प्रेगनेंसी में जुड़वा बच्चे
माँ बनने की ख्वाहिश हर महिला की होती है, क्योंकि महिला का ऐसा मानना होता है की उनका शिशु उनकी लाइफ को सम्पूर्ण बनाने में मदद करता है। और कुछ महिलाओं की ऐसी तमन्ना भी होती है की वो जुड़वां बच्चों को जन्म दें, कुछ महिलाएं उम्र अधिक होने के कारण ऐसा सोचती है तो कुछ ऐसा चाहती है। यदि आप भी ऐसा सोच रही है तो आपके लिए सबसे पहले यह जानना जरुरी होता है की जुड़वाँ बच्चे कैसे होते हैं। जुड़वां बच्चे दो तरह के होते है पहला जब महिला के अंडाशय से निकला अंडा एक ही शुक्राणु द्वारा निषेचित हो जाता है लेकिन बाद में दो भागो में बट जाता है। यह एक ही प्लेसेंटा से जुड़े होते हैं लेकिन अंडे के अलग अलग भाग में भ्रूण विकसित होने लगते हैं। इन्हे मोनोजायगोटिक जुड़वा बच्चे कहा जाता है जो दिखने में भी एक जैसे होते हैं। जबकि कई बार अंडाशय से निकले दो अंडे अलग अलग शुक्राणु द्वारा निषेचित होते हैं, और उनका प्लेसेंटा भी अलग अलग होता है। ऐसे जुड़वाँ बच्चे देखने में अलग अलग होते हैं इन्हे डाइजायगोटिक जुड़वा बच्चे कहा जाता है।
जुड़वा बच्चों के लिए क्या करें?
यदि आप भी प्रेगनेंसी प्लान कर रही हैं और चाहती है की आप भी जुड़वा बच्चों को जन्म दे तो इसके लिए आपको बहुत सी बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की जुड़वां बच्चों को जन्म देने के लिए किन किन बातों का ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है।
फोलिक एसिड
एक रिसर्च के अनुसार गर्भावस्था प्लान करने से कम से कम तीन से छह महीने पहले से ही फोलिक एसिड का सेवन करना गर्भ में जुड़वा बच्चे होने के चांस को बढ़ाने में मदद करता है, और आप डॉक्टर की राय लेने के बाद इनका सेवन शुरू भी कर सकते हैं। कई डॉक्टर्स इस बात की पुष्टि नहीं करते हैं लेकिन कुछ भी हो प्रेगनेंसी के दौरान फोलिक एसिड का सेवन करने से गर्भ में एक शिशु हो या जुड़वा दोनों को बीमारियों से सुरक्षित रखने और स्वस्थ रहने में मदद करता है।
स्तनपान
यदि आप अपने पहले शिशु को एक साल से स्तनपान करवा रही है, और इसी समय के बीच आप दूसरी बार प्रेगनेंसी प्लान करती है। तो ऐसा करने से भी जुड़वां बच्चे होने के चांस बढ़ जाते हैं। क्योंकि इस समय बॉडी में प्रोलैक्टीन हॉर्मोन बनता है साथ ही बॉडी में एस्ट्रोजन के हॉर्मोन के स्तर में गिरावट आती है। जिसके कारण निषेचित अंडे को गर्भाशय से जुड़ने में अधिक समय लगता है और अंडे के दो भागों में विभाजित होने के चांस बढ़ जाते हैं और जुड़वा बच्चों के होने के चांस भी बढ़ जाते हैं।
उम्र
अधिक उम्र होने पर भी जुड़वां बच्चे के होने की सम्भावना बढ़ जाती हैं क्योंकि इस दौरान अंडाशय एक बार में एक से ज्यादा अंडे बनाने लगता है। जिसके कारण अंडे का निषेचन होने पर गर्भ में जुड़वा बच्चे होने के चांस हो सकते हैं।
अनुवांशिक
यदि आपके घर में पहले भी कोई जुड़वा बच्चे हुए हैं, या आपने पहले जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है तो ऐसे में दूसरी बार प्रेग्नेंट होने पर भी महिला के जुड़वा शिशु को जन्म देने की सम्भावना अधिक हो सकती है।
गर्भनिरोधक दवाइयां
अब आप यह सोच रही होंगी की गर्भनिरोधक दवाइयों का जुड़वा बच्चों से क्या मतलब? इसका मतलब यह हैं की जब आप गर्भनिरोधक दवाइयों का सेवन करना बंद करती हैं। तो गर्भनिरोधक गोलियों का प्रभाव कम होने के कारण अंडाशय में एक से ज्यादा अंडे बनते हैं। और यदि दवाई बंद करने के बाद ही आप प्रेगनेंसी प्लान करती हैं तो ऐसा करने से गर्भ में जुड़वा बच्चे के होने के चांस को भी बढ़ाया जा सकता है।
जिंक
यदि महिला अपने पार्टनर को जिंक से भरपूर आहार जैसे की अख़रोट, मटर, अंडे, साबुत अनाज आदि का भरपूर सेवन करने के लिए देती है। तो इससे शुक्राणुओं की गुणवत्ता को बेहतर करने में मदद मिलती है। जिससे गर्भ में जुड़वां शिशु के होने के चांस को बढ़ाने में भी मदद मिलती है।
प्रोटीन
गर्भ में जुड़वा बच्चों का होना इस बात पर भी निर्भर करता है की अंडाशय से कितने अंडे निकलते हैं, और प्रोटीन का भरपूर सेवन करने से अंडाशय में अंडो की संख्या को बढ़ाने में मदद मिलती है। इसीलिए जुड़वां बच्चों को जन्म देने के लिए महिला को अपनी डाइट में प्रोटीन युक्त आहर जैसे मछली, अंडे, दालें, आदि का भरपूर मात्रा में सेवन करना चाहिए।
वजन
एक रिसर्च के अनुसार जिन महिलाओं का वजन ज्यादा होता है उन महिलाओं को भी जुड़वां बच्चे होने के चांस अधिक होते है। लेकिन इस चक्कर में महिला को गलत खान पान करके अपने वजन को बढ़ाना नहीं चाहिए। क्योंकि इसके कारण महिला को सेहत सम्बन्धी समस्या होने का भी खतरा रहता है।
मेडिकल सुविधाएं
आज के जमाने में मेडिकल ने इतनी तरक्की कर ली है की आपकी हर समस्या का समाधान उनके पास आसानी से मिल जाता है। ऐसे में आई यू आई, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन(IVF) ऐसी तकनीक हैं जिनका इस्तेमाल करके भी आप आसानी से एक ज्यादा शिशु को जन्म देने की अपनी इच्छा को पूरा कर सकती है।
जिमीकंद
जिमीकंद एक ऐसा फल है जिसका सेवन करने से उसमे मौजूद रसायन हाइपर ओवुलेशन प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद करता है। और महिला का गर्भधारण होने पर गर्भ में जुड़वा बच्चों के होने के चांस ज्यादा होते हैं।
डेयरी प्रोडक्ट्स
जो महिला गर्भधारण करना चाहती है उसके कुछ महीनो पहले से ही महिला को अपनी डाइट में दूध व् दूध से बनी चीजों का सेवन भरपूर मात्रा में करना शुरू कर देना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से न केवल बॉडी में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ाने में मदद मिलती है। बल्कि प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में भी मदद मिलती है साथ ही ऐसा भी माना जाता है की ऐसा करने से गर्भ में जुड़वां बच्चों के होने के चांस को भी बढ़ाया जा सकता है।
तो यह हैं कुछ टिप्स जिनसे जुड़वा शिशु को जन्म देने के चांस को बढ़ाने में मदद मिलती है। तो यदि आप भी जुड़वा बच्चे की इच्छा रखती है तो आपको भी गर्भधारण से पहले इन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए ताकि आपको भी जुड़वां बच्चों को जन्म देने के चांस को बढ़ाने में मदद मिल सके।