होली का रंग कैसे पहुंचाता है गर्भ में बच्चे को नुकसान, माँ बनना हर महिला के लिए उसके जीवन का सबसे सुखद अहसास होता है। क्योंकि इस दौरान महिला अपने पेट में एक नन्ही जान को पूरे नौ महीने तक रखती है। और अपनी जान की चिंता न करते हुए इस दुनिया में उस नन्ही जान को लाती है। ऐसे में उस नन्ही जान को किसी भी तरह की दिक्कत न हो इसके लिए प्रेगनेंसी के दौरान महिला अपना अच्छे से ध्यान रखती है।
लेकिन त्यौहारों के समय महिला को और ज्यादा सावधानी बरतने की जरुरत होती है। और अब होली का त्यौहार आने ही वाला है ऐसे में प्रेग्नेंट महिला को होली के रंगों से गर्भ में पल रहे शिशु को बचाकर रखना चाहिए। क्योंकि यह रंग महिला के साथ शिशु को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं। तो आइये अब इस आर्टिकल में जानते हैं की होली के रंगो से शिशु को क्या नुकसान पहुँच सकता है।
होली का रंग होता है केमिकल से भरपूर
- आज कल रंगो को चाहे कितना ही कहा जाये की हर्बल है।
- लेकिन उसमे केमिकल की मिलावट जरूर होती है।
- और प्रेगनेंसी के दौरान महिला को केमिकल वाली चीजों का इस्तेमाल न करने की सलाह दी जाती है।
- क्योंकि केमिकल के बुरे असर के कारण महिला को स्किन इन्फेक्शन, एलर्जी, बॉडी के किसी पार्ट में इन्फेक्शन आदि की समस्या हो सकती है।
- और यदि प्रेग्नेंट महिला को कोई परेशानी होती है तो उसका असर बच्चे पर भी पड़ सकता है।
- ऐसे में केमिकल का प्रभाव यदि शिशु तक पहुँचता है।
- तो इसके कारण शिशु के विकास में समस्या आ सकती है।
- साथ ही महिला को गर्भपात, समय पूर्व प्रसव जैसी परेशानी भी हो सकती है।
पानी वाले रंग
- यदि गर्भवती महिला पानी वाले होली के रंगो से होली खेलती है।
- तो इसके कारण भी महिला के साथ शिशु को दिक्कत हो सकती है।
- क्योंकि पानी वाले रंगो के कारण महिला के फिसलने या गिरने का खतरा बढ़ जाता है।
- और यदि महिला गिरती है तो इसके कारण शिशु को दिक्कत हो सकती है।
- खासकर जब महिला पेट के पल गिरती है तो गर्भपात तक हो सकता है।
- ऐसे में गलती से भी प्रेग्नेंट महिला को पानी वाले रंगों के साथ होली नहीं खेलनी चाहिए।
तो यह हैं कुछ नुकसान जो गर्भ में पल रहे शिशु को होली के रंगो के कारण हो सकते हैं। ऐसे में महिला को एक साल होली से परहेज करना चाहिए। साथ ही इस समय अपने खान पान आदि का भी अच्छे से ध्यान रखना चाहिए। ताकि त्यौहार के मौसम में भी महिला व् शिशु को स्वस्थ रहने में मदद मिल सके।