह कानून महिला को आरोपी से सुरक्षा प्रदान करता है।
5. पारिवारिक परामर्श :
शिकायत के बाद हर पहलु को अच्छी तरह जांचा परखा जाता है जिसमे लड़के और लड़की से पूरी पूछताछ की जाती है और उनसे सभी विषयों से जानकारी ली जाती है। जिससे पता लगाया जा सके की समस्या की जड़ क्या है?
6. क़ानूनी सहयोग :
अति गंभीर समस्या होने पर महिला को क़ानूनी सहयोग भी प्रदान किया जाता है जिसकी मदद से वे अपने पक्ष को मजबूत कर सकती है।
अस्थायी आवासीय व्यवस्था एवं बाल सेवा :
परिणाम होने तक या उसके बाद अगर महिला को पुरुष से अलग किया जाता है तो पीड़िता को अस्थाई आवासीय व्यवस्था एवं बाल सेवा में रहने के लिए स्थान दिया जाता है।
अब तो आप समझ गयी होंगी की घरेलू हिंसा बर्दाश्त करने वाली नहीं बल्कि विरोध करने वाली चीज है। अगर आपके या किसी भी करीबी महिला के साथ घरेलू हिंसा होती है तो इस कानून के बारे में बताये और इस अत्याचार को सहना बंद करें।
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