प्रेगनेंसी के इस अमूल्य समय में बहुत से शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरना पड़ता है। इन सभी बदलावों के अतिरिक्त हमे अपने खाने पीने, पहनने ओढ़ने और सोने जागने की आदतों को भी बदलना पड़ता है। खासतौर पर खाने की आदतों में इतना बदलाव आ जाता जैसे जमीन और आसमान।
पहले जिस समोसे, पूरी, कचौड़ी और भठूरे को हम बिना सोंचे ही अपने मन से खा लिए करते थे अब गर्भावस्था के बाद ऐसा करना संभव नहीं है। इस दौरान सभी चीजों को खाने से पहले उसके साइड इफ़ेक्ट के बारे में जानना पड़ता है। हो सकता है कई बार हमे इन सभी चीजों को खाने की क्रेविंग भी हो। परन्तु अपने शिशु की अच्छी सेहत के लिए हमे अपनी क्रेविंग को बिना इन्हे खाये ही शांत करना होगा।
हमारे इंडियन त्योहारों के दिन घर में पूरी, कचौड़ी या भटूरे ना बने ऐसा तो हो ही नहीं सकता। पर यह सब प्रदार्थ डीप फ्राई करके बनाये जाते है। डीप फ्राई करके बनाया गया भोजन खाने में तो बहुत स्वादिष्ट होता है परन्तु सेहतमंद नहीं होता है। इस तरह के भोजन के नियमित इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। गर्भावस्था के दौरान डीप फ्राई भोजन माँ और शिशु दोनों के लिए हानिकारक होता है। आज हम जानेंगे गर्भवती महिला को पूरी, कचौड़ी और भठूरे खाने से क्या नुक्सान पहुंच सकता है।
ओबेसिटी
गर्भावस्था के दौरान वेट बढ़ना अच्छा होता है। परन्तु वेट भी सही तरीके से बढ़ना चाहिए जिससे शिशु और माँ को भरपूर विटामिन्स और प्रोटीन मिले। प्रेगनेंसी में सही वेट का बढ़ना भी जरुरी होता है किस महिला का कितना वेट बढ़ना चाहिए यह बात महिला की हाइट पर निर्भर करती है। जरुरत से ज्यादा वेट नुकसानदेह होता है।
डीप फ्राई भोजन से आपका वेट बहुत तेजी से बढ़ता है परन्तु उस भोजन से आपको मिनरल्स और अन्य पोषक तत्व ना के बराबर ही मिलते है। एक्सेस में वेट के बढ़ने को ही ओबेसिटी कहते है। प्रेगनेंसी के दौरान ओबेसिटी होने से सी सेक्शन डिलीवरी के चांस ज्यादा बढ़ जाते है। इसके अतिरिक्त हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट से संबंधित बीमारियां और डायबिटीज आदि जैसे बिमारियां भी लग सकती है। इसीलिए गर्भावस्था में पूरी, कचौड़ी और छोले भठूरे जैसे भोजन को ना कहे।
कोलेस्ट्रॉल
डीप फ्राई भोजन में कोलेस्ट्रॉल की अत्यधिक मात्रा पायी जाती है। गर्भावस्था में इन प्रदार्थो के सेवन से कोलेस्ट्रॉल लेवल बहुत तेजी से बढ़ने लगता है अगर इस पर रोक ना लगाई जाए तो हमारी आर्टरीज में ब्लड का सर्कुलेशन रुक जाता है जिस कारण हार्ट अटैक या दौरा पड़ने के चांस बढ़ जाते है।
इसके अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने के कारण गर्भावस्था में उठने और बैठने में भी तकलीफ होने लगती है। और हम एक्टिव नहीं रह पाते जिस कारण शिशु भी एक्टिव नहीं होता है।
पाचन शक्ति
अत्यधिक तेल और डीप फ्राई भोजन पचाना आसान काम नहीं होता। इसके नियमित सेवन से पेट में गैस, दर्द, कब्ज आदि जैसी समस्या खड़ी हो जाती है। प्रेगनेंसी के दौरान गर्भाशय के आकर बढ़ने से हमारी पाचन क्रिया पहले से धीमे काम करने लगती है ऐसे में तले हुए भोजन के इस्तेमाल से पाचन क्रिया पर और भी असर पड़ता है
अगर गर्भावस्था के दौरान भोजन से संबंधित अपनी आदतों को ना बदले तो पेट से जुड़ी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
नुट्रिशन की कमी
गर्भवस्था में जरुरी होता है के कम भोजन में हमे ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्व मिले। जिससे शिशु की ग्रोथ अच्छे से हो सके। परन्तु अगर पूरी, कचौड़ी और भठूरे की बात की जाए तो यह हमारा पेट तो भर देते है परन्तु इनमे नुट्रिएंट्स बिलकुल ना के बराबर होते है।
यह भोजन सिर्फ हमारे मुँह के स्वाद को संतुष्ट कर सकता है पर हमारे शरीर की जरूरतों को नहीं पूरा करता है। गर्भावस्था के दौरान नूरट्रीएंट्स तत्वों की कमी होने से डिलीवरी के समय बहुत से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त शिशु की ग्रोथ भी रुक जाती है। जरुरी है के हम ऐसे भोजन का सेवन करें जो हमारे शरीर को सभी जरुरी पोषक तत्व प्रदान करे।
जहरीला तेल
जब बार बार एक तेल को गर्म कर उसमे भोजन पकाया जाता है तो उसमे बहुत से रसायनिक बदलाव होते है जिस कारण वही खाने वाला तेल जहरीली गैस छोड़ता है। और इसी तेल में जो भोजन डीप फ्राई होकर बनता है तो वह भी किसी जहर से कम नहीं होता है। गर्भावस्था में बाजार में बनी पूरी, कचौड़ी और भठूरे का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि बाजार वाले तेल लगातार गर्म करते रहते है जिससे वह पूरी तरीके से जहर का काम करने लगता है।
देखिये वीडियो में गर्भवती महिला को क्यों नहीं खाने चाहिए पूरी कचौरी छोले भटूरे समोसे इत्यादि।