चर्म रोग के प्रकार, Types of Skin Disease, मुहांसे, पैरों के दाद, बालतोड़, त्वचा पर खुजली, डैंड्रफ, एक्जिमा, मेलस्मा, घमौरी, सोरायसिस, सनबर्न, दाद, सफेद दाग, चेचक की समस्या की पूर्ण जानकारी, Types of Skin Problems, Skin Diseases, Skin Disorders, Twacha me Samasya, Charm Rog, Twacha ke Rog
चर्म रोग की समस्या
त्वचा शरीर का सबसे नाजुक हिस्सा होता है। क्यूंकि शरीर के भीतरी अंगों की तुलना में त्वचा सीधे बाहरी वातावरण के संपर्क में रहती है। जिसके चलते बाहर की धूप, लू, धूल, मिट्टी, गंदगी, प्रदुषण, बाहरी वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया आदि सभी त्वचा को प्रभावित करते हैं। त्वचा के रोग यानी चर्म रोग भी इन्ही सब कारणों की वजह से होता है।
त्वचा के रोग / चर्म रोग क्या है?
चर्म रोग त्वचा पर होने वाला संक्रमण या रोग है जो त्वचा के बाहरी हिस्से पर कहीं पर भी हो सकता है। चर्म रोग की समस्या होने पर त्वचा में खुजली, दाने, रैशेस, लालिमा, सूजन, जलन, छाले, बाहरी हिस्से पर घाव आदि जैसी समस्या होने लगती है। कुछ चर्म रोग चर्म रोग सामान्य होते हैं जबकि कुछ बहुत गंभीर। सामान्यतः लोग केवल एक्जिमा को चर्म रोग मानते हैं। जबकि एक्ज़िमा के अलावा भी ऐसी कई समस्याएं होती है जो चर्म रोग का रूप होती है। आज हम आपको बता रहे हैं की चर्म रोग कितने प्रकार के होते हैं?
चर्म रोग या त्वचा रोग के प्रकार
दोस्तों, जिस तरह संक्रमण कई तरह का होता है उसी प्रकार चर्म रोग भी कई प्रकार के होते हैं। यह स्थाई और अस्थाई होने के साथ-साथ दर्द रहित और दर्द देने वाले भी होते हैं। कुछ में समस्या खुद अपने आप ही ठीक हो जाती है जबकि कुछ में डॉक्टरी इलाज आवश्यक होता है। यहाँ हम उन सभी चर्म रोगों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
Acne (मुहांसे)
मुहांसे, पिंपल या एक्ने त्वचा पर होने वाली आम समस्या है। जो अक्सर किशोरावस्था और युवावस्था के दौरान होने वाले हॉर्मोनल बदलाव के कारण होते है। मुहांसे होने का एक कारण त्वचा में आयल का अधिक उत्पादन भी होता है। जो पोर्स को ब्लॉक कर देता है। पोर्स ब्लॉक होने पर त्वचा को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता। जिससे गंदगी और बैक्टीरिया जमा होने लगते हैं और मुहांसे होने लगते हैं। मुहांसे होने पर त्वचा में लाल उभरे हुए दाने, दर्द, सूजन या कभी-कभी जलन की समस्या हो सकती है।
Athlete Foot (पैरों के दाद)
पैरों की दाद एक तरह का संक्रामक रोग है। जो पैरों के अंगूठे और उँगलियों के बीच में होता है। ये समस्या होने पर पैरों की उँगलियों के बीच की जगह मुलायम हो जाती है और खाल उतरने लगती है। इसके कारण कई बाद पैरों से बदबू भी आती है। ये रोग अधिकतर गर्मियों में होता है। इस चर्म रोग में खुजली भी होती है। ये समस्या अधिकतर ज्यादा देर तक पानी में नंगे पैर रहने की वजह से होती है। इससे बचने के लिए पैरों को हमेशा साफ और सूखा रखना चाहिए। और उंगलयों के बीच में फुट पाउडर लगाना चाहिए।
Boil (बालतोड़)
बालतोड़, त्वचा के रोमछिद्रों में होने वाली समस्या है, जिसे बोइल भी कहते हैं। बालतोड़ होने पर पहले त्वचा पर लालिमा आती है और उसके अंदर सूजन आने लगती है। एक-दो दिन बाद उस हिस्से के बीचों-बीच सफ़ेद भाग उभरने लगता है और उसमे पस आ जाता है। बालतोड़ अक्सर चेहरे, गर्दन, अंडरआर्म, कंधे और कूल्हों पर होता है। छोटी सी चोट या कट लगने पर ये बैक्टीरिया रोमछिद्र के भीतर चले जाते हैं और वहां इंफेक्शन फैलाते हैं। इसीलिए कभी भी कोई चोट लगे तो उसे खुला ना छोड़े। चोट की सफाई करके उसपर बैंडेज लगा लें। ताकि बैक्टीरिया स्किन के भीतर ना जा सके।
Dermatitis (त्वचा पर खुजली व् लाल दाने)
डर्मेटाइटिस को एक तरह का स्किन इंफेक्शन कहा जाता है, जो कई प्रकार का होता है। यह तनाव, शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलाव, वातावरण या किसी चीज से एलर्जी के कारण हो सकता है। यह समस्या होने पर त्वचा में सूजन, और लालिमा आ जाती है। इसके अलावा रैशेस, छाले, रुखी, फटी त्वचा, जलन, दर्द होना, खुजली की समया होने लगती है। ये समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। खुद से किसी चीज को प्रभावित हिस्से पर नहीं लगाना चाहिए।
Dandruff (रुसी)
डैंड्रफ (जिसे रुसी कहते हैं) भी एक तरह का चर्म रोग होता है। जो अधिकतर स्कैल्प पर होता है। डैंड्रफ होने पर त्वचा रूखी होकर झड़ने लगती है और रूखेपन के कारण उसमे तेज खुजली भी होती है। कुछ परिस्थितियों में स्कैल्प में जलन व् सूजन भी हो सकती है। स्कैल्प के अलावा कई बार ये समस्या हाथ पैरों की त्वचा में भी देखने को मिलती है। डैंड्रफ की समस्या, साफ-सफाई नहीं रखने के कारण, सर्दियों में गर्म पानी का ज्यादा इस्तेमाल करने पर, अनुवांशिकता, बैक्टीरिया और त्वचा में रूखेपन के कारण होती है। इसे बचने का बेहतर उपाय है की स्कैल्प में ऑइलिंग करते रहें।
Eczema (एक्जिमा)
एक्जिमा एक प्रकार का त्वचा रोग है जो त्वचा के किसी भी हिस्से में हो सकता है। एक्जिमा होने पर त्वचा पर खुजली, लाल चकत्ते और लाल दाने हो जाते हैं। छोटे बच्चों में ये अधिकतर देखने को मिलती है। कुछ मामलों में यह समस्या संक्रमण के कारण होती है। एक्जिमा होने पर त्वचा में तेज खुजली होती है और कई बार खुजली से कारण त्वचा से खून भी निकलने लगता है। ये त्वचा में होने वाली गंभीर समस्या है इसलिए लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
Lucoderma (सफेद दाग)
सफेद दाग तभी एक प्रकार का चर्म रोग है। इस रोग में त्वचा के अलग-अलग हिस्सों पर सफेद दाग आ जाते हैं। जिसे ल्यूकोडर्मा कहते हैं। यह समस्या तब होती है जब त्वचा में रंग बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट हो जाती है। यह समस्या इम्यून सस्टम के कारण, थायराइड, धूप में अधिक रहना, तनाव, केमिकल के सम्पर्क में ज्यादा रहना या अनुवांशिकता के कारण हो सकती है।
Measles (खसरा, छोटी माता)
खसरा, जिसे छोटी माता भी कहा जाता है श्वसन प्रणाली से संबंधित एक वायरल संक्रमण है। यह एक तरह का संक्रमित रोग है जो पुरे शरीर में बड़ी तेजी से फैलता है। खसरा होने पर रोगी को बुखार, सुखी खांसी, गले में खराश, आँखों में सूजन, गाल व् मुंह में सफेद दाग, त्वचा पर लाल खुजली वाले दाने होने लगते हैं। संक्रमित व्यक्ति जब छींकते हैं या खासते हैं तो ये वायरस हवा में फैल जाते हैं। यह रोग अक्सर बचपन में होता है। जो लगभग 7 से 10 दिनों में ठीक हो जाता है। पहले ये एक आम बिमारी हुआ करती थी लेकिन आजकल इसके टीके बचपन में ही लगा दिए जाते हैं। जिससे बीमारी का खतरा नहीं रहता।
Melasma (त्वचा पर भूरे दाग)
मेलस्मा अधिकतर महिलाओं में होने वाला त्वचा रोग है। इस रोग में त्वचा पर काले, भूरे रंग के दाग दिखते है। मेलस्मा अधिकतर गर्भावस्था के दौरान सूर्य की रौशनी में ज्यादा देर तक रहने के कारण हो सकता है। इसके अलावा हार्मोनल चैंजेस के कारण भी त्वचा पर भूरे रंग के दाग बनने लगते हैं। मेलस्मा होने पर कुछ खास ट्रीटमेंट नहीं किया जाता क्यूंकि समय बदलने के साथ ये अपने आप ही गायब हो जाते हैं।
Miliaria (घमौरी)
अधिक गर्मी और बरसात के मौसम में ज्यादा देर तक भीगने के कारण पीठ और छाती के आसपास लाल रंग के छोटे-छोटे निकल आते हैं जिन्हे घमौरी कहा जाता है। धुप के सम्पर्क में आते ही घमौरियों में तेज खुजली और जलन होने लगती है। इसीलिए गर्मियों के दिनों में त्वचा को जितना हो सके धूप की सीधी किरणों से बचाना चाहिए।
Psoriasis (सोरायसिस)
सोरायसिस होने पर त्वचा पर लाल, परत वाले चकत्ते होने लगते हैं। सोरायसिस कोई संक्रामक रोग नहीं है। यह एक बार होने वाली समस्या है जो समय के साथ बढ़ती ही जाती है। इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी इस समस्या का मुख्य कारण होती है। डेड स्किन को बदलने और त्वचा में नई कोशिकाओं का निर्माण करने में लगभग 28 दिनों का समय लगता है, लेकिन सोरायसिस से पीड़ित लोगों की त्वचा केवल 4 – 5 दिनों में त्वचा की नई कोशिकाओं का निर्माण करने लगती है। जिससे कोशिकाएं जमने लगती है। परिणामस्वरूप लाल, शुष्क और खुजली वाले पैच त्वचा पर दिखने लगते हैं।
Ringworm (दाद)
यह रोग त्वचा की सही तरीके से साफ़-सफाई नहीं करने के कारण होता है। इसके अलावा शरीर के किसी हिस्से का लंबे समय तक पानी में रहने के कारण भी दाद की समस्या हो जाती है। दाद एक तरह का संक्रामक रोग है, यह दूसरों से बड़ी जल्दी फैलता है। इसीलिए सावधानी बरतनी चाहिए। दाद की समस्या सिर, हथेली, एड़ी, कमर, दाढ़ी या अन्य भाग में हो सकता है। दाद होने पर त्वचा पर गोल निशान बन जाता है जिसमे जलन और खुजली होती है।
Small Pox (चेचक, बड़ी माता)
चिकनपॉक्स या चेचक वायरस के कारण होने वाली गंभीर संक्रामक बिमारी है। ये रोग होने पर त्वचा पर छाले जैसे दानें उभर आते हैं जिनमे पानी भरा होता है, इसके साथ-साथ खुजली, थकान, कमजोरी और बुखार भी महसूस होता है। चेचक पेट, पीठ व् चेहरे पर सबसे पहले दिखाई देते हैं उसके बाद पुरे शरीर में फैल जाते हैं। ये समय भी कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण होती है। इसे ठीक होने में कम से कम 2 से 3 सप्ताह का समय लग जाता है। छाले इस अवधि तक ठीक हो जाते हैं लेकिन दाग रह जाते हैं जो समय के साथ अपने-आप साफ हो जाते हैं।
Sunburn (धूप में झुलसी त्वचा)
गर्मियों के दिनों में, धूप की हानिकारक किरणों के चलते अक्सर त्वचा पर लालिमा, सूजन और दर्द की समस्या हो जाती है। इसी को सनबर्न या धूप में झुलसी हुई त्वचा कहा जाता है। सनबर्न होने पर स्किन में काफी समस्याएं होने लगती है। कई बार तेज जलन और खुजली भी होने लगती है। सनबर्न के कारण त्वचा की केवल ऊपरी परत ही नहीं बल्कि अंदरूनी परत पर भी प्रभाव पड़ता है। इसीलिए गर्मियों के दिनों से घर से बाहर निकलते समय खास सावधानी बरतनी चाहिए। ताकि त्वचा में कोई गंभीर समस्या ना हो।
तो दोस्तों, आज आपने तरह तरह के चर्म रोग और उनके बारे में जाना। आशा है अब आप उन कारणों का ध्यान रखेंगे जिनकी वजह से चर्म रोग होता है।