प्रेगनेंसी के दौरान हर पल महिला को केवल एक ही बात का ख्याल रहता है, की गर्भ में शिशु कैसा है, शिशु का विकास तो सही से हो रहा है, शिशु गर्भ में क्या कर रहा है, कब शिशु की हलचल महसूस होगी, शिशु को भरपूर पोषण मिल रहा है या नहीं, आदि। खासकर जब महिला पहली बार माँ बनती है तो महिला इन चीजों को लेकर ज्यादा परेशान रहती है। और ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि गर्भ में पल रहा शिशु अपनी माँ पर ही हर एक चीज के लिए निर्भर करता है, ऐसे में महिला को हमेशा डर रहना की क्या सही है क्या नहीं यह आम बात होती है। ऐसे में गर्भ में पल रहे शिशु की जानकारी के लिए अल्ट्रासॉउन्ड एक माध्यम होता है जिससे शिशु के विकास के बारे में जाना जा सकता है, लेकिन वह भी रोज नहीं हो सकता है उसे डॉक्टर की राय अनुसार ही आपको करवाना चाहिए। तो लीजिये आज हम आपको प्रेगनेंसी में होने वाली कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जिससे गर्भ में शिशु की सेहत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
शिशु के दिल की धड़कन
प्रेगनेंसी के पांचवे हफ्ते के बाद जाँच करवाने पर ज्यादातर शिशु के दिल की धड़कन का पता चल जाता है, और यदि दिल की धड़कन सुनाई देती है तो यह शिशु के विकास की शुरुआत की निशानी होती है। लेकिन लेकिन यदि जांच करवाने के बाद गर्भ में पल रहे शिशु की धड़कन महसूस नहीं हो होती हैं तो इसका मतलब गर्भाशय में भ्रूण तनाव में हो सकता है।
पेट में ऐंठन
गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के दौरान बहुत सी परेशानियां हो सकती है, ऐसे में पेट में ऐंठन का होना भी आम बात होती है। लेकिन यदि महिला को बहुत ज्यादा ऐंठन की समस्या के साथ पेट में दर्द व रक्तस्त्राव जैसी समस्या लगे तो यह गर्भ में शिशु के लिए परेशानी का विषय हो सकता है ऐसे में इस लक्षण को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
ब्लीडिंग
प्रेगनेंसी के दौरान शुरुआत में स्पॉटिंग का होना आम बात होती है, लेकिन यदि महिला को यह समस्या प्रेगनेंसी के दौरान बार बार हो। तो इसका मतलब केवल गर्भपात ही नहीं होता है, बल्कि यह शिशु के समय से पहले यानी की समय पूर्व प्रसव का संकेत हो सकता है, साथ ही यदि गर्भनाल से जुडी कोई परेशानी हो तो भी ऐसा हो सकता है।
आई यू जी आर
इंट्रायूटेरिन ग्रोथ रेजिस्टेंट यह एक टेस्ट होता है जो की गर्भ में शिशु के विकास का पता लगाने के लिए किया जाता है। ऐसे में यदि गर्भ में शिशु के विकास को पूरी तरह से जानने के लिए यह टेस्ट भी करवाया जा सकता है इसके लिए एक बार आप डॉक्टर की राय ले सकते हैं, क्योंकि यदि गर्भ में शिशु का विकास अच्छे से नहीं होता है तो शिशु को जन्म के बाद सांस से जुडी समस्या जैसे अस्थमा, ब्लड प्रैशर, वजन में कमी जैसी परेशानी हो सकती है।
प्राइवेट पार्ट से तरल पदार्थ का निकलना
प्रेगनेंसी के दौरान सफ़ेद पानी का आना आम बात होती है, लेकिन यदि प्राइवेट पार्ट से ऐसा तरल पदार्थ आये जिसमे खून के धब्बे दिखाई देने के साथ, बहुत ज्यादा गंध आए रही हो, और दर्द महसूस हो, आदि। तो यह शिशु के स्वस्थ न होने का संकेत दे सकता है ऐसे में इस लक्षण को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
पीठ में दर्द
प्रेगनेंसी के दौरान मांसपेशियों का खिंचाव होने और पेट का आकार बढ़ने के कारण पीठ में दर्द का होना आम बात होती है। ऐसे में बहुत ज्यादा पीठ में दर्द का अनुभव होने पर आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि यह किडनी या प्राइवेट पार्ट में इन्फेक्शन के कारण भी हो सकता है, और यह समस्या अधिक होने पर शिशु पर भी विपरीत प्रभाव डाल सकती है।
गर्भ में शिशु की हलचल
गर्भ में शिशु पांचवे महीने के बाद से ही हलचल करना शुरू कर देता है ऐसे में जब शिशु गर्भ में मूवमेंट करने लगता है और कभी आपको ऐसा महसूस हो की बहुत समय से गर्भ में शिशु हलचल नहीं कर रहा है तो इसके लिए जितना जल्दी हो सके एक बार डॉक्टर से राय लेना चाहिए। क्योंकि गर्भ में शिशु की हलचल का न होना बहुत ही ज्यादा परेशानी का कारण हो सकता है।
तो यह हैं कुछ बातें जिन्हे महसूस कर अंदाजा लगाया जा सकता है की गर्भ में शिशु का स्वास्थ्य ठीक है या नहीं। इसीलिए प्रेगनेंसी के दौरान कोई भी असहज लक्षण महसूस हो तो उसे अनदेखा न करते हुए तुरंत डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
Hindi Video : गर्भ में शिशु स्वस्थ है या अस्वस्थ जानिए इस वीडियो से